मन्त्र 1 (केन उपनिषद)मूल पाठ:ॐ केनेषितं पतति प्रेषितं मनः। केन प्राणः प्रथमः प्रैति युक्तः।केनेषितां वाचमिमां वदन्ति। चक्षुः श्रोत्रं क उ देवो युनक्ति
मन्त्र 1 (केन उपनिषद)
शब्दार्थ:
- केन: किसके द्वारा।
- इषितं: प्रेरित।
- पतति: गति करता है।
- प्रेषितं: आदेशित।
- मनः: मन।
- प्राणः: जीवन-शक्ति।
- प्रथः: प्रारंभिक।
- युक्तः: संयोजित।
- वाचम्: वाणी।
- इमाम्: इस।
- वदन्ति: बोलती है।
- चक्षुः: नेत्र।
- श्रोत्रं: कान।
- क: कौन।
- देवः: देवता।
- युनक्ति: जोड़ता है, सक्रिय करता है।
अनुवाद:
मन किसके द्वारा प्रेरित होता है? प्राण किसके आदेश से गति करता है? यह वाणी किसके निर्देश पर बोलती है? आँखों और कानों को कौन देवता सक्रिय करता है?
व्याख्या:
1. प्रश्न का उद्देश्य:
यह मन्त्र ब्रह्म को जानने की जिज्ञासा से आरंभ होता है।
- मन, प्राण, वाणी, नेत्र, और कान जैसे इंद्रियों की शक्ति के पीछे कौन-सी दिव्य शक्ति है?
- यह प्रश्न ब्रह्म के अस्तित्व को समझने का प्रयास करता है।
2. इंद्रियों की सीमितता:
- यह स्पष्ट किया जाता है कि मन और इंद्रियां स्वतंत्र नहीं हैं; वे किसी उच्च शक्ति द्वारा संचालित होती हैं।
- यह उच्च शक्ति "ब्रह्म" है, जो चेतना और जीवन का स्रोत है।
3. ब्रह्म का अनुभव:
- ब्रह्म इंद्रियों के परे है, लेकिन वही उन्हें उनकी शक्तियां प्रदान करता है।
- इसे जानने के लिए आत्म-चिंतन और ध्यान आवश्यक है।
4. जीवन की गहराई:
यह मन्त्र यह बताता है कि जीवन की जटिलताएं (जैसे सोचने की शक्ति, सुनने की शक्ति) किसी गहरे स्रोत (ब्रह्म) से आती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
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चेतना का स्रोत:
- आधुनिक विज्ञान में भी यह प्रश्न उठता है कि मन और चेतना का मूल स्रोत क्या है।
- यह मन्त्र "ब्रह्म" को चेतना का अंतिम स्रोत मानता है।
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जीवन-शक्ति (प्राण):
- प्राण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधुनिक जीवविज्ञान में ऊर्जा और चेतना के अध्ययन से मेल खाता है।
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इंद्रियों का नियंत्रण:
- इंद्रियों को सक्रिय करने वाली शक्ति का पता आज तक विज्ञान भी पूरी तरह नहीं लगा सका है। यह मन्त्र उस "अज्ञेय शक्ति" की ओर इशारा करता है।
आध्यात्मिक संदेश:
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ब्रह्म की खोज:जीवन और इंद्रियों के पीछे की शक्ति को समझना ही ब्रह्म की खोज का पहला कदम है।
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इंद्रियों की सीमितता:केवल इंद्रियों के माध्यम से सत्य को नहीं जाना जा सकता। इसके लिए आत्मज्ञान आवश्यक है।
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जिज्ञासा का महत्व:इस मन्त्र का मूल उद्देश्य जिज्ञासा को जगाना है। जो व्यक्ति प्रश्न पूछता है, वही ज्ञान प्राप्त करता है।
आधुनिक संदर्भ में उपयोग:
- यह मन्त्र हमें सिखाता है कि हमारे जीवन की गहराई को समझने के लिए सतही ज्ञान से परे जाना चाहिए।
- आत्मचिंतन और ध्यान के माध्यम से अपने अस्तित्व के मूल स्रोत को जानने की कोशिश करनी चाहिए।
- यह हमें यह भी सिखाता है कि जीवन की जटिलताओं को समझने के लिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संतुलन आवश्यक है।
निष्कर्ष:
मन्त्र 1 ब्रह्म की खोज की शुरुआत है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम जीवन और चेतना के पीछे छिपी दिव्य शक्ति को जानने का प्रयास करें।
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