Kashi vishwanath temple, Varanasi |
काशी विश्वनाथ मंदिर: एक संपूर्ण विवरण
- स्थान: काशी (वाराणसी), उत्तर प्रदेश
- समर्पण: भगवान शिव (विश्वरूप)
- ज्योतिर्लिंग: यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
पौराणिक कथा और महत्व
- काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख वेदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह स्थल भगवान शिव और माता पार्वती का निवास माना जाता है। मान्यता है कि काशी की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी। यह स्थान भगवान शिव के "अविनाशी रूप" का प्रतीक है और इसे "मोक्ष की नगरी" कहा जाता है।
- त्रिलोकीनाथ कथा: शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने काशी को त्रिलोक (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) का सर्वोच्च स्थान बनाया।
- मृत्यु और मोक्ष का संबंध: मान्यता है कि जो व्यक्ति काशी में प्राण त्यागता है, उसे "मोक्ष" प्राप्त होता है।
इतिहास और पुनर्निर्माण
- काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कई बार हुआ और इसे कई बार नष्ट भी किया गया।
1. प्रारंभिक काल:
- प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख गुप्त और मौर्य काल के दौरान भी मिलता है।
2. मुगल काल:
- मंदिर को मुगल आक्रमणकारियों ने बार-बार ध्वस्त किया। 1669 में औरंगजेब ने इसे मस्जिद में बदल दिया।
3. पुनर्निर्माण:
- 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।
- 1839 में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को 1 टन सोने से मढ़वाया।
- 21वीं सदी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परियोजना द्वारा इसे और भव्य रूप दिया गया।
वास्तुकला
- काशी विश्वनाथ मंदिर भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
1. गर्भगृह:
- मंदिर का मुख्य भाग, जहाँ शिवलिंग स्थापित है।
- यह शिवलिंग 60 सेंटीमीटर ऊंचा और 90 सेंटीमीटर व्यास का है।
2. सोने का शिखर:
- मंदिर का मुख्य शिखर और गुंबद सोने से मढ़ा गया है।
- यह भारत में भव्य धार्मिक शिखरों में से एक है।
3. नंदी मंडप:
- गर्भगृह के सामने नंदी की मूर्ति है, जो भगवान शिव की सवारी मानी जाती है।
- काशी विश्वनाथ धाम परियोजना (Kashi Vishwanath Corridor)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना को 2019 में आरंभ किया, और यह 2021 में पूरा हुआ।
विशेषताएँ:
- गंगा घाट से मंदिर तक सीधा संपर्क।
- चौड़े रास्ते, विशाल प्रवेश द्वार।
- मंदिर परिसर में 300 से अधिक प्राचीन मंदिरों का पुनरुद्धार।
- ध्यान केंद्र, संग्रहालय, और प्रदर्शनी स्थल।
लक्ष्य:
- श्रद्धालुओं को एक बेहतर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करना।
धार्मिक महत्व
1. ज्योतिर्लिंग का महत्त्व:
- यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की अनंत ऊर्जा का प्रतीक है।
- श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।
2. मृत्यु का महत्व:
- भगवान शिव स्वयं मरने वाले व्यक्ति के कान में "मृत्युंजय मंत्र" सुनाते हैं।
- इसलिए काशी को "मोक्ष नगरी" कहा जाता है।
उत्सव और विशेष आयोजन
1. महाशिवरात्रि:
- भगवान शिव का विवाहोत्सव।
- इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
2. श्रावण मास:
- सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु मंदिर में जलाभिषेक के लिए आते हैं।
3. दीपावली और देव दीपावली:
- मंदिर को दीपों और फूलों से सजाया जाता है।
- गंगा घाटों पर दीप जलाने की परंपरा है।
मंदिर में दर्शन की प्रक्रिया
1. गंगा स्नान:
- दर्शन से पहले गंगा नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है।
2. पंचगंगा घाट से प्रवेश:
- गंगा के घाटों से मंदिर तक का मार्ग अब आसान है।
3. शिवलिंग पर जलाभिषेक:
- जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा।
4. आरती में भागीदारी:
- सुबह और शाम की आरती अत्यंत भव्य होती है।
- आरती में शामिल होने के लिए पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है।
आसपास के प्रमुख स्थल
1. दशाश्वमेध घाट: गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध।
2. अस्सी घाट: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्थल।
3. सारनाथ: भगवान बुद्ध का प्रथम उपदेश स्थल।
4. तुलसी मानस मंदिर: रामचरितमानस का पाठ स्थल।
5. संकटमोचन हनुमान मंदिर: हनुमानजी के दर्शन के लिए प्रसिद्ध।
कैसे पहुँचे?
1. रेल मार्ग:
- वाराणसी जंक्शन (4 किमी)।
- मडुआडीह रेलवे स्टेशन।
2. हवाई मार्ग:
- लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (25 किमी)।
3. सड़क मार्ग:
- वाराणसी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
विशेष जानकारी
- मंदिर सुबह 3:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है।
- मंगला आरती के लिए विशेष पास की आवश्यकता होती है।
- कैमरा और मोबाइल फोन मंदिर परिसर में प्रतिबंधित हैं।
- गंगा जल और प्रसाद खरीदने के लिए मंदिर के बाहर दुकानें उपलब्ध हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास, और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। यह हर हिंदू के लिए जीवन में कम से कम एक बार दर्शन करने योग्य स्थल है।
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