भर्तृहरि प्राचीन भारत के महान कवि, दार्शनिक, और नीतिशास्त्र के मर्मज्ञ थे। उनकी प्रसिद्ध रचना "नीतिशतक" है, जो भारतीय साहित्य और जीवन दर्शन का अनमोल ग
भर्तृहरि और नीतिशतक: संस्कृत साहित्य का अमूल्य रत्न
भर्तृहरि प्राचीन भारत के महान कवि, दार्शनिक, और नीतिशास्त्र के मर्मज्ञ थे। उनकी प्रसिद्ध रचना "नीतिशतक" है, जो भारतीय साहित्य और जीवन दर्शन का अनमोल ग्रंथ है। नीतिशतक में जीवन के विभिन्न पक्षों पर गहन और सटीक दृष्टि प्रस्तुत की गई है। यह काव्य न केवल नैतिकता और आदर्शों का संदेश देता है, बल्कि मानवीय व्यवहार, समाज, और जीवन की वास्तविकताओं का भी सूक्ष्म चित्रण करता है।
भर्तृहरि का परिचय
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काल और स्थान:
- भर्तृहरि का समय 5वीं से 7वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है।
- वे उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के राजा थे और विक्रमादित्य के समकालीन थे।
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राजा से सन्यासी बनने की कथा:
- भर्तृहरि का जीवन प्रारंभ में भोग और विलास में व्यतीत हुआ। लेकिन संसार के नश्वर स्वभाव का अनुभव करने के बाद उन्होंने वैराग्य धारण कर संन्यास ले लिया।
- उनकी रचनाएँ उनकी इस आंतरिक यात्रा का प्रतिबिंब हैं।
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साहित्यिक योगदान:
- भर्तृहरि ने "शतकत्रयी" (तीन शतकों) की रचना की, जिसमें निम्नलिखित ग्रंथ शामिल हैं:
- नीतिशतक: नैतिकता और व्यवहार पर आधारित।
- श्रृंगारशतक: प्रेम और सौंदर्य पर आधारित।
- वैराग्यशतक: वैराग्य और संन्यास पर आधारित।
- भर्तृहरि ने "शतकत्रयी" (तीन शतकों) की रचना की, जिसमें निम्नलिखित ग्रंथ शामिल हैं:
नीतिशतक का परिचय
नीतिशतक भर्तृहरि द्वारा रचित 100 श्लोकों का एक संग्रह है, जो नैतिकता, जीवन के आदर्श, और व्यवहारिक ज्ञान को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ संस्कृत साहित्य में नीतिशास्त्र का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मुख्य विषय:
नीतिशतक में निम्नलिखित विषयों पर विचार किया गया है:
- नैतिकता और आदर्श जीवन।
- मनुष्य के गुण और दोष।
- मित्रता और शत्रुता।
- जीवन का व्यवहारिक ज्ञान।
- राजा और प्रजा के कर्तव्य।
- ज्ञान और शिक्षा का महत्व।
नीतिशतक की विशेषताएँ
1. नैतिकता का प्रचार:
- नीतिशतक मनुष्य के आचरण को सुधारने और नैतिकता को जीवन में स्थापित करने का प्रयास करता है।
2. सरल और प्रभावी भाषा:
- इसमें संस्कृत की सरल और प्रभावशाली शैली का उपयोग किया गया है, जो जनसामान्य के लिए सुलभ है।
3. उपदेशात्मक शैली:
- हर श्लोक जीवन के किसी न किसी महत्वपूर्ण पक्ष पर उपदेश देता है।
4. जीवन की गहराई:
- नीतिशतक में जीवन के गुण, दोष, और संघर्ष को स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है।
5. व्यावहारिकता:
- इसमें दिए गए विचार व्यवहारिक और आज भी प्रासंगिक हैं।
नीतिशतक के प्रमुख विचार
1. मित्रता और शत्रुता:
- सच्चे मित्र और शत्रु को पहचानने की शिक्षा दी गई है।
- श्लोक:
(सच्चा मित्र वही है जो धर्म के मार्ग पर चलता है और विश्वास योग्य है।)द्रवैः, मित्रं कुर्वीत। मित्रं मितं भक्तं, सदा धर्मपथं गतं।
2. ज्ञान का महत्व:
- ज्ञान को जीवन का सबसे बड़ा धन बताया गया है।
- श्लोक:
(ज्ञान मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण है और धन से भी अधिक मूल्यवान है।)विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनं।
3. धैर्य और आत्मसंयम:
- धैर्य और आत्मसंयम को सफलता की कुंजी बताया गया है।
- श्लोक:
(चरित्र सबसे बड़ा आभूषण है।)शीलं परम भूषणं।
4. जीवन की अस्थिरता:
- जीवन की अस्थिरता और संसार की नश्वरता का वर्णन।
- श्लोक:
(यह संसार अस्थिर और नश्वर है।)संसारस्य कुटुम्बिनः।
5. कर्तव्य और धर्म:
- अपने कर्तव्यों का पालन करना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य है।
- श्लोक:
(जो धर्म के बिना है, वह पशु के समान है।)धर्मेण हीना: पशुभिः समानः।
नीतिशतक की प्रासंगिकता
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समाज में नैतिकता की आवश्यकता:
- आज के युग में, जब नैतिकता का ह्रास हो रहा है, नीतिशतक के विचार जीवन को सुधारने में सहायक हैं।
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व्यावहारिक ज्ञान:
- इसमें दी गई शिक्षा व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने में सहायक है।
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मानवीय मूल्यों का संरक्षण:
- नीतिशतक के माध्यम से हम मानवता, सच्चाई, और न्याय जैसे मूल्यों को संरक्षित कर सकते हैं।
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शिक्षा का आदर्श:
- यह ग्रंथ छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, क्योंकि यह ज्ञान और शिक्षा के महत्व को समझाता है।
भर्तृहरि से मिलने वाली प्रेरणा
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ज्ञान का महत्व:
- भर्तृहरि के विचार सिखाते हैं कि ज्ञान जीवन का सबसे बड़ा धन है और इसे अर्जित करना मनुष्य का कर्तव्य है।
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धर्म और नैतिकता:
- उन्होंने जीवन में धर्म और नैतिकता के महत्व को सर्वोपरि बताया।
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आत्मसंयम और धैर्य:
- भर्तृहरि ने आत्मसंयम और धैर्य को मनुष्य का सबसे बड़ा गुण बताया।
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जीवन का सही दृष्टिकोण:
- नीतिशतक हमें जीवन को सही दृष्टिकोण से देखने और समझने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष
भर्तृहरि भारतीय साहित्य और दर्शन के महान रचनाकार थे। उनकी रचना नीतिशतक न केवल एक काव्य ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन की गहन शिक्षाओं का संग्रह है।
नीतिशतक आज भी समाज के लिए प्रासंगिक है और नैतिकता, ज्ञान, और व्यवहारिक जीवन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भर्तृहरि का जीवन और साहित्य हमें यह सिखाता है कि जीवन के हर पहलू में संतुलन और नैतिकता का होना आवश्यक है। नीतिशतक भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर है और सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।