भागवत सप्ताह के छठे दिन की कथा( चार घंटे में)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 भागवत सप्ताह के छठे दिन की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका लीला, श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह, उद्धव संवाद, और उद्धव-गोपी संवाद का वर्णन किया जाता है। इस कथा को चार घंटे में पढ़ने और समझने योग्य बनाने के लिए इसे चार भागों में विभाजित किया गया है।



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पहला घंटा: द्वारका स्थापना और श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह


1. द्वारका की स्थापना:


मथुरा पर कंस के वध के बाद कंस के ससुर जरासंध ने श्रीकृष्ण पर 17 बार आक्रमण किया।


श्रीकृष्ण ने मथुरा की प्रजा की सुरक्षा के लिए समुद्र के बीच में द्वारका नगरी की स्थापना की।


यह नगरी भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित थी।


संदेश: प्रजा की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए भगवान हर संभव प्रयास करते हैं।



2. रुक्मिणी का विवाह:


विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी श्रीकृष्ण को मन ही मन अपना पति मान चुकी थीं।


रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने उनका विवाह शिशुपाल से तय कर दिया।


रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पत्र लिखकर उन्हें अपने हरण के लिए आमंत्रित किया।


श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया।


संदेश: सच्ची भक्ति और प्रेम को ईश्वर सदा स्वीकार करते हैं।




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दूसरा घंटा: नरकासुर वध और सत्राजित-स्यमंतक मणि कथा


1. नरकासुर वध:


नरकासुर ने 16,100 राजकुमारियों को बंदी बना रखा था।


श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर का वध किया और राजकुमारियों को मुक्त कराया।


सभी राजकुमारियों ने श्रीकृष्ण से विवाह किया।


संदेश: भगवान सदा धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए कार्य करते हैं।



2. सत्राजित और स्यमंतक मणि की कथा:


सत्राजित ने सूर्यदेव से स्यमंतक मणि प्राप्त की।


मणि के कारण द्वारका में भ्रम और कलह उत्पन्न हुआ।


श्रीकृष्ण ने मणि को प्राप्त करके द्वारका में शांति स्थापित की।


संदेश: लोभ और मोह से मुक्ति ही शांति का मार्ग है।




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तीसरा घंटा: उद्धव और गोपी संवाद


1. उद्धव का मथुरा से गोकुल आगमन:


श्रीकृष्ण ने अपने मित्र उद्धव को गोकुल भेजा ताकि वे गोपियों को ज्ञान का उपदेश दें।


गोपियां श्रीकृष्ण के विरह में व्याकुल थीं।


उद्धव ने उन्हें योग और ज्ञान का उपदेश दिया।



2. गोपियों का प्रेम:


गोपियों ने कहा कि उनका प्रेम श्रीकृष्ण से आत्मिक है, इसमें किसी उपदेश या ज्ञान की आवश्यकता नहीं।


यह प्रेम भौतिक सुखों से परे है और केवल समर्पण और भक्ति पर आधारित है।


उद्धव गोपियों की भक्ति देखकर अभिभूत हो गए।


संदेश: सच्ची भक्ति ज्ञान से ऊपर होती है।




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चौथा घंटा: श्रीकृष्ण की रासलीला और भगवद भक्ति का संदेश


1. रासलीला का पुनः वर्णन:


भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई, जो आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।


गोपियों का प्रेम और समर्पण दिखाता है कि सच्चा प्रेम ईश्वर के प्रति होना चाहिए।



2. भक्ति का महत्व:


भक्ति किसी भी बंधन से परे है।


गोपियों की निःस्वार्थ भक्ति यह दर्शाती है कि भगवान केवल प्रेम और समर्पण से प्रसन्न होते हैं।



3. उद्धव का समर्पण:


उद्धव ने गोपियों की भक्ति देखकर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि उन्हें भी ऐसी भक्ति प्राप्त हो।


उन्होंने यह स्वीकार किया कि ज्ञान और योग के स्थान पर भक्ति का मार्ग सर्वोपरि है।




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कथा का समापन और संदेश:


1. प्रेम और भक्ति: उद्धव और गोपियों का संवाद हमें सिखाता है कि ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम किसी भी ज्ञान और तर्क से ऊपर है।



2. धर्म की स्थापना: नरकासुर वध और द्वारका की स्थापना यह दर्शाते हैं कि भगवान धर्म की रक्षा के लिए जन्म लेते हैं।



3. निःस्वार्थता का महत्व: गोपियों का प्रेम हमें सिखाता है कि निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति ही भगवान को प्राप्त करने का मार्ग है।




यह कथा 4 घंटे में भक्ति और आनंद के साथ पढ़ी जा सकती है और यह भक्ति मार्ग को प्रोत्साहित करती है।



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