भगवान विष्णु

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति में पालनहार और रक्षक देवता हैं। वे संपूर्ण ब्रह्मांड को संतुलन प्रदान करने और धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेते हैं। विष्णु को "नारायण," "हरि," और "जगन्नाथ" जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। उनका उल्लेख वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है। भगवान विष्णु सृष्टि की रक्षा और जीवों के कल्याण के लिए जाने जाते हैं।



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भगवान विष्णु का परिचय


शब्दार्थ


विष्णु: "व्यापक" (जो सब जगह व्याप्त हो)।


नारायण: "जल पर रहने वाले" (नार+अयन)।



स्थान


विष्णु का निवास स्थान वैष्णव लोक या वैकुंठ है। यह स्थान सभी प्रकार की भौतिक और आध्यात्मिक सुख-सुविधाओं से भरपूर है।



रूप


विष्णु को चार भुजाओं वाला देवता बताया गया है। उनकी चार भुजाएँ सृष्टि के चार आयामों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का प्रतीक हैं।


उनकी त्वचा का रंग नीला है, जो अनंत आकाश और महासागर का प्रतिनिधित्व करता है।


शेषनाग: वे शेषनाग (अनंत) पर लेटे रहते हैं, जो अनंत काल का प्रतीक है।




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भगवान विष्णु की विशेषताएँ और प्रतीक


1. शंख (पाञ्चजन्य):


यह सृष्टि की ध्वनि "ॐ" का प्रतीक है। इसे धारण करने का अर्थ है संपूर्ण सृष्टि को संचालित करना।




2. चक्र (सुदर्शन चक्र):


यह समय और धर्म का प्रतीक है। सुदर्शन चक्र बुराई का नाश करता है।




3. गदा (कौमोदकी):


यह शक्ति और अधिकार का प्रतीक है। गदा से भगवान विष्णु अनुशासन और न्याय स्थापित करते हैं।




4. पद्म (कमल):


यह शुद्धता और ब्रह्मांड की सृजनशीलता का प्रतीक है।




5. कौस्तुभ मणि:


यह समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुई थी। यह विष्णु की दिव्यता का प्रतीक है।




6. गरुड़:


गरुड़ उनके वाहन हैं, जो उनके भक्तों को बुराई से बचाते हैं। यह गति और शक्ति का प्रतीक है।






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विष्णु के परिवार


1. पत्नी:


विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं, जो धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी हैं।




2. भक्त और सहयोगी:


विष्णु के प्रमुख भक्तों में गरुड़, हनुमान, और नारद जैसे ऋषि शामिल हैं।




3. संतान:


विष्णु के अवतारों में संतानों का उल्लेख है, लेकिन उन्हें सृष्टि के पालक के रूप में सभी जीवों का पिता माना जाता है।






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भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतार (दशावतार)


भगवान विष्णु धर्म की स्थापना और पृथ्वी की रक्षा के लिए विभिन्न युगों में अवतरित हुए। उनके 10 प्रमुख अवतार निम्नलिखित हैं:


1. मत्स्य अवतार (मछली):


पृथ्वी को जल प्रलय से बचाने के लिए।


ऋषि मनु को वैदिक ज्ञान की रक्षा के लिए सहायता दी।




2. कूर्म अवतार (कछुआ):


समुद्र मंथन के समय मंदार पर्वत को स्थिर रखने के लिए।




3. वराह अवतार (सूअर):


दैत्य हिरण्याक्ष से पृथ्वी को बचाने के लिए।




4. नरसिंह अवतार (सिंह-पुरुष):


हिरण्यकश्यप के अहंकार को नष्ट कर भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए।




5. वामन अवतार (बौना ब्राह्मण):


राजा बलि के तीन पग भूमि दान में लेकर संतुलन स्थापित करने के लिए।




6. परशुराम (योद्धा ब्राह्मण):


अधर्मी क्षत्रियों का नाश करने के लिए।




7. राम (मर्यादा पुरुषोत्तम):


रावण का वध और धर्म की स्थापना के लिए।




8. कृष्ण (योगेश्वर):


महाभारत में अर्जुन को गीता का उपदेश देकर धर्म की पुनःस्थापना के लिए।




9. बुद्ध (ज्ञान और करुणा का प्रतीक):


समाज में अहिंसा और सत्य के महत्व को स्थापित करने के लिए।




10. कल्कि अवतार (भविष्य):




कलियुग के अंत में अधर्म का नाश करने और सत्ययुग को स्थापित करने के लिए।




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भगवान विष्णु की पूजा और महत्व


पूजा की विधि


भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से वैकुंठ एकादशी और अन्य एकादशी के अवसर पर की जाती है।


पूजा में तुलसी, पीले वस्त्र, दीप, और शंख का प्रयोग किया जाता है।


विष्णु सहस्त्रनाम (विष्णु के 1000 नाम) का पाठ उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।



महत्व


विष्णु धर्म और न्याय के संरक्षक हैं।


उनकी पूजा से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।


वे जीवन में शांति, समृद्धि और भक्ति प्रदान करते हैं।




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विष्णु और त्रिमूर्ति में उनका स्थान


त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में विष्णु को पालनकर्ता के रूप में जाना जाता है। वे सृष्टि के संतुलन को बनाए रखते हैं:


ब्रह्मा सृष्टि करते हैं।


विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं।


शिव संहार करते हैं।



त्रिमूर्ति में विष्णु का स्थान इस बात को दर्शाता है कि जीवों का पालन और सुरक्षा सृष्टि के लिए अनिवार्य है।



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विष्णु के ग्रंथ और शिक्षाएँ


1. श्रीमद्भगवद्गीता:


महाभारत के अंश के रूप में विष्णु के कृष्ण अवतार ने यह उपदेश दिया। यह धर्म, कर्म और भक्ति का मार्ग दिखाता है।




2. विष्णु पुराण:


इसमें विष्णु के विभिन्न स्वरूपों और उनकी लीलाओं का वर्णन है।




3. भागवत पुराण:


यह भगवान विष्णु और उनके अवतारों की कथाओं पर आधारित है।






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विष्णु का आधुनिक संदर्भ


भगवान विष्णु को आज भी पालन और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनकी शिक्षाएँ यह सिखाती हैं कि धर्म, कर्म और सत्य के मार्ग पर चलने से जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।


भगवान विष्णु न केवल हिंदू धर्म के, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। वे जीवन को संरक्षित करने, संकटों का सामना करने, और सच्चाई को बनाए रखने की शिक्षा देते हैं।


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