उत्तररामचरितम् के छाया नामक तृतीय अंक से संवादात्मक महत्तपूर्ण प्रश्नोत्तर (100) |
यहां उत्तररामचरितम् के छाया नामक तृतीय अंक से संवादात्मक प्रश्नोत्तर (100) प्रस्तुत किए गए हैं। सभी प्रश्न संवाद के आधार पर हैं, जिनमें पात्र, संदर्भ, और व्याकरणिक विश्लेषण शामिल है।
प्रश्नोत्तर (1-25)
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‘सखि मुरले! किमसि सम्भ्रान्तेव?’ यह किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह एका ने मुरला से कहा।
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‘सखि तमसे! प्रेषितास्मि भगवतोऽगस्त्यस्य पत्न्या लोपामुद्रया।’ यह वाक्य किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह वाक्य मुरला ने तमसा से कहा। संदर्भ: गोदावरी से वार्ता करने का आदेश।
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‘जानास्येव यथा वधूपरित्यागात्प्रभृति।’ यह किसने कहा और किस विषय में?
- उत्तर: यह मुरला ने तमसा से कहा। विषय: सीता का वधूपरित्याग।
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‘रामस्य करुणो रसः।’ यह किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह मुरला ने तमसा से राम के दुःख के संदर्भ में कहा।
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‘भगवति गोदावरि! त्वया सावधानया भवितव्यम्।’ यह संवाद किसका है और क्यों कहा गया?
- उत्तर: यह तमसा का संवाद है। संदर्भ: सीता के प्रति गोदावरी को सतर्क रहने का निर्देश।
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‘मोहे मोहे रामभद्रस्य जीवं प्रेरितैस्तर्पयेति।’ यह किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
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‘तमसे! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूर्जानकी।’ यह संवाद किसने कहा और किस विषय में?
- उत्तर: यह भागीरथी ने तमसा से कहा। विषय: सीता का प्रेम।
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‘इयं हि सा।’ यह संवाद किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
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‘हा धिक्! तान्येव चिरपरिचितान्यक्षराणि।’ यह संवाद किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह सीता ने कहा। संदर्भ: पञ्चवटी के दर्शन।
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‘जानामि वत्से! जानामि।’ यह किसने कहा और किससे?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
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‘हा धिक्! कथमेतत्?’ यह किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता के वियोग पर शोक।
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‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ यह संवाद किसने कहा और किससे?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
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‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ यह संवाद किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह राम ने सीता से कहा।
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‘हा धिक्! किमेतस्य दर्शनेन?’ यह किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह सीता ने कहा। संदर्भ: राम के दुःख की स्थिति।
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‘स्नेहादभिशङ्क्य सीतासमेता।’ यह किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा। संदर्भ: राम के वियोग के डर।
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‘आयन्त्या परिदुर्मनायितमिव।’ यह संवाद किसने कहा?
- उत्तर: यह वासन्ती ने कहा।
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‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम्।’ यह वाक्य किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह तमसा ने कहा। संदर्भ: कुश और लव का पालन।
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‘वध्वा सार्धं विहरन्।’ यह किसके विषय में कहा गया?
- उत्तर: यह सीता के पुत्र के विषय में कहा गया।
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‘हा धिक्! कथमेतत्?’ यह किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता की अनुपस्थिति।
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‘तमसा- समाश्वसिहि।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
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‘तमसा! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूर्जानकी।’ इसमें कौन किससे संवाद कर रहा है?
- उत्तर: यह भागीरथी ने तमसा से कहा।
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‘विमानराज! इत इतः।’ यह संवाद किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता की खोज।
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‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्यामभ्युपपन्ना।’ इसमें किसकी बात हो रही है?
- उत्तर: यह संवाद सीता के पुत्रों के पालन के विषय में है।
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‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह राम ने वासन्ती से कहा।
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‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ यह किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता के प्रति प्रेम व्यक्त करने का।
प्रश्नोत्तर (26-50)
- ‘अहो! उत्खातितमिदानीं मे परित्यागशल्यम्।’ यह किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह सीता ने वासन्ती से कहा।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः सन्धारणीयः।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘हा धिक्! किमेतस्य दर्शनेन?’ यह किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह सीता ने तमसा से कहा। संदर्भ: राम के वियोग के शोक का।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ यह संवाद किसका है और किससे?
