उत्तररामचरितम्, तृतीय अंक, श्लोक 16 का अर्थ, व्याख्या और शाब्दिक विश्लेषण
उत्तररामचरितम्, तृतीय अंक, श्लोक 16 का अर्थ, व्याख्या और शाब्दिक विश्लेषण |
संस्कृत पाठ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत पाठ:
सीता:
अवियुक्त इदानीं दीर्घायुरनया सौम्यदर्शनया भवतु।
रामः:
सखि वासन्ति! पश्य पश्य।
कान्तानुवृत्तिचातुर्यमपि शिक्षितं वत्सेन।
लीलोत्खातमृणालकाण्डकवलच्छेदेषु सम्पादिताः
पुष्यत्पुष्करवासितस्य पयसो गण्डूषसंक्रान्तयः।
सेकः शीकरिणा करेण विहितः कामं विरामे पुन-
र्यत्स्नेहादनरालनालनलिनीपत्रातपत्रं धृतम्॥ १६ ॥
हिन्दी अनुवाद:
सीता:
अब मेरा पुत्र दीर्घायु हो और इस सौम्य स्वरूप के साथ हमेशा सुखी रहे।
राम:
हे सखी वासंती! देखो, देखो।
यह देखो कि मेरे पुत्र ने अपनी माता की सेवा में कैसे चातुर्य सीखा है।
उसने खेलते-खेलते कमल के डंठल को तोड़कर,
उनके टुकड़े करके,
सुगंधित कमल-जल का गिलास तैयार किया।
अपने छोटे हाथों से उसने वह जल छिड़का और विश्राम के समय,
अपने प्रेम से, कमल-पत्र को छाते की तरह पकड़कर
अपनी माता को छाया प्रदान की।
शब्द-विश्लेषण:
-
अवियुक्त -
- अव - बिना;
- युक्त - अलग।
- अर्थ: जो हमेशा साथ रहे।
-
दीर्घायुः -
- दीर्घ - लंबा;
- आयुः - जीवन।
- अर्थ: लंबा जीवन।
-
कान्तानुवृत्तिचातुर्यम् -
- कान्ता - पत्नी या माता;
- अनुवृत्ति - सेवा करना;
- चातुर्यम् - चतुराई।
- अर्थ: माता की सेवा में कुशलता।
-
लीलोत्खातमृणालकाण्ड -
- लीलोत्खात - खेल-खेल में निकाला गया;
- मृणालकाण्ड - कमल के डंठल।
- अर्थ: खेलते हुए तोड़े गए कमल के डंठल।
-
गण्डूषसंक्रान्तयः -
- गण्डूष - मुँह में भरा गया जल;
- संक्रान्तयः - स्थानांतर।
- अर्थ: जल को मुँह से बाहर फेंकना।
-
शीकरिणा करेण -
- शीकरिणा - जल छिड़कने वाले;
- करेण - हाथ से।
- अर्थ: हाथ से जल छिड़कना।
-
अनरालनालनलिनीपत्रातपत्रं -
- अनराल - सीधा;
- नालनलिनीपत्र - कमल-पत्र।
- अर्थ: सीधा कमल का पत्ता।
शब्द-विश्लेषण
अंश के महत्वपूर्ण शब्दों का संधि, समास, धातु, उपसर्ग, प्रत्यय के आधार पर विश्लेषण इस प्रकार है:
1. अवियुक्त
- संधि-विच्छेद: अव + युक्त।
- धातु: √युज् (जोड़ना)।
- उपसर्ग: अव (निकटता, अलगाव)।
- अर्थ: जो अलग न हो, हमेशा जुड़ा रहे।
2. दीर्घायुः
- समास: तत्पुरुष समास (दीर्घ + आयुः)।
- धातु: √ई (जीवित रहना), आयुः (जीवन)।
- अर्थ: लंबा जीवन।
3. सौम्यदर्शनया
- संधि-विच्छेद: सौम्य + दर्शनया।
- धातु: √दृश् (देखना)।
- प्रत्यय: कर्मण्यत् प्रत्यय (दर्शन)।
