भागवत सप्ताह के तृतीय दिन की कथा

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 भागवत सप्ताह के तृतीय दिन की कथा में सृष्टि की उत्पत्ति, भगवान के विविध रूप, कपिल मुनि द्वारा सांख्य योग का ज्ञान, और भक्त प्रह्लाद की कथा का आरंभ किया जाता है। इस दिन की कथा में भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य का महत्व समझाया जाता है।



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तृतीय दिन की कथा



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1. सृष्टि की उत्पत्ति और ब्रह्मा जी की रचना


भगवान विष्णु के नाभि से कमल प्रकट हुआ, जिससे ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना का कार्य आरंभ किया।


श्लोक:


> एको नारायणः आसीन्न ब्रह्मा न च शङ्करः।

नैमेषं भूमिम व्याप्तं सर्वम नारायणं हरिः॥




अर्थ: "सृष्टि के प्रारंभ में केवल भगवान नारायण थे। उन्होंने ब्रह्मा और शिव की रचना की। सारा ब्रह्मांड भगवान विष्णु की शक्ति से व्याप्त है।"


दृष्टांत:


जैसे एक बीज से वृक्ष उत्पन्न होता है, उसी प्रकार भगवान विष्णु की शक्ति से सृष्टि की रचना हुई।



गीत:


"नारायण, नारायण बोल, सबकुछ उनकी माया है।

जगत का पालन करने वाला, केवल विष्णु दयालु है।" *




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2. कर्दम मुनि और देवहूति की कथा


ब्रह्मा जी के पुत्र कर्दम मुनि ने घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे देवहूति से विवाह करेंगे और एक महान योगी (कपिल मुनि) का जन्म होगा।


श्लोक:


> त्वं चोपदेशं धर्मस्य वक्ष्यसे मधुसूदन।

मम पुत्रः कपिलो वन्द्यः स योगाचार्य ईश्वरः॥




अर्थ: "कर्दम मुनि से भगवान ने कहा, 'तुम्हारे पुत्र कपिल मुनि होंगे, जो संसार को योग और ज्ञान का उपदेश देंगे।'"


दृष्टांत:


जैसे दीपक से प्रकाश फैलता है, वैसे ही कपिल मुनि ने अपने ज्ञान से अज्ञान को नष्ट किया।



गीत:


"कर्दम ने की तपस्या भारी, विष्णु ने ली उनकी सुध।

कपिल रूप में आया प्रभु, सबको दिया ज्ञान का पथ।" *




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3. कपिल मुनि का सांख्य योग और माता देवहूति को उपदेश


कपिल मुनि ने अपनी माता देवहूति को सांख्य योग का ज्ञान दिया, जिसमें भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य को प्रमुख साधन बताया गया।


श्लोक:


> योगेन हृत्सरोजं ध्यायेत् परमेश्वरम्।

संसार बंधनं मुक्त्वा हरेर्भक्तिं करोति हि॥




अर्थ: "योग के माध्यम से हृदय को शुद्ध करके परमेश्वर का ध्यान करना चाहिए। इससे संसार के बंधनों से मुक्ति और भगवान की भक्ति प्राप्त होती है।"


दृष्टांत:


जैसे सूर्य की गर्मी से कमल खिलता है, वैसे ही भक्ति और ध्यान से आत्मा पवित्र होती है।



गीत:


"कपिल ने ज्ञान दिया, भक्ति का सच्चा मार्ग।

सांख्य योग से पाओ मोक्ष, छोड़ो सबकुछ व्यर्थ भार।" *




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4. हिरण्याक्ष वध (वराह अवतार)


हिरण्याक्ष ने पृथ्वी का अपहरण कर लिया और उसे समुद्र में छिपा दिया। भगवान विष्णु ने वराह अवतार धारण कर पृथ्वी का उद्धार किया और हिरण्याक्ष का वध किया।


श्लोक:


> यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥




अर्थ: "जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं स्वयं अवतार लेता हूं।"


दृष्टांत:


जैसे माता अपने बच्चे को संकट से बचाने के लिए दौड़ती है, वैसे ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए वराह रूप धारण किया।



गीत:


"वराह ने जब रूप लिया, पृथ्वी का उद्धार किया।

हिरण्याक्ष का अंत हुआ, धर्म का फिर से मान बढ़ा।" *




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5. भक्त प्रह्लाद की कथा का आरंभ


हिरण्याक्ष के वध के बाद, उसका भाई हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए तपस्या करता है।


हिरण्यकशिपु ने स्वयं को भगवान घोषित कर दिया।


उसके पुत्र प्रह्लाद, बाल्यकाल से ही भगवान विष्णु के अनन्य भक्त बने।


प्रह्लाद ने भगवान के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति का प्रदर्शन किया।



श्लोक:


> नारायण परं ब्रह्म, सत्यमनन्तमव्ययम्।

भक्त्या प्रपन्नो धर्मात्मा तं मोक्षाय कल्पते॥




अर्थ: "नारायण ही परम सत्य हैं। उनकी भक्ति करने वाला मोक्ष का पात्र बनता है।"


दृष्टांत:


जैसे अंधकार में दीपक प्रकाश फैलाता है, वैसे ही प्रह्लाद ने अपने विश्वास से भक्तों को मार्ग दिखाया।



गीत:


"प्रह्लाद ने भक्ति दिखाई, विष्णु को सदा अपनाया।

पिता के अत्याचार सहे, फिर भी हरि से प्रेम बढ़ाया।" *




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6. भक्त प्रह्लाद की शिक्षाएँ


प्रह्लाद ने कहा कि भगवान का स्मरण बाल्यकाल से ही करना चाहिए।


सांसारिक बंधनों को त्यागकर भक्ति में लीन होना ही जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य है।



श्लोक:


> कौमार आचरेत प्राज्ञो धर्मान् भागवतानिह।

दुर्लभं मानुषं जन्म प्रार्थयेदथ मर्त्यदम्॥




अर्थ: "बुद्धिमान व्यक्ति को बचपन से ही भगवान की भक्ति करनी चाहिए, क्योंकि मानव जन्म दुर्लभ और क्षणभंगुर है।"



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तृतीय दिन की शिक्षाएँ


1. भक्ति का महत्व: भगवान विष्णु के अवतारों की कथा सिखाती है कि भक्ति और धर्म से सभी संकट दूर होते हैं।



2. सांख्य योग: कपिल मुनि ने सिखाया कि भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य से आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है।



3. प्रह्लाद की भक्ति: विषम परिस्थितियों में भी भगवान के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण होना चाहिए।



4. भगवान के अवतार: वराह अवतार यह सिखाता है कि भगवान धर्म की रक्षा के लिए हर रूप धारण करते हैं।





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तृतीय दिन का उपसंहार (गीत):


"सुनो कपिल का उपदेश, जो सिखाए सच्चा ज्ञान।

प्रह्लाद की भक्ति को जानो, हर संकट का यही समाधान।" *




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तृतीय दिन की कथा का महत्व


भगवान के अवतार, भक्त प्रह्लाद की भक्ति, और कपिल मुनि के ज्ञान से यह दिन हमें भक्ति, तपस्या, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भागवत कथा के इस दिन का मुख्य संदेश है कि भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास से सभी बाधाएं समाप्त होती हैं।



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