सूर्यवंश का वर्णन भागवत पुराण , नौवें स्कंध, अध्याय 1-13

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0
यह चित्र भागवत पुराण के नौवें स्कंध में वर्णित सूर्यवंश (सूर्य वंशजों) का भव्य विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें राजा इक्ष्वाकु, हरिश्चंद्र, भगीरथ और भगवान राम जैसे प्रमुख सूर्यवंशी राजाओं को उनके दिव्य और शाही रूप में दर्शाया गया है। पृष्ठभूमि में चमकता हुआ सूर्य सूर्यवंश की महानता को दर्शाता है। कृपया बताएं कि यह चित्र आपकी अपेक्षाओं के अनुसार है या नहीं!

यह चित्र भागवत पुराण के नौवें स्कंध में वर्णित सूर्यवंश (सूर्य वंशजों) का भव्य विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें राजा इक्ष्वाकु, हरिश्चंद्र, भगीरथ और भगवान राम जैसे प्रमुख सूर्यवंशी राजाओं को उनके दिव्य और शाही रूप में दर्शाया गया है। पृष्ठभूमि में चमकता हुआ सूर्य सूर्यवंश की महानता को दर्शाता है। 



 सूर्यवंश का वर्णन भागवत पुराण के नौवें स्कंध, अध्याय 1-13 में विस्तृत रूप से दिया गया है। सूर्यवंश का प्रारंभ भगवान ब्रह्मा के पुत्र वैवस्वत मनु से हुआ। यह वंश रघु, अंशुमान, दिलीप, और भगवान श्रीराम जैसे महान राजाओं के लिए प्रसिद्ध है। सूर्यवंश के राजा धर्म, सत्य, और न्याय के पालन में आदर्श माने जाते हैं।

सूर्यवंश की उत्पत्ति

  • ब्रह्मा जी के मन से 10 पुत्रों में एक मरीचि ऋषि का जन्म हुआ।
  • मरीचि की पत्नी कला से कश्यप ऋषि का जन्म हुआ।
  • कश्यप का दक्षपुत्री अदिति से विवाह हुआ जिससे विवस्वान् सूर्य का जन्म हुआ।
  • सूर्य की संज्ञा नामक पत्नी से श्राद्धदेव मनु का जन्म हुआ।
  • मनु का विवाह श्रद्धा से हुआ जिससे 10 सन्तानें उत्पन्न हुईं।


1. सूर्य: भगवान सूर्य को इस वंश का प्रमुख माना जाता है।

2. वैवस्वत मनु: सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु से यह वंश आरंभ हुआ। वैवस्वत मनु को सातवें मन्वंतर का मनु माना जाता है।

श्लोक:

वैवस्वतः श्राद्धदेवः सप्तमः प्रजापतिः।

मनुः स्वायंभुवाद्येषां क्रमशः सर्ग उत्पतिः।।

(भागवत पुराण 9.1.2)

भावार्थ:

वैवस्वत मनु सातवें मन्वंतर के मनु थे, जिनसे सूर्यवंश का प्रारंभ हुआ।

वैवस्वत मनु के पुत्र

वैवस्वत मनु के संज्ञा नामक पत्नी से दस पुत्र थे:

1. इक्ष्वाकु

2. नृग

3. शर्याति

4. दिष्ट

5. धृष्ट 

6. करूष

7. नरिष्यन्त

8. पृषध्र 

9. नभग

10. कवि

इनमें इक्ष्वाकु से सूर्यवंश का विस्तार हुआ।

श्लोक:

इक्ष्वाकुनृगशर्याति दिष्टधृष्ट करूषकान् ।


       नरिष्यन्तं पृषध्रं च नभगं च कविं विभुः ॥ १२ ॥

भावार्थ:

वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में इक्ष्वाकु सबसे प्रमुख थे, जिनसे यह महान वंश प्रारंभ हुआ।

सूर्यवंश के प्रमुख राजा

1. इक्ष्वाकु

  • इक्ष्वाकु वैवस्वत मनु के सबसे बड़े पुत्र थे।
  • उन्होंने धर्म और सत्य पर आधारित शासन किया।
  • उनके वंश में कई महान राजा हुए।

2. कुकुत्स्थ

  • इक्ष्वाकु के वंशज कुकुट्स्थ महान योद्धा थे।
  • इनके कारण यह वंश "कौशल्य" भी कहलाता है।

श्लोक:

कुकुट्स्थश्च ततः श्रेष्ठो योऽभवत्त्रैलोक्यविख्यातः।

धर्मं पालयमानोऽयं सर्वेषां प्रियदर्शनः।।

(भागवत पुराण 9.6.11)


