उत्तररामचरितम् तृतीय अंक से पात्र, संदर्भ, व्याकरण (समास, सन्धि, धातु) आदि के साथ महत्वपूर्ण 100 प्रश्नोत्तर

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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उत्तररामचरितम् तृतीय अंक से पात्र, संदर्भ, व्याकरण (समास, सन्धि, धातु) आदि के साथ  महत्वपूर्ण 100 प्रश्नोत्तर
उत्तररामचरितम् तृतीय अंक से पात्र, संदर्भ, व्याकरण (समास, सन्धि, धातु) आदि के साथ  महत्वपूर्ण 100 प्रश्नोत्तर 


  उत्तररामचरितम् के छाया नामक तृतीय अंक के 50 से अधिक अंश प्रदान किए हैं, मैं अब उन सभी का पुनः विश्लेषण करके क्रमबद्ध प्रश्नोत्तर तैयार करता हूँ। प्रत्येक अंश के आधार पर पात्र, संवाद, समास, सन्धि, धातु, और व्याकरणिक विश्लेषण पर आधारित 100 से अधिक प्रश्नोत्तर तैयार किए जाएंगे।

नीचे मैंने उत्तररामचरितम् तृतीय अंक के सभी पाठ से महत्वपूर्ण 100 प्रश्नोत्तर तैयार किए हैं। प्रत्येक प्रश्न में पात्र, संदर्भ, व्याकरण (समास, सन्धि, धातु) आदि का विश्लेषण शामिल है।


प्रश्नोत्तर (1-25)

  1. ‘एका- सखि मुरले! किमसि सम्भ्रान्तेव?’ यह किसने कहा और किससे कहा?

    • उत्तर: एका ने मुरला से कहा।
  2. ‘सखि तमसे! प्रेषितास्मि भगवतोऽगस्त्यस्य पत्न्या।’ इसमें ‘प्रेषितास्मि’ का धातु और लकार बताइए।

    • उत्तर: धातु: प्र + इष। लकार: लट्।
  3. ‘जानास्येव यथा वधूपरित्यागात्प्रभृति।’ इसमें ‘वधूपरित्याग’ का समास और अर्थ बताइए।

    • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: पत्नी का त्याग।
  4. ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें ‘करुणो रसः’ का समास और अर्थ बताइए।

    • उत्तर: समास: कर्मधारय। अर्थ: करुण रस।
  5. ‘अधुना च रामभद्रेण प्रतिनिवर्तमानेन।’ इसमें ‘प्रतिनिवर्तमानेन’ का धातु और अर्थ बताइए।

    • उत्तर: धातु: निवृत। अर्थ: लौटना।
  6. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का लकार और पुरुष क्या है?

    • उत्तर: लकार: लोट्। पुरुष: मध्यम।
  7. ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ इसमें ‘दयम्’ का अर्थ और लिंग बताइए।

    • उत्तर: अर्थ: करुणा। लिंग: पुल्लिंग।
  8. ‘मोहे मोहे रामभद्रस्य।’ इसमें ‘मोहे मोहे’ का विभक्ति और अर्थ क्या है?

    • उत्तर: विभक्ति: सप्तमी। अर्थ: मोह में।
  9. ‘वध्वा सार्धं विहरन्।’ इसमें ‘वध्वा सार्धं’ का व्याकरणिक विश्लेषण करें।

    • उत्तर: वध्वा: स्त्रीलिंग, तृतीया विभक्ति। सार्धं: अव्यय।
  10. ‘ईदृशानां विषाकोऽपि जायते परमाद्भुतः।’ इसमें ‘विषाकः’ का अर्थ क्या है?

    • उत्तर: अर्थ: विषाद।
  11. ‘पुरा किल वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्’ का समास बताइए।

    • उत्तर: समास: षष्ठी तत्पुरुष।
  12. ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ इसमें ‘वत्से’ का व्याकरणिक विश्लेषण करें।

    • उत्तर: लिंग: स्त्री। विभक्ति: संबोधन।
  13. ‘जानास्येव यथा वधूपरित्यागात्प्रभृति।’ इसमें ‘प्रभृति’ का अर्थ बताइए।

    • उत्तर: अर्थ: प्रारंभ से।
  14. ‘स्तन्यत्यागात्परेण।’ इसमें ‘स्तन्यत्याग’ का समास और अर्थ बताइए।

    • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: स्तनपान का त्याग।
  15. ‘चिरपरिचितान्यक्षराणि।’ इसमें ‘चिरपरिचित’ का समास और अर्थ क्या है?

    • उत्तर: समास: कर्मधारय। अर्थ: लंबे समय से परिचित।
  16. ‘स्नपयति दयेशं स्नेहनिष्यन्दिनी।’ इसमें ‘स्नेहनिष्यन्दिनी’ का अर्थ बताइए।

    • उत्तर: अर्थ: स्नेह छलकाने वाली।
  17. ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें ‘रामस्य’ का विभक्ति और वचन बताइए।

    • उत्तर: षष्ठी विभक्ति, एकवचन।
  18. ‘दृष्टि धवलमधुरमुग्धा।’ इसमें ‘धवल’ और ‘मधुर’ का व्याकरणिक विश्लेषण करें।

    • उत्तर: धवल: विशेषण, पुल्लिंग। मधुर: विशेषण, पुल्लिंग।
  19. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘तमसा’ का लिंग और विभक्ति बताइए।

    • उत्तर: लिंग: स्त्री। विभक्ति: संबोधन।
  20. ‘कथं वा गम्यते।’ इसमें ‘गम्यते’ का लकार और पुरुष क्या है?

    • उत्तर: लकार: लट्। पुरुष: प्रथम।
  21. ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें ‘परित्यज्य’ का लकार क्या है?

    • उत्तर: लकार: ल्यबन्त (तुमुन् प्रत्यय)।
  22. ‘भगवति गोदावरि! त्वया सावधानया भवितव्यम्।’ इसमें ‘सावधानया’ का लिंग और विभक्ति क्या है?

    • उत्तर: लिंग: स्त्री। विभक्ति: तृतीया।
  23. ‘सीतासमेता केनचिदिव गृहाचारव्यपदेशेन।’ इसमें ‘गृहाचार’ का समास क्या है?

    • उत्तर: तत्पुरुष समास।
  24. ‘पुत्रकयोर्द्वादशस्य जन्मवत्सरस्य।’ इसमें ‘जन्मवत्सर’ का अर्थ और समास बताइए।

    • उत्तर: अर्थ: जन्म का वर्ष। समास: षष्ठी तत्पुरुष।
  25. ‘पञ्चवटीप्रवेशो महाननर्थः।’ इसमें ‘पञ्चवटीप्रवेश’ का समास और अर्थ बताइए।

    • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: पञ्चवटी में प्रवेश।

प्रश्नोत्तर (26-50)

  1. ‘जानास्येव यथा वधूपरित्यागात्प्रभृति।’ इसमें ‘जानासि’ का धातु और लकार क्या है?
  • उत्तर: धातु: ज्ञा। लकार: लट्, मध्यम पुरुष।
  1. ‘रामभद्रेण प्रतिनिवर्तमानेन।’ इसमें ‘प्रतिनिवर्तमानेन’ का विभक्ति और वचन बताइए।
  • उत्तर: तृतीया विभक्ति, एकवचन।
  1. ‘मोहे मोहे रामभद्रस्य जीवं प्रेरितैस्तर्पयेति।’ इसमें ‘तर्पयेति’ का धातु और लकार बताइए।
  • उत्तर: धातु: तृप्। लकार: लोट्, प्रथम पुरुष।
  1. ‘स्नेहस्य सञ्जीवनोपायस्तु मूलत एव रामभद्रस्य सन्निहितः।’ इसमें ‘सन्निहितः’ का अर्थ और प्रकार बताइए।
  • उत्तर: अर्थ: उपस्थित। प्रकार: विशेषण।
  1. ‘पुरा किल वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें ‘परित्यज्य’ का अर्थ और रूप क्या है?
  • उत्तर: अर्थ: छोड़कर। रूप: ल्यबन्त।
  1. ‘जानकी! तमसे! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूः।’ इसमें ‘प्रकृष्टप्रेम’ का समास और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: समास: कर्मधारय। अर्थ: अत्यधिक प्रेम।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः सन्धारणीयः।’ इसमें ‘सन्धारणीयः’ का धातु और प्रत्यय क्या है?
  • उत्तर: धातु: धृ। प्रत्यय: ण्यत्।
  1. ‘जटायुपक्षतिरितः।’ इसमें ‘जटायुपक्ष’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: षष्ठी तत्पुरुष। अर्थ: जटायु का पंख।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम्।’ इसमें ‘उभाभ्याम्’ का व्याकरणिक रूप क्या है?
  • उत्तर: द्विवचन, तृतीया विभक्ति।
  1. ‘तमसा! त्वयि प्रकृष्टप्रेम।’ इसमें ‘त्वयि’ का विभक्ति और प्रकार क्या है?
  • उत्तर: सप्तमी विभक्ति। सर्वनाम।
  1. ‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ इसमें ‘परिदुर्मनायित’ का अर्थ क्या है?
  • उत्तर: अर्थ: उदासीन बनाया गया।
  1. ‘उच्छ्वसितप्रस्नुतस्तनी।’ इसमें ‘उच्छ्वसित’ का धातु और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: धातु: श्वस्। अर्थ: गहराई से सांस लेना।
  1. ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ इसमें ‘सन्तापजाम्’ का समास और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: तप से उत्पन्न।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का काल और लकार क्या है?
  • उत्तर: काल: विधिलिंग। लकार: लोट्।
  1. ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ इसमें ‘कुसुमसमबन्धन’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: फूलों का संबंध।
  1. ‘पुत्रकयोर्द्वादशस्य जन्मवत्सरस्य।’ इसमें ‘द्वादशस्य’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: षष्ठी।
  1. ‘प्रतिनिवर्तमानेन नियतमेव पञ्चवटीवने।’ इसमें ‘पञ्चवटीवने’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: षष्ठी तत्पुरुष। अर्थ: पञ्चवटी का वन।
  1. ‘परिकम्पिनः प्रकम्पी करान्मम।’ इसमें ‘परिकम्पिनः’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: षष्ठी।
  1. ‘जानास्येव यथा वधूपरित्यागात्प्रभृति।’ इसमें ‘वधूपरित्यागात्’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: पत्नी का त्याग।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का धातु और लकार क्या है?
  • उत्तर: धातु: आश्वस्। लकार: लोट्।
  1. ‘अयि वत्से! समाश्वसिहि।’ इसमें ‘वत्से’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: स्त्री। विभक्ति: संबोधन।
  1. ‘अहो! संविधानकम्।’ इसमें ‘संविधानकम्’ का अर्थ क्या है?
  • उत्तर: अर्थ: व्यवस्थित।
  1. ‘अनुदिनं वर्धमानं।’ इसमें ‘अनुदिनं’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: अव्ययीभाव। अर्थ: हर दिन।
  1. ‘गोदावरीकाननोद्देशाः।’ इसमें ‘कानन’ का अर्थ क्या है?
  • उत्तर: अर्थ: वन।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्यामभ्युपपन्ना।’ इसमें ‘पृथ्वीभागीरथी’ का समास और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: समास: द्वंद्व। अर्थ: पृथ्वी और गंगा।

प्रश्नोत्तर (51-75)

  1. ‘अविरलविनोदव्यतिकरैः विमर्दैः।’ इसमें ‘अविरलविनोद’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: कर्मधारय। अर्थ: लगातार आनंद।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का वचन और काल बताइए।
  • उत्तर: वचन: एकवचन। काल: विधिलिंग।
  1. ‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ इसमें ‘प्रत्युप्त’ का धातु और रूप क्या है?
  • उत्तर: धातु: उप। रूप: कृत प्रत्यय (क्त)।
  1. ‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ इसमें ‘परिदुर्मनायित’ का लकार और वचन क्या है?
  • उत्तर: लकार: कृत प्रत्यय। वचन: एकवचन।
  1. ‘नवकुलयस्निग्धैः।’ इसमें ‘नवकुलय’ का अर्थ और समास बताइए।
  • उत्तर: अर्थ: नए पत्ते। समास: कर्मधारय।
  1. ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें ‘रसः’ का लिंग और विभक्ति क्या है?
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: प्रथमा।
  1. ‘अहो! संविधानकम्।’ इसमें ‘अहो’ का प्रकार और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: प्रकार: अव्यय। अर्थ: आश्चर्य या प्रशंसा।
  1. ‘स्नेहादभिशङ्क्य सीतासमेता।’ इसमें ‘स्नेहादभिशङ्क्य’ का अर्थ बताइए।
  • उत्तर: अर्थ: प्रेम के कारण अनुमान लगाते हुए।
  1. ‘परिकम्पिनः प्रकम्पी करान्मम।’ इसमें ‘परिकम्पिनः’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: षष्ठी।
  1. ‘परिणीतमपि किम्?’ इसमें ‘परिणीत’ का धातु और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: धातु: नी। अर्थ: विवाह करना।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्यामभ्युपपन्ना।’ इसमें ‘उभाभ्याम्’ का विभक्ति और वचन क्या है?
  • उत्तर: विभक्ति: तृतीया। वचन: द्विवचन।
  1. ‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ इसमें ‘परिदुर्मनायित’ का समास और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: समास: बहुव्रीहि। अर्थ: उदासीन।
  1. ‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ इसमें ‘आयन्त्या’ का धातु और विभक्ति क्या है?
  • उत्तर: धातु: या। विभक्ति: तृतीया।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम्।’ इसमें ‘पृथ्वीभागीरथी’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: द्वंद्व। अर्थ: पृथ्वी और गंगा।
  1. ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ इसमें ‘सपदि’ का प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: अव्यय। अर्थ: तुरंत।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः सन्धारणीयः।’ इसमें ‘सन्धारणीयः’ का लकार और प्रत्यय क्या है?
  • उत्तर: लकार: कृत। प्रत्यय: ण्यत्।
  1. ‘अहो! महान प्रमादः।’ इसमें ‘महान’ का लिंग और विभक्ति क्या है?
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: प्रथमा।
  1. ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ इसमें ‘निरुध्यते’ का लकार और पुरुष बताइए।
  • उत्तर: लकार: लट्। पुरुष: प्रथम।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्यामभ्युपपन्ना।’ इसमें ‘पृथ्वीभागीरथी’ का समास और प्रकार क्या है?
  • उत्तर: समास: द्वंद्व। प्रकार: संज्ञा।
  1. ‘पञ्चवटीप्रवेशो महाननर्थः।’ इसमें ‘महाननर्थः’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: कर्मधारय। अर्थ: बड़ा अनर्थ।
  1. ‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ इसमें ‘आयन्त्या’ का विभक्ति और लिंग क्या है?
  • उत्तर: विभक्ति: तृतीया। लिंग: स्त्री।
  1. ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ इसमें ‘दयम्’ का प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: संज्ञा। अर्थ: दया।
  1. ‘परिणीतमपि किम्?’ इसमें ‘परिणीत’ का विभक्ति और वचन क्या है?
  • उत्तर: विभक्ति: द्वितीया। वचन: एकवचन।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः सन्धारणीयः।’ इसमें ‘सन्धारणीयः’ का धातु और प्रकार क्या है?
  • उत्तर: धातु: धृ। प्रकार: कृत प्रत्यय।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का धातु और लकार क्या है?
  • उत्तर: धातु: आश्वस्। लकार: लोट्।

प्रश्नोत्तर (76-100)

  1. ‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ इसमें ‘दयिते’ का अर्थ और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: अर्थ: प्रिय। विभक्ति: संबोधन।
  1. ‘स्नपयति दयेशं स्नेहनिष्यन्दिनी।’ इसमें ‘दयेशं’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: द्वितीया।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘तमसा’ का व्याकरणिक विश्लेषण करें।
  • उत्तर: लिंग: स्त्री। विभक्ति: संबोधन।
  1. ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें ‘उभाभ्याम’ का प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: सर्वनाम। अर्थ: दोनों से।
  1. ‘अहो! महान प्रमादः।’ इसमें ‘प्रमादः’ का समास और लिंग बताइए।
  • उत्तर: समास: अव्ययीभाव। लिंग: पुल्लिंग।
  1. ‘अनुदिनं वर्धमानं।’ इसमें ‘वर्धमानं’ का धातु और लकार बताइए।
  • उत्तर: धातु: वर्ध्। लकार: शतृ प्रत्यय।
  1. ‘गोदावरीकाननोद्देशाः।’ इसमें ‘उद्देशाः’ का विभक्ति और वचन क्या है?
  • उत्तर: विभक्ति: प्रथमा। वचन: बहुवचन।
  1. ‘परिकम्पिनः प्रकम्पी करान्मम।’ इसमें ‘प्रकम्पी’ का धातु और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: धातु: कम्प्। अर्थ: कांपना।
  1. ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ इसमें ‘मूर्च्छाम्’ का लकार और पुरुष क्या है?
  • उत्तर: लकार: लट्। पुरुष: उत्तम।
  1. ‘तमसा- गच्छावः।’ इसमें ‘गच्छावः’ का लकार, पुरुष, और वचन बताइए।
  • उत्तर: लकार: लट्। पुरुष: उत्तम। वचन: द्विवचन।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः सन्धारणीयः।’ इसमें ‘सन्धारणीयः’ का प्रत्यय और प्रकार क्या है?
  • उत्तर: प्रत्यय: ण्यत्। प्रकार: कृत।
  1. ‘महाननर्थः।’ इसमें ‘महान’ का लिंग और विभक्ति क्या है?
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: प्रथमा।
  1. ‘नवकुलयस्निग्धैः।’ इसमें ‘स्निग्ध’ का व्याकरणिक प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: विशेषण। अर्थ: चमकीला।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ इसमें ‘शोकः’ का लिंग और विभक्ति बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। विभक्ति: प्रथमा।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का वचन और लकार क्या है?
  • उत्तर: वचन: एकवचन। लकार: लोट्।
  1. ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें ‘परित्यज्य’ का प्रकार और लकार क्या है?
  • उत्तर: प्रकार: ल्यबन्त। लकार: क्त्वा प्रत्यय।
  1. ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ इसमें ‘निरुध्यते’ का लिंग और लकार बताइए।
  • उत्तर: लिंग: पुल्लिंग। लकार: लट्।
  1. ‘पञ्चवटीप्रवेशो महाननर्थः।’ इसमें ‘पञ्चवटीप्रवेश’ का समास और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: पञ्चवटी में प्रवेश।
  1. ‘तमसा- गच्छावः।’ इसमें ‘गच्छावः’ का पुरुष और वचन बताइए।
  • उत्तर: पुरुष: उत्तम। वचन: द्विवचन।
  1. ‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ इसमें ‘प्रत्युप्त’ का प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: कृत प्रत्यय। अर्थ: लगाया हुआ।
  1. ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें ‘करुणो’ का प्रकार और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: प्रकार: विशेषण। अर्थ: करुणामय।
  1. ‘तमसा- समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का धातु और रूप बताइए।
  • उत्तर: धातु: आश्वस्। रूप: लोट्, मध्यम पुरुष।
  1. ‘नवकुलयस्निग्धैः।’ इसमें ‘नवकुलय’ का अर्थ और समास बताइए।
  • उत्तर: अर्थ: नए पत्ते। समास: कर्मधारय।
  1. ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ इसमें ‘स्नेहाधिकायः’ का समास और अर्थ क्या है?
  • उत्तर: समास: तत्पुरुष। अर्थ: स्नेह से अधिक।
  1. ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ इसमें ‘सपदि’ का प्रकार और अर्थ बताइए।
  • उत्तर: प्रकार: अव्यय। अर्थ: तुरंत।


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