भागवत पुराण के लेखक: महर्षि वेदव्यास

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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भागवत पुराण के लेखक: महर्षि वेदव्यास

भागवत पुराण भारतीय सनातन धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है। इसे "श्रीमद्भागवत" या "भागवत महापुराण" भी कहा जाता है। यह पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित है, जिन्हें वैदिक साहित्य के महानतम रचयिताओं में गिना जाता है। वेदव्यास को "वेदों का विभाजन करने वाला" और भारतीय महाकाव्य महाभारत के रचयिता के रूप में भी जाना जाता है।


महर्षि वेदव्यास का परिचय

  1. जन्म और वंश:

    • महर्षि वेदव्यास का जन्म महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र के रूप में हुआ।
    • वेदव्यास का मूल नाम कृष्ण द्वैपायन था। उन्हें "व्यास" इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने चार वेदों का वर्गीकरण किया।
  2. साहित्यिक योगदान:

    • वेदव्यास ने चार वेदों का संपादन किया और अठारह पुराणों की रचना की।
    • उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान महाभारत और भागवत पुराण है।

भागवत पुराण का निर्माण

1. रचना का उद्देश्य:

  • भागवत पुराण का उद्देश्य भक्ति योग और भगवान विष्णु (विशेषतः उनके अवतार श्रीकृष्ण) की महिमा का प्रचार करना है।
  • इसमें भक्त और भगवान के प्रेमपूर्ण संबंध को प्रस्तुत किया गया है।

2. विषय-वस्तु:

  • भागवत पुराण मुख्यतः भगवान विष्णु और उनके अवतारों की कथाओं का संग्रह है।
  • यह धर्म, भक्ति, ज्ञान, और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।

3. रचना काल:

  • भागवत पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने उस समय की जब वे अपने पुत्र शुकदेव को धर्म और भक्ति का महत्व समझा रहे थे।
  • इस ग्रंथ का मौखिक श्रवण राजा परीक्षित ने शुकदेव से किया था।

4. भाषा और शैली:

  • भागवत पुराण संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
  • इसमें श्लोकों और गद्य का अद्भुत संतुलन है।

भागवत पुराण की संरचना

भागवत पुराण कुल 12 स्कंधों (खंडों) और 18,000 श्लोकों में विभाजित है। प्रत्येक स्कंध में भक्ति, ज्ञान, और धर्म के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है।

  1. प्रथम स्कंध:

    • भागवत कथा का प्रारंभ और राजा परीक्षित की कथा।
    • शुकदेव द्वारा भागवत कथा का आरंभ।
  2. द्वितीय और तृतीय स्कंध:

    • सृष्टि की उत्पत्ति और ब्रह्मा की कथा।
    • भगवान विष्णु की महिमा।
  3. चतुर्थ स्कंध:

    • राजा पृथु और ध्रुव की कथाएँ।
  4. पंचम स्कंध:

    • ब्रह्मांड की संरचना और भूगोल।
  5. छठा से अष्टम स्कंध:

    • भगवान के अवतारों की कथाएँ, जैसे वराह, वामन, और नरसिंह।
  6. दशम स्कंध:

    • भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी लीलाएँ। यह भाग सबसे प्रमुख और लोकप्रिय है।
  7. ग्यारहवाँ स्कंध:

    • उद्धव-गीता और भक्ति का महत्व।
  8. बारहवाँ स्कंध:

    • कलियुग का वर्णन और मोक्ष प्राप्ति का उपाय।

भागवत पुराण का महत्व

  1. भक्ति योग का प्रचार:

    • भागवत पुराण ने भक्ति को मोक्ष का सर्वोत्तम मार्ग बताया है।
    • यह भक्त और भगवान के प्रेमपूर्ण संबंध को गहराई से समझाता है।
  2. श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन:

    • दशम स्कंध में श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ, गोपियों के साथ रासलीला, और कंस का वध मुख्य आकर्षण हैं।
  3. आध्यात्मिक ज्ञान:

    • भागवत पुराण आत्मा, ब्रह्म, और संसार के रहस्यों को उजागर करता है।
  4. धार्मिक और सामाजिक संदेश:

    • यह धर्म, नीति, और समाज के लिए एक मार्गदर्शक है।
  5. कला और संगीत में प्रभाव:

    • भागवत पुराण ने भारतीय कला, संगीत, और नृत्य पर गहरा प्रभाव डाला है।

महर्षि वेदव्यास की प्रेरणा

  1. मानवता के लिए रचना:

    • महर्षि वेदव्यास ने भागवत पुराण की रचना मानवता के कल्याण और आध्यात्मिक जागृति के लिए की।
  2. भक्ति और ज्ञान का संतुलन:

    • उन्होंने भक्ति, ज्ञान, और कर्म को एक साथ जोड़ा, जिससे यह ग्रंथ हर प्रकार के साधकों के लिए उपयोगी है।
  3. सार्वभौमिकता:

    • भागवत पुराण सभी के लिए है, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति, या पंथ से संबंधित हो।

भागवत पुराण से शिक्षा

  1. भक्ति और ईश्वर का प्रेम:

    • भागवत पुराण सिखाता है कि भक्ति से ही ईश्वर को पाया जा सकता है।
  2. धर्म और सत्य का पालन:

    • सत्य और धर्म का पालन मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
  3. संसार की असारता:

    • यह ग्रंथ संसार को असार और ईश्वर को शाश्वत मानता है।
  4. कर्म और मोक्ष:

    • सही कर्म और भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति संभव है।

निष्कर्ष

भागवत पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित एक दिव्य ग्रंथ है, जो भारतीय धर्म, संस्कृति, और भक्ति परंपरा का आधार है। इसमें भगवान विष्णु और उनके अवतारों की महिमा का वर्णन है, जो मानवता को धर्म, भक्ति, और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।

महर्षि वेदव्यास का योगदान अमूल्य है, और उनकी रचनाएँ आज भी आध्यात्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत हैं। भागवत पुराण न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्गदर्शक है।

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