3. युवनाश्व और उनके पुत्र मांधाता

  • युवनाश्व को बिना पत्नी के पुत्र हुआ। उनके पुत्र का नाम मांधाता रखा गया।
  • मांधाता चक्रवर्ती राजा बने और तीनों लोकों पर शासन किया।

श्लोक:

यवनाश्वस्य पुत्रोऽभूत् मांधाता चक्री नराधिपः।

त्रैलोक्यं विजयेनाजौ धर्मेण च समर्पितम्।।

(भागवत पुराण 9.7.6)

4. सगर

राजा सगर ने अपने पराक्रम और धर्मपरायणता के लिए प्रसिद्धि पाई।

उन्होंने अपने 60,000 पुत्रों के साथ गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयास किया।

श्लोक:

सगरोऽभवत्सप्तपदीषु विश्वस्मिन् प्रसिद्धो महायशाः।

सविंशति सहस्राणि पुत्राणामस्य जज्ञिरे।।

(भागवत पुराण 9.8.8)


5. अंशुमान

  • सगर के पौत्र अंशुमान ने अपने पराक्रम और भक्ति से प्रसिद्धि पाई।
  • उन्होंने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने का कार्य आरंभ किया।

श्लोक:

अंशुमान् सगरो नन्दनः सत्यधृतिर्महात्मानः।

गङ्गाप्रवाहमानीय पितॄणां मुक्तये स्थितः।।

(भागवत पुराण 9.9.6)


6. भागीरथ

  • भागीरथ ने घोर तपस्या कर गंगा को पृथ्वी पर उतारा।
  • गंगा के प्रवाह से सगर के 60,000 पुत्रों का उद्धार हुआ।

श्लोक:

गङ्गा हिमाचलाद्याता भगीरथस्य महात्मनः।

त्रैलोक्यपावनी जज्ञे पतिता सागरं प्रति।।

(भागवत पुराण 9.9.18)

7. महाराज रघु

  • रघु के नाम पर यह वंश रघुवंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • उन्होंने धर्म और न्याय पर आधारित शासन किया।

श्लोक:

रघोः प्रसिद्धो वंशोऽयं यत्र श्रीराम उत्तमः।

युगादाववताराय विष्णुर्नारायणः स्वयम्।।

(भागवत पुराण 9.10.2)

8. भगवान श्रीराम

  • श्रीराम सूर्यवंश के सबसे महान राजा और भगवान विष्णु के अवतार थे।
  • उन्होंने धर्म, सत्य, और आदर्श का पालन करते हुए राक्षस राज रावण का वध किया।
  • श्रीराम का राज्य आदर्श शासन का प्रतीक है।

श्लोक:

रामो रामो रघुकुलभूषणः सत्यसन्धः शीलवान्।

धर्मं स्थापयति सर्वत्र लोकं त्राणं करिष्यति।।

(भागवत पुराण 9.10.6)

सूर्यवंश के अन्य प्रमुख राजा

1. लव और कुश: श्रीराम के पुत्र, जिन्होंने सूर्यवंश की महिमा को आगे बढ़ाया।

2. नभग और अम्बरीष: राजा अम्बरीष ने अपनी भक्ति और धर्मपालन से प्रसिद्धि पाई।

3. सुदास: महान राजा, जिन्होंने ऋग्वेद की ऋचाओं को संरक्षित किया।

सूर्यवंश की विशेषताएँ

1. धर्मपरायणता: सूर्यवंश के राजा धर्म, सत्य, और न्याय पर आधारित शासन करते थे।

2. वेदों का संरक्षण: इस वंश में वेदों और धर्मग्रंथों का प्रचार और संरक्षण किया गया।

3. सत्यनिष्ठा और दानशीलता: सूर्यवंश के राजा अपने सत्यनिष्ठा और दानशीलता के लिए प्रसिद्ध थे।

4. भगवान के अवतार: भगवान श्रीराम और अन्य अवतार इस वंश में जन्मे।

कथा का संदेश

1. धर्म और सत्य का पालन: सूर्यवंश के राजाओं ने धर्म और सत्य के पालन का आदर्श प्रस्तुत किया।

2. प्रजा के प्रति कर्तव्य: उन्होंने प्रजा के कल्याण के लिए आदर्श शासन का उदाहरण दिया।

3. भगवान की कृपा: सूर्यवंश के कई राजा भगवान विष्णु के परम भक्त थे, जिनकी भक्ति से भगवान ने उनकी सहायता की।

निष्कर्ष

सूर्यवंश भारतीय इतिहास और धर्म का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह वंश धर्म, सत्य, और भगवान के प्रति भक्ति का प्रतीक है। भागवत पुराण के अनुसार, इस वंश के राजा आदर्श शासन और उच्च नैतिक मूल्यों का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। विशेष रूप से भगवान श्रीराम का जीवन और चरित्र इस वंश की महिमा को चरम पर पहुँचाते हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top