केदारनाथ मंदिर:सम्पूर्ण विवरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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Kedarnath temple, rudra prayag, Uttarakhand
Kedarnath temple, rudra prayag, Uttarakhand


केदारनाथ मंदिर:सम्पूर्ण विवरण

  • स्थान: रुद्रप्रयाग जिला, उत्तराखंड
  • समर्पण: भगवान शिव

महत्व:

  • केदारनाथ मंदिर हिमालय के ऊंचे पहाड़ों में स्थित है और यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान शिव के पंच केदारों में से प्रमुख माना जाता है। केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के "केदारेश्वर" रूप को समर्पित है।

पौराणिक कथा और महत्व

1. महाभारत का संदर्भ:

  • महाभारत के अनुसार, पांडव अपने कौरव भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे।
  • भगवान शिव उनसे नाराज होकर केदारनाथ में छिप गए। जब पांडवों ने शिव को पहचान लिया, तो उन्होंने बैल का रूप धारण कर लिया।
  • भीम ने बैल की पूंछ पकड़ ली, लेकिन बैल का सिर नेपाल (पशुपतिनाथ) और शरीर केदार में रह गया। यही स्थान केदारनाथ कहलाया।

2. भगवान शिव के महत्व:

  • शिवपुराण में कहा गया है कि केदारनाथ में दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • यह स्थान "मुक्ति का द्वार" और "शिव के निवास" के रूप में जाना जाता है।

इतिहास और निर्माण

प्राचीनता:

  • केदारनाथ मंदिर को आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया गया था।
  • कहा जाता है कि मूल मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था।

वास्तुकला:

  • यह मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली में बना है।
  • इसका निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों से किया गया है, जिन्हें जोड़ने में किसी प्रकार के गारे का प्रयोग नहीं हुआ।
  • गर्भगृह के अंदर स्थित शिवलिंग अष्टकोणीय आकार का है।

मंदिर की संरचना

1. गर्भगृह:

  • गर्भगृह में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग रूप में पूजा की जाती है।

2. सभा मंडप:

  • यहाँ भक्त पूजा और ध्यान के लिए इकट्ठा होते हैं।

3. प्रवेश द्वार:

  • मंदिर के प्रवेश द्वार पर शिव-पार्वती और उनके वाहन नंदी की मूर्तियाँ हैं।

4. मंदिर के चारों ओर का क्षेत्र:

  • मंदिर के आसपास का क्षेत्र हिमालय के सुंदर नज़ारों और मंदाकिनी नदी की धारा से सजा हुआ है।

धार्मिक महत्व

1. ज्योतिर्लिंग का महत्व:

  • केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

2. पंच केदार यात्रा:

  • यह यात्रा केदारनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर, तुंगनाथ और मध्यमहेश्वर मंदिरों की परिक्रमा के रूप में होती है।

3. शिव और प्रकृति का मिलन:

  • यह स्थान शिव और हिमालय के मिलन का प्रतीक है।

मंदिर के कपाट खुलने का समय:

  • केदारनाथ मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया (मई) को खोले जाते हैं।

बंद होने का समय:

  • कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) को बंद कर दिए जाते हैं।

सर्दियों में पूजा:

  • जब मंदिर बंद होता है, तब भगवान की पूजा उखीमठ में होती है।

प्राकृतिक सुंदरता और भौगोलिक स्थिति

  • मंदिर समुद्र तल से 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
  • यह हिमालय के सुंदर पहाड़ों से घिरा हुआ है।
  • मंदाकिनी नदी के पास स्थित यह स्थान प्राकृतिक शांति और आध्यात्मिकता का केंद्र है।

2013 की त्रासदी

  • 2013 में केदारनाथ क्षेत्र में बाढ़ और भूस्खलन के कारण भारी नुकसान हुआ।
  • मंदिर को बाढ़ से कोई विशेष क्षति नहीं पहुंची, जो इसे एक चमत्कार के रूप में देखा गया।
  • इसके बाद मंदिर और क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया गया।

कैसे पहुंचे?

1. हवाई मार्ग:

  • निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (238 किमी)।

2. रेल मार्ग:

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (216 किमी)।

3. सड़क मार्ग:

  • गौरीकुंड तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है।
  • गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक 18 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है।

आसपास के दर्शनीय स्थल

1. भीम शिला:

  • यह विशाल शिला मंदिर के पास स्थित है, जिसने 2013 की बाढ़ के दौरान मंदिर की रक्षा की थी।

2. चोराबाड़ी ताल (गांधी सरोवर):

  • एक सुंदर झील, जो केदारनाथ से कुछ किमी की दूरी पर है।

3. वासुकी ताल:

  • एक और सुंदर झील, जिसे ट्रेक करके देखा जा सकता है।

4. त्रिजुगीनारायण मंदिर:

  • भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध।

उत्सव और विशेष आयोजन

1. महाशिवरात्रि:

  • भगवान शिव का प्रमुख पर्व।

2. श्रावण मास:

  • इस माह में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

यात्रा के लिए सुझाव

1. ऊँचाई और ठंड के कारण गर्म कपड़े अवश्य साथ रखें।

2. ट्रेकिंग के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहें।

3. ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है, इसलिए मेडिकल किट साथ रखें।

4. यात्रा के लिए मानसून का मौसम (जुलाई-अगस्त) उपयुक्त नहीं है।

केदारनाथ यात्रा का अनुभव

 केदारनाथ मंदिर का दर्शन करना एक अद्भुत आध्यात्मिक और प्राकृतिक अनुभव है। यह स्थान न केवल शिवभक्तों के लिए बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी विशेष है। कठिन यात्रा के बाद भगवान शिव के दर्शन और हिमालय की शांति हर यात्री को जीवन में एक बार यहाँ आने के लिए प्रेरित करती है।

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