- उत्तर: यह तमसा का संवाद है। मुरला से।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह तमसा ने कहा। संदर्भ: सीता के वन गमन का।
- ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘जानामि वत्से! जानामि।’ यह संवाद किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा। संदर्भ: राम और वियोग के विषय में।
- ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘पञ्चवटीप्रवेशो महाननर्थः।’ यह संवाद किसने कहा और किससे?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘वत्से! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूर्जानकी।’ यह किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह भागीरथी ने तमसा से कहा।
- ‘कथं वा गम्यते।’ यह संवाद किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा। संदर्भ: पथ दिखाने का।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह संवाद किसने और क्यों कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने कहा। संदर्भ: सीता के वन में गमन का।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ यह किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा। संदर्भ: वियोग के दुःख का।
- ‘रामभद्रेण प्रतिनिवर्तमानेन।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘रामस्य करुणो रसः।’ यह संवाद किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह मुरला ने तमसा से कहा।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ इसमें ‘वत्से’ किससे कहा गया?
- उत्तर: सीता से कहा गया।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह संवाद किसका है और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह तमसा का है। संदर्भ: सीता के वन में गमन का।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ यह किसने और किस संदर्भ में कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘वत्से! समाश्वसिहि।’ यह संवाद किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें किसका वर्णन है?
- उत्तर: सीता के वन गमन का।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें किसकी बात हो रही है?
- उत्तर: कुश और लव के पालन की।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ इसमें ‘स्नेहाधिक’ का संदर्भ क्या है?
- उत्तर: राम और सीता के गहरे प्रेम का।
प्रश्नोत्तर (51-75)
- ‘रामस्य करुणो रसः।’ यह संवाद किसका है और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह मुरला का संवाद है। संदर्भ: राम के वियोग में उनकी करुणा व्यक्त करना।
- ‘तमसा! गच्छावः।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह सीता ने तमसा से कहा।
- ‘वल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह किसके जीवन की घटना को संदर्भित करता है?
- उत्तर: यह सीता के वन गमन को संदर्भित करता है।
- ‘वत्से! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूर्जानकी।’ यह संवाद किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह भागीरथी ने तमसा से कहा। संदर्भ: सीता के प्रति राम का गहरा प्रेम।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ यह संवाद किसका है और किससे कहा गया?
- उत्तर: यह तमसा का संवाद है। कहा गया सीता से।
- ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ यह संवाद किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता के वियोग के कारण उनकी मूर्च्छा।
- ‘हा धिक्! कथमेतत्?’ यह संवाद किसने कहा और किस संदर्भ में?
- उत्तर: यह राम ने कहा। संदर्भ: सीता के बिना जीवन को व्यर्थ मानते हुए।
- ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ यह संवाद किसका है और किससे?
- उत्तर: यह राम का संवाद है। कहा गया वासन्ती से।
- ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ यह संवाद किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘कथं वा गम्यते।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘गोदावरीकाननोद्देशाः।’ यह संवाद किसका है और किससे कहा गया?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ इसमें ‘वत्से’ संबोधन किसके लिए है?
- उत्तर: यह संबोधन सीता के लिए है।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें किसका वर्णन है?
- उत्तर: यह कुश और लव के पालन का वर्णन है।
- ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें किसकी स्थिति का वर्णन है?
- उत्तर: यह राम के करुणा रस (वियोग) की स्थिति है।
- ‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ इसमें ‘दयिते’ का संबोधन किसके लिए है?
- उत्तर: यह सीता के लिए है।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें किस घटना का संकेत है?
- उत्तर: यह सीता के वन गमन का संकेत है।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का उद्देश्य क्या है?
- उत्तर: सीता को सांत्वना देना।
- ‘वत्से! त्वयि प्रकृष्टप्रेमैव वधूर्जानकी।’ इसमें किसके प्रेम का वर्णन है?
- उत्तर: राम के सीता के प्रति गहरे प्रेम का।
- ‘हा धिक्! किमेतस्य दर्शनेन?’ यह संवाद किसने कहा और क्यों?
