श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंध, प्रथम अध्याय के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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श्लोक 1.1.1 (सृष्टि का स्रोत)


"जगत का आधार वही भगवान,

जिनसे उपजा यह ब्रह्म ज्ञान।

सत्य, शिव, सुंदर स्वरूप है उनका,

त्रिगुण माया से वह रहे न्यारा।

ज्ञान दिया ब्रह्मा को अंतर से,

मुग्ध हुए देव भी उनके रहस्य से।

त्रिसर्ग (सृष्टि) जो सत्य को दर्शाता है,

उनका तेज ही सृष्टि को संभालता है।

उस सत्य स्वरूप को मन में धरें,

हर अंधकार से मन को उबरें।"



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श्लोक 1.1.2 (धर्म का वास्तविक स्वरूप)


"धर्म का जो मर्म यहाँ प्रकट है,

वह छल-कपट से रहित सत्य है।

निर्मल मन वालों को सच्ची राह दिखाए,

ईश्वर प्रेम का यह दीप जलाए।

त्रिविध ताप हरने वाला ज्ञान,

भागवत ग्रंथ से मिलता समाधान।

जो भी इसे श्रद्धा से सुने,

उसका मन प्रभु में रम जाए।

इस ग्रंथ का पाठ करें हर संत,

मिटे हृदय का हर क्लेश तुरंत।"



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श्लोक 1.1.3 (भागवत का महत्व)


"निगम कल्पतरु, यह अमृत फल है,

शुकदेव ने जो सुनाया, वही सच्चा जल है।

भागवत का रस सबसे मधुर है,

प्रेम और भक्ति से भरा यह शुद्ध है।

जो इसका रस पान करता है,

वह जीवन का सच्चा सुख पाता है।

यह ग्रंथ हर पल नया आनंद लाए,

जो सुने इसे, वह भवसागर से तर जाए।

रसिकों, इसका पान सदा करो,

अपने मन को भगवत प्रेम से भरो।"



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श्लोक 1.1.4 (नमन और वंदन)


"नारायण का सबसे पहले करें नमन,

उनके बिना अधूरी हर साधन।

नर-श्रेष्ठ को भी करें प्रणाम,

देवी सरस्वती को मानें महान।

व्यास मुनि के ज्ञान को करें याद,

उनकी कृपा से जीवन हो आबाद।

इन सबका आशीर्वाद लेकर,

भगवत कथा का गान करें अमर।

विजय सदा उनके संग रहती है,

जो भक्ति के मार्ग पर चलते हैं।"



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श्लोक 1.1.5 (सत्य धर्म का मार्ग)


"धर्म सभी पाखंड से रहित है,

सत्य-भक्ति का यही सही गीत है।

व्यास मुनि ने इसे रचाया,

धरती पर धर्म का मार्ग दिखाया।

भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का मेल,

इसी से बनता जीवन का खेल।

सत्य का पथ यही सिखाए,

भगवान से जोड़े और समझाए।

जो इस ग्रंथ को पढ़े ध्यान से,

उसका जीवन धन्य हो ज्ञान से।"



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श्लोक 1.1.6 (कलियुग में इसका महत्व)


"कलियुग के इस पापी समय में,

भागवत देता शांति के क्षण।

जो इसका श्रवण करता है मन से,

हर पाप कट जाता उसके तन से।

व्यास मुनि ने जो लिