भागवत कथा के दूसरे दिन गाए जाने वाले गीत मुख्यतः सृष्टि की रचना, ब्रह्मा जी का प्राकट्य, कपिल मुनि के ज्ञान, और ध्रुव चरित्र पर आधारित होते हैं। इन गीतों का उद्देश्य भक्तों को कथा के विषय से जोड़ना और भक्ति के महत्व को समझाना होता है।
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1. सृष्टि की रचना पर गीत
"नारायण, नारायण, सब कुछ उनकी माया।
नाभि कमल से ब्रह्मा प्रकटे, सृष्टि का ज्ञान फैलाया।
भगवान विष्णु ने सब रचा,
धरती, आकाश, और सारा जग सजा।" *
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2. ब्रह्मा जी के प्राकट्य पर गीत
"नाभि से कमल खिला, ब्रह्मा जी प्रकटे।
सृष्टि रचने को प्रभु ने, आदेश उन्हें दिए।
ध्यान लगाया ब्रह्मा ने, हरि का रूप पाया।
नारायण की महिमा ने, जग को बचाया।" *
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3. कपिल मुनि और सांख्य योग पर गीत
"कपिल ने दिया ज्ञान, भक्ति का अद्भुत ध्यान।
माता देवहूति को सिखाया, मोक्ष का सच्चा विज्ञान।
छोड़ दो मोह और माया, हरि भक्ति में मन लगाओ।
जीवन का सार यही है, हरि नाम जपो, तर जाओ।" *
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4. ध्रुव चरित्र पर गीत
ध्रुव की तपस्या का गीत:
"ध्रुव ने की तपस्या भारी,
वन में बैठा बालक प्यारा।
हरि नाम की माला जपी,
पाया ध्रुव तारा उजियारा।" *
ध्रुव के भगवान दर्शन का गीत:
"ध्रुव ने जब भगवान को पाया,
हृदय में प्रेम का दीप जलाया।
भक्ति ने दिया उसे अमर स्थान,
हरि ने किया उसका जीवन महान।" *
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5. भक्ति और वैराग्य का महत्व
"भक्ति में है शक्ति अपार,
संसार का मोह करो पार।
ध्रुव ने सिखाया जीवन का सार,
हरि के चरणों में जीवन संवार।" *
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6. समर्पण और भक्ति का गीत
"ध्यान लगाओ हरि नाम में,
भूल जाओ सब संसार।
भक्ति से मिलती है मुक्ति,
हरि ही हैं आधार।" *
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7. कीर्तन गीत (सभी मिलकर गाए जाने वाला):
"हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।" *
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गीतों का महत्व:
1. सृष्टि की रचना की महिमा: भगवान विष्णु की शक्ति और ब्रह्मा जी के ज्ञान को समझाने के लिए।
2. भक्ति का संदेश: ध्रुव की कथा के माध्यम से भक्ति और समर्पण का महत्व बताना।
3. कपिल मुनि का ज्ञान: भगवद्भक्ति और आत्मज्ञान को प्रचारित करना।
4. सत्संग का प्रभाव: भक्तों को कथा में भावनात्मक रूप से जोड़ना।
दूसरे दिन के गीत श्रोताओं को भगवान की महिमा, भक्ति की शक्ति, और जीवन के उद्देश्य को समझाने में सहायक होते हैं।
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