- उत्तर: यह सीता ने कहा। संदर्भ: राम के दुःख को देखकर।
- ‘तमसा! गच्छावः।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह सीता ने तमसा से कहा।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें ‘उभाभ्याम’ का संकेत किस पर है?
- उत्तर: कुश और लव पर।
- ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य।’ यह किसकी स्थिति का वर्णन है?
- उत्तर: यह राम की स्थिति का वर्णन है।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ इसमें किस शोक का उल्लेख है?
- उत्तर: राम और सीता के वियोग का।
प्रश्नोत्तर (76-100)
- ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ यह संवाद किसका है और किससे कहा गया?
- उत्तर: यह राम का संवाद है। कहा गया वासन्ती से।
- ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ यह संवाद किसने कहा और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने सीता से कहा।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ इसमें किसका वर्णन है?
- उत्तर: यह सीता के वन गमन का वर्णन है।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ इसमें किस भावना का संकेत है?
- उत्तर: सांत्वना और सहानुभूति।
- ‘प्रत्युप्तस्येव दयिते।’ इसमें ‘दयिते’ का प्रयोग किसके लिए है?
- उत्तर: सीता के लिए।
- ‘हा धिक्! किमेतस्य दर्शनेन?’ इसमें किसकी भावना व्यक्त की गई है?
- उत्तर: सीता की पीड़ा और शोक।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें किसकी चर्चा की गई है?
- उत्तर: कुश और लव के पालन की।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ यह संवाद किसका है और क्यों कहा गया?
- उत्तर: यह तमसा का है। कहा गया सीता से।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह संवाद किस संदर्भ में कहा गया?
- उत्तर: यह सीता के वन गमन के संदर्भ में कहा गया।
- ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह राम ने वासन्ती से कहा।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ इसमें किसकी सांत्वना दी जा रही है?
- उत्तर: सीता की।
- ‘रामस्य करुणो रसः।’ यह किसकी स्थिति का वर्णन है?
- उत्तर: राम के वियोग की स्थिति।
- ‘कुसुमसमबन्धनं मे दयम्।’ इसमें ‘दयम्’ का उपयोग किसके लिए है?
- उत्तर: राम के प्रति करुणा व्यक्त करने के लिए।
- ‘तमसा! गच्छावः।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह सीता ने तमसा से कहा।
- ‘वत्से! देवयजनसम्भवे।’ यह संवाद किसका है और किससे?
- उत्तर: यह तमसा का संवाद है। कहा गया सीता से।
- ‘सन्तापजां सपदि यः परित्यज्य मूर्च्छाम्।’ यह किसकी स्थिति का वर्णन है?
- उत्तर: राम की।
- ‘पृथ्वीभागीरथीभ्यामप्युभाभ्याम।’ इसमें ‘उभाभ्याम’ का संदर्भ क्या है?
- उत्तर: कुश और लव के पालन का।
- ‘स्नेहाधिकायः शोकः।’ इसमें किस प्रकार का शोक व्यक्त किया गया है?
- उत्तर: राम और सीता के वियोग का।
- ‘वाल्मीकितपोवनोपकण्ठात्परित्यज्य।’ यह संवाद किसने और किससे कहा?
- उत्तर: यह तमसा ने मुरला से कहा।
- ‘रामस्य करुणो रसः।’ इसमें किस रस का वर्णन है?
- उत्तर: करुण रस।
- ‘तमसा! समाश्वसिहि।’ इसमें ‘समाश्वसिहि’ का प्रयोग क्यों किया गया?
- उत्तर: सीता को सांत्वना देने के लिए।
- ‘हा धिक्! किमेतस्य दर्शनेन?’ यह संवाद किसका है?
- उत्तर: यह सीता का संवाद है।
- ‘सन्निकर्षो निरुध्यते।’ इसमें ‘निरुध्यते’ का प्रयोग किस संदर्भ में है?
- उत्तर: राम और सीता के बीच दूरी के संदर्भ में।
- ‘तमसा! गच्छावः।’ इसमें ‘गच्छावः’ किससे संबोधित है?
- उत्तर: यह तमसा से संबोधित है।
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