उत्तररामचरितम्, तृतीय अंक, श्लोक 30, 31, 32 का अर्थ, व्याख्या और शाब्दिक विश्लेषण

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उत्तररामचरितम्, तृतीय अंक, श्लोक 30, 31, 32 का अर्थ, व्याख्या और शाब्दिक विश्लेषण,इदं विश्वं पाल्यं विधिवदभियुक्तेन मनसा,प्रियाशोको जीवं कुसुममिव धर्म

 

Here is depiction of the serene, emotional scene with Rama, Sita in her radiant shadow form, and Vasanti. The atmosphere reflects deep sorrow, longing, and a mystical connection between the characters.
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संस्कृत पाठ और हिन्दी अनुवाद


संस्कृत पाठ:
तमसा:
विशेषतो रामभद्रस्य बहुप्रकारकष्टो जीवलोकः।
इदं विश्वं पाल्यं विधिवदभियुक्तेन मनसा
प्रियाशोको जीवं कुसुममिव धर्मो ग्लपयति।
स्वयं कृत्वा त्यागं विलपनविनोदोऽप्यसुलभः
तदद्याप्युच्छ्‌वासो भवति ननु लाभो हि रुदितम्॥ ३० ॥

रामः:
कष्टं भोः! कष्टम्।
दलति दयं शोकोद्वेगाद् द्विधा तु न भिद्यते
वहति विकलः कायो मोहं न मुञ्चति चेतनाम्।
ज्वलति तनूमन्तर्दाहः करोति न भस्मसा-
त्प्रहरति विधिर्मर्मच्छेदी न कृन्तति जीवितम्॥ ३१ ॥

हे भगवन्तः पौरजानपदाः!
न किल भवतां देव्याः स्थानं गृहेऽभिमतं
ततः तृणमिव वने शून्ये त्यक्ता न चाप्यनुशोचिता।
चिरपरिचितास्ते ते भावास्तथा द्रवयन्ति मा-
मिदमशरणैरद्यास्माभिः प्रसीदत रुद्यते॥ ३२ ॥


हिन्दी अनुवाद:

तमसा:
रामभद्र के लिए विशेष रूप से यह जीवन अत्यधिक कष्टदायक है।
यह संसार, जिसे विधिपूर्वक सही मन से संजोकर रखा जाना चाहिए,
प्रिय के वियोग का शोक, जैसे कोमल फूल को मुरझा देता है, धर्म को भी मुरझा देता है।
स्वयं त्याग कर भी, विलाप में संतोष पाना संभव नहीं।
आज भी श्वास लेना कठिन है, और रोना ही एकमात्र उपलब्धि लगती है।

राम:
अरे! यह कष्ट कितना कठिन है!
हृदय शोक के आघात से टूटता है, लेकिन पूरी तरह नहीं बिखरता।
यह शरीर दुर्बल होकर सब कुछ सहता है, लेकिन चेतना को नहीं छोड़ता।
अंतर में ज्वाला धधकती है, लेकिन वह राख नहीं करती।
विधाता प्रहार करता है, हृदय को चीरता है,
लेकिन जीवन को समाप्त नहीं करता।

हे पौरजन और ग्रामवासी!
क्या देवी का आपके घर में स्थान अप्रिय था,
जो आप सबने उसे वन के शून्य में तृण के समान छोड़ दिया?
और क्या आपमें से किसी ने उनकी अनुपस्थिति पर खेद नहीं किया?
वे भाव, जो उनके साथ जुड़े हुए थे, आज भी मुझे पिघला रहे हैं।
हम, जो आज पूरी तरह असहाय हैं, आपसे निवेदन करते हैं—
कृपया दया करें, क्योंकि हम रो रहे हैं।


शब्द-विश्लेषण

1. बहुप्रकारकष्टः

  • संधि-विच्छेद: बहु + प्रकार + कष्टः।
    • बहु: अनेक;
    • प्रकार: प्रकार या प्रकारों से;
    • कष्टः: पीड़ा।
  • अर्थ: अनेक प्रकार की पीड़ा।

2. अभियुक्तेन मनसा

  • संधि-विच्छेद: अभियुक्त + मनसा।
    • अभियुक्त: उचित, समर्पित;
    • मनसा: मन के द्वारा।
  • अर्थ: समर्पित और सही मन से।

3. प्रियशोको जीवं कुसुममिव धर्मो ग्लपयति

  • संधि-विच्छेद: प्रिय + शोकः + जीवं + कुसुमम् + इव + धर्मः + ग्लपयति।
    • प्रियशोकः: प्रिय के वियोग का शोक;
    • ग्लपयति: मुरझा देता है।
  • अर्थ: प्रिय का शोक, धर्म को कोमल फूल की तरह मुरझा देता है।

4. दलति दयं शोकोद्वेगाद्

  • संधि-विच्छेद: दलति + दयं + शोक + उद्वेगात्।
    • दलति: टूटना;
    • दयं: करुणा;
    • उद्वेगात्: आघात या चिंता से।
  • अर्थ: करुणा शोक के आघात से टूटती है।

5. विधिर्मर्मच्छेदी

  • संधि-विच्छेद: विधिः + मर्म + छेदी।
    • विधिः: विधाता;
    • मर्म: हृदय का संवेदनशील भाग;
    • छेदी: चीरने वाला।
  • अर्थ: विधाता हृदय को चीरता है।

6. न किल भवतां देव्याः स्थानं गृहेऽभिमतं

  • संधि-विच्छेद: न + किल + भवतां + देव्याः + स्थानं + गृहे + अभिमतं।
    • अभिमतं: प्रिय।
  • अर्थ: क्या आपके घर में देवी का स्थान अप्रिय था?

7. चिरपरिचितास्ते ते भावाः

  • संधि-विच्छेद: चिर + परिचिताः + ते + ते + भावाः।
    • चिर: लंबे समय तक;
    • परिचिताः: परिचित।
  • अर्थ: लंबे समय से परिचित भाव।

व्याख्या:

इस अंश में तमसा, राम और ग्रामवासियों के संवाद से मानवीय दुःख, शोक और समाज की भूमिका को व्यक्त किया गया है।

  • तमसा: प्रिय के वियोग को जीवन और धर्म के लिए कष्टदायक बताती हैं।
  • राम: शोक के कारण मानसिक और शारीरिक वेदना का वर्णन करते हैं।
  • ग्रामवासियों से अपील: राम, ग्रामवासियों से देवी सीता को वन में छोड़ने के लिए उलाहना देते हैं और उनकी दया की याचना करते हैं।

यह अंश शोक की गहराई और समाज की संवेदनहीनता पर एक तीखा प्रश्न उठाता है।

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अध्यात्म,200,अनुसन्धान,19,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,2,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,13,आधुनिक विज्ञान,19,आधुनिक समाज,146,आयुर्वेद,45,आरती,8,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,5,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,119,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,1,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,49,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,48,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पौराणिक कथाएँ,64,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,99,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,38,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,27,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत कथा,118,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,3,भागवत के पांच प्रमुख गीत,2,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,90,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत नवम स्कन्ध,25,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,21,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,12,भागवत माहात्म्य(हिन्दी),4,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,33,भारतीय अर्थव्यवस्था,4,भारतीय इतिहास,20,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,6,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,40,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,35,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय संविधान,1,भारतीय सम्राट,1,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,1,मन्त्र-पाठ,7,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,33,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,124,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीयगीत,1,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,150,लघुकथा,38,लेख,168,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,10,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,1,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,9,व्रत एवं उपवास,35,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,455,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,60,स्वास्थ्य और देखभाल,1,हँसना मना है,6,हमारी संस्कृति,93,हिन्दी रचना,32,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,17,Download,3,General Knowledge,29,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,38,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,
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