ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (राजस्थान) |
निकटतम रेलवे स्टेशन:
- अजमेर(15 कि.मी.)
निर्माण पूर्ण:
- १४वीं शताब्दी में(लगभग 2000 वर्ष)
खुलने का समय
- सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे
मन्दिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है।
- पूरे भारत में ब्रह्मा जी का पुष्कर के अलावा कोई मंदिर नहीं है।
- यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।
- कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं।
- पौराणिक कथा के अनुसार पत्नी सावित्री ने दिया था श्राप
- हिन्दू धर्मग्रंथ पद्म पुराण के अनुसार एक समय धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था।
- उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उसका वध किया।
- लेकिन वध करते वक़्त उनके हाथों से तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा, इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बनी।
- इसी घटना के बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा।
- इस घटना के बाद ब्रह्मा ने संसार की भलाई के लिए यहां एक यज्ञ करने का फैसला किया।
- ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंचे लेकिन किसी कारण वश सावित्री जी वहां समय पर नहीं पहुंच पाई।
- यज्ञ को पूर्ण करने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी का होना जरूरी था, लेकिन सावित्री जी के नहीं पहुंचने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या गायत्री से विवाह कर इस यज्ञ शुरू कर दिया
- लेकिन जब सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को देखा तो वे क्रोधित हो गईं और उन्होंने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया।
- सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया की देवता होने के बावजूद उनकी पूजा कभी नहीं की जाएगी।
- भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी।
- इसलिए देवी सरस्वती ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा।
- इसी कारण भगवान विष्णु के मानव अवतार श्री राम को 14 साल के वनवास के दौरान अपनी पत्नी से अलग रहना पड़ा था।
- सावित्री को क्रोधित देख सभी देवताओं ने उनसे श्राप वापस लेने की विनती की लेकिन दिया हुआ श्राप दोबारा लिया नहीं जाता इसलिए सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी।
- कोई भी दूसरा आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।
- तभी से पूरे भारत में ब्रह्मा जी का पुष्कर के अलावा कोई मंदिर नहीं है।
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