- अर्थ: शांत और सुंदर रूपवाली।
4. वत्सेन
- धातु: √वद् (बोलना, पुत्र का संबोधन)।
- विभक्ति: तृतीया विभक्ति, एकवचन।
- अर्थ: पुत्र के द्वारा।
5. कान्तानुवृत्तिचातुर्यम्
- समास: द्वंद्व समास (कान्ता + अनुवृत्ति + चातुर्यम्)।
- कान्ता: माता या प्रिय।
- अनुवृत्ति: सेवा या अनुसरण।
- चातुर्यम्: चतुराई।
- अर्थ: माता की सेवा में कुशलता।
6. लीलोत्खातमृणालकाण्ड
- समास: कर्मधारय समास (लीला + उत्क्खात + मृणालकाण्ड)।
- लीला: खेल-खेल में।
- उत्क्खात: √खन् (खोदना), उत् (उपसर्ग)।
- मृणालकाण्ड: मृणाल (कमल की डंठल) + काण्ड (डंठल)।
- अर्थ: खेलते-खेलते निकाले गए कमल के डंठल।
7. पुष्यत्पुष्करवासितस्य
- संधि-विच्छेद: पुष्यत् + पुष्कर + वासितस्य।
- पुष्यत्: √पुष् (पोषित करना)।
- पुष्कर: कमल।
- वासित: √वस् (गंध फैलाना)।
- अर्थ: सुगंधित कमल का जल।
8. गण्डूषसंक्रान्तयः
- समास: बहुव्रीहि समास (गण्डूष + संक्रान्तयः)।
- गण्डूष: मुँह में भरा गया जल।
- संक्रान्तयः: √क्रम् (चलना), सम् (उपसर्ग)।
- अर्थ: मुँह में भरे जल का स्थानांतरण।
9. शीकरिणा करेण
- संधि-विच्छेद: शीकरिणा + करेण।
- शीकरिणा: √शीक (जल की बूँदें)।
- करेण: कर (हाथ), तृतीया विभक्ति।
- अर्थ: हाथ से जल छिड़कना।
10. अनरालनालनलिनीपत्रातपत्रम्
- समास: कर्मधारय समास (अनराल + नाल + नलिनी + पत्र + आतपत्र)।
- अनराल: सीधा।
- नाल: कमल का डंठल।
- नलिनीपत्र: कमल का पत्ता।
- आतपत्र: छाता।
- अर्थ: कमल के पत्ते का छाता।
11. विजेता
- धातु: √जि (जीतना)।
- उपसर्ग: वि (विशेषता)।
- प्रत्यय: षत्रु प्रत्यय (कर्ता)।
- अर्थ: जीतने वाला।
व्याख्या:
इस अंश में शब्द-विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि काव्य में संधि, समास, धातु और उपसर्ग-प्रत्यय का बहुत ही सुंदर और गहन उपयोग किया गया है। विशेषकर "कान्तानुवृत्तिचातुर्यम्" और "अनरालनालनलिनीपत्रातपत्रम्" जैसे शब्दों के समास और उपसर्ग की संरचना से पात्रों के गुणों और भावनाओं को बहुत प्रभावशाली तरीके से व्यक्त किया गया है।
इस अंश में माता-पुत्र के स्नेहपूर्ण और खेलते-खेलते सेवा करने की भावना को व्यक्त किया गया है। सीता अपने पुत्र की दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करती हैं, जबकि राम अपने पुत्र के चतुराई से किए गए कार्यों का वर्णन करते हैं। पुत्र का अपनी माता के प्रति प्रेम, सेवा और स्नेहपूर्ण कार्य (जैसे कमल-पत्र से छाया देना और जल छिड़कना) माता-पुत्र के गहरे संबंध को दर्शाता है।