बद्रीनाथ धाम(मन्दिर), चमोली जिला, उत्तराखंड:सम्पूर्ण विवरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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Badarinath temple, chamoli Uttarakhand
Badarinath temple, chamoli Uttarakhand


बद्रीनाथ मंदिर:सम्पूर्ण विवरण

  • स्थान: चमोली जिला, उत्तराखंड
  • समर्पण: भगवान विष्णु (बद्री नारायण)

महत्व:

  • बद्रीनाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों (उत्तराखंड के बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम) और सप्त बद्री में से एक है। इसे "वैष्णव धर्म" का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें यहाँ "बद्रीनाथ" या "बद्री नारायण" के रूप में पूजा जाता है।

पौराणिक कथा और महत्व

1. बद्री वृक्ष का स्थान:

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु यहाँ तपस्या कर रहे थे। माता लक्ष्मी ने उन्हें ठंडी हवाओं और बर्फ से बचाने के लिए बद्री वृक्ष (जुजुबे) का रूप धारण कर लिया। इसलिए भगवान विष्णु को "बद्री नारायण" कहा गया।

2. नारद मुनि की कथा:

  • नारद मुनि ने भगवान विष्णु को यहाँ तपस्या करते देखा और उनकी स्तुति की।

3. शंकराचार्य द्वारा पुनर्स्थापना:

  • आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर की पुनर्स्थापना की।

4. अलकनंदा नदी का महत्व:

  • बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। यह नदी पवित्र मानी जाती है और गंगा की प्रमुख सहायक नदी है।

इतिहास और निर्माण

  • बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था, लेकिन वर्तमान मंदिर का स्वरूप गढ़वाल के राजा द्वारा 16वीं शताब्दी में निर्मित हुआ।
  • यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना है, और हिमालय की कठोर जलवायु के अनुसार डिजाइन किया गया है।

वास्तुकला

1. मुख्य संरचना:

  • मंदिर की ऊँचाई लगभग 50 फीट है।
  • रंग-बिरंगे शिखर और गर्भगृह इसे अद्वितीय बनाते हैं।

2. गर्भगृह:

  • यहाँ भगवान विष्णु की एक 1 मीटर ऊँची मूर्ति स्थापित है, जो काले शालिग्राम पत्थर से बनी है।

3. सभा मंडप:

  • यह स्थान भक्तों के बैठने और पूजा करने के लिए है।

4. मुख्य प्रवेश द्वार (सिंह द्वार):

  • यह द्वार बेहद सजावटी है और इसे पार करने के बाद गर्भगृह में प्रवेश मिलता है।

धार्मिक महत्व

1. चार धाम यात्रा:

  • बद्रीनाथ मंदिर चार धाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) का हिस्सा है।

2. मुक्ति स्थल:

  • बद्रीनाथ धाम को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है।

3. श्रीमद्भगवद् गीता और पुराणों में उल्लेख:

  • यह स्थान "वैकुंठ" का प्रतीक है।

उत्सव और आयोजन

1. माता मुरली उत्सव:

  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी के विवाह का उत्सव।

2. बद्री-केदार उत्सव:

  • यह उत्सव हर साल बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों में भव्य रूप से मनाया जाता है।

3. दीपावली:

  • दीपावली के बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।

मंदिर के कपाट खुलने का समय:

  • बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया (मई) को खोले जाते हैं।

बंद होने का समय:

  • दीपावली के बाद कार्तिक माह में कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

सर्दियों में पूजा:

  • जब मंदिर बंद रहता है, तो भगवान की पूजा जोशीमठ में की जाती है।

प्राकृतिक सुंदरता

  • बद्रीनाथ मंदिर हिमालय के अलकनंदा घाटी में स्थित है, और इसके चारों ओर बर्फ से ढके पर्वत हैं। यह स्थान आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा मिश्रण है।
  • नीलकंठ पर्वत: मंदिर के पीछे स्थित बर्फ से ढका पर्वत।
  • अलकनंदा नदी: मंदिर के पास बहती यह नदी पवित्र मानी जाती है।
  • तप्त कुंड: मंदिर के पास एक गर्म पानी का कुंड है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के दर्शन किए जाते हैं।

कैसे पहुंचे?

1. हवाई मार्ग:

  • निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (317 किमी)।

2. रेल मार्ग:

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (295 किमी)।

3. सड़क मार्ग:

  • बस और टैक्सी की सुविधा ऋषिकेश, हरिद्वार, और देहरादून से उपलब्ध है।

आसपास के दर्शनीय स्थल

1. माणा गाँव: भारत का अंतिम गाँव।

2. व्यास गुफा: महाभारत लिखने का स्थान।

3. भीम पुल: प्राकृतिक पुल, जो पौराणिक कथा से जुड़ा है।

4. चारण पादुका: यहाँ भगवान विष्णु के चरण चिह्न देखे जा सकते हैं।

यात्रा के लिए सुझाव

1. मौसम ठंडा रहता है, गर्म कपड़े जरूर साथ रखें।

2. ऊँचाई के कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, ध्यान रखें।

3. मंदिर तक पहुँचने के लिए कठिन रास्ता है, इसलिए शारीरिक रूप से तैयार रहें।

बद्रीनाथ यात्रा का आध्यात्मिक अनुभव

 बद्रीनाथ धाम न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जहाँ भक्ति, प्रकृति और आध्यात्मिकता का संगम होता है। यहाँ की यात्रा व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करने का अनुभव देती है।

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