भवभूति प्राचीन भारत के महान संस्कृत कवि और नाटककार थे। उनका पूरा नाम श्रीकण्ठ भवभूति था। वे कालिदास के बाद संस्कृत साहित्य के सबसे प्रसिद्ध नाटककार मा
भवभूति (उत्तररामचरित के रचयिता)
भवभूति प्राचीन भारत के महान संस्कृत कवि और नाटककार थे। उनका पूरा नाम श्रीकण्ठ भवभूति था। वे कालिदास के बाद संस्कृत साहित्य के सबसे प्रसिद्ध नाटककार माने जाते हैं। उनकी रचनाएँ गहन भावनाओं, गूढ़ विचारों, और मानव जीवन के सूक्ष्म चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं।
उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना "उत्तररामचरित" है, जो भगवान राम के जीवन के उत्तरकाल पर आधारित एक उत्कृष्ट नाटक है।
भवभूति का जीवन परिचय
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काल और स्थान:
- भवभूति का जीवनकाल 7वीं–8वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।
- वे दक्षिण भारत के पद्मपुर (वर्तमान महाराष्ट्र) से थे।
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शिक्षा और विद्वता:
- भवभूति ने काशी में अध्ययन किया और वे महान विद्वान बने।
- वे वेद, उपनिषद, दर्शन, और व्याकरण के गहरे ज्ञाता थे।
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गुरु और आशीर्वाद:
- भवभूति ने अपनी शिक्षा प्रसिद्ध विद्वान परीश्वर के अधीन प्राप्त की।
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प्रभाव:
- भवभूति शैव परंपरा से जुड़े थे, और उनकी कृतियों में आध्यात्मिकता और धर्म का अद्भुत समन्वय मिलता है।
उत्तररामचरित
"उत्तररामचरित" भवभूति का सबसे प्रसिद्ध नाटक है। यह नाटक भगवान राम के जीवन के उस काल पर आधारित है जब वे सीता के साथ पुनर्मिलन करते हैं।
कथानक:
- उत्तररामचरित रामायण के उत्तरकांड पर आधारित है।
- इसमें राम के राज्याभिषेक के बाद का जीवन और सीता के वियोग से उत्पन्न उनकी पीड़ा का वर्णन किया गया है।
- नाटक में सीता और राम के पुनर्मिलन को एक करुण और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
प्रमुख पात्र:
- राम: मर्यादा पुरुषोत्तम और अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्यनिष्ठ राजा।
- सीता: प्रेम और त्याग की मूर्ति, जो वियोग की पीड़ा सहती हैं।
- लव-कुश: राम और सीता के पुत्र, जो रामायण की कथा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- वाल्मीकि: महर्षि, जिन्होंने सीता को आश्रय दिया और उनके बच्चों को शिक्षा दी।
विषय और विशेषताएँ:
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करुण रस का अद्भुत चित्रण:
- उत्तररामचरित में करुण रस की प्रधानता है। राम और सीता के वियोग और पुनर्मिलन के भावनात्मक पहलुओं का गहन चित्रण किया गया है।
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नैतिकता और आदर्श:
- राम के चरित्र में राजा और पति के कर्तव्यों के बीच द्वंद्व को दर्शाया गया है।
- नाटक यह दिखाता है कि आदर्श जीवन में त्याग और कर्तव्य कितने महत्वपूर्ण हैं।
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संवेदनशील और यथार्थवादी कथा:
- भवभूति ने पात्रों के मनोभावों को बहुत ही सूक्ष्मता और यथार्थ के साथ प्रस्तुत किया है।
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भाषा और शैली:
- नाटक की भाषा काव्यात्मक, गंभीर और भावपूर्ण है। भवभूति की शैली उनकी विद्वता और संवेदनशीलता का प्रमाण है।
भवभूति की अन्य कृतियाँ
1. महावीरचरित:
- यह नाटक भगवान राम के जीवन के प्रारंभिक काल (बाल्यकाल से राज्याभिषेक तक) पर आधारित है।
- इसमें राम के शौर्य, शक्ति, और आदर्शों का वर्णन है।
2. मालतीमाधव:
- यह भवभूति का एक सुंदर रोमांटिक नाटक है, जिसमें मालती और माधव की प्रेमकथा का चित्रण किया गया है।
- इसमें प्रेम, राजनीति, और रहस्य का अनूठा संयोजन है।
भवभूति की साहित्यिक विशेषताएँ
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गंभीर और गहन शैली:
- भवभूति की रचनाएँ गंभीर और गहन विचारों से युक्त हैं। उनकी शैली में भावनाओं की गहराई और सूक्ष्मता स्पष्ट दिखाई देती है।
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करुण रस की प्रधानता:
- उनकी रचनाओं में करुण रस का उत्कृष्ट प्रयोग मिलता है, जो पाठकों और दर्शकों को भावविभोर कर देता है।
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संवेदनशीलता और यथार्थ:
- भवभूति के पात्र मानव जीवन की वास्तविकताओं और संघर्षों को दर्शाते हैं।
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दर्शन और आध्यात्मिकता:
- उनकी कृतियों में भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता का अद्भुत समन्वय है।
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शब्द शक्ति और अलंकार:
- भवभूति की भाषा में शब्दों की शक्ति और अलंकारों का प्रभावी प्रयोग मिलता है।
भवभूति का प्रभाव और विरासत
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संस्कृत साहित्य में स्थान:
- भवभूति को कालिदास के समकक्ष स्थान दिया जाता है। उन्हें "उत्तरा कालिदास" भी कहा जाता है।
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करुण रस के उन्नायक:
- भवभूति ने करुण रस को संस्कृत साहित्य में नई ऊँचाई दी।
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दर्शकों पर प्रभाव:
- उनकी रचनाएँ मानवीय संवेदनाओं को गहराई से स्पर्श करती हैं और दर्शकों को प्रभावित करती हैं।
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भारतीय रंगमंच पर प्रभाव:
- भवभूति के नाटकों ने भारतीय रंगमंच और नाट्यकला को समृद्ध किया।
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शैक्षिक महत्व:
- उनकी कृतियाँ आज भी संस्कृत साहित्य और भारतीय संस्कृति के अध्ययन में प्रमुख स्थान रखती हैं।
भवभूति की शिक्षाएँ
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कर्तव्य और आदर्शों का पालन:
- भवभूति की रचनाएँ कर्तव्य और आदर्शों को जीवन में सर्वोपरि मानती हैं।
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मानवीय संवेदनाओं का सम्मान:
- उन्होंने दिखाया कि प्रेम, करुणा, और त्याग मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं।
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धैर्य और सहनशीलता:
- उनके नाटक सिखाते हैं कि जीवन में कठिनाइयों और वियोग का सामना धैर्य और सहनशीलता से करना चाहिए।
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सत्य और नैतिकता:
- भवभूति की रचनाएँ सत्य और नैतिकता की जीत पर बल देती हैं।
निष्कर्ष
भवभूति संस्कृत साहित्य के महानतम कवियों और नाटककारों में से एक हैं। उनकी रचना "उत्तररामचरित" न केवल भगवान राम की कथा का मार्मिक चित्रण करती है, बल्कि जीवन के आदर्शों और नैतिकता का भी गहन संदेश देती है।
उनकी साहित्यिक प्रतिभा और गहन संवेदनशीलता उन्हें कालिदास के समकक्ष खड़ा करती है। भवभूति की रचनाएँ मानव जीवन के गहरे सत्य, प्रेम, और कर्तव्य का दर्पण हैं और वे भारतीय साहित्य और संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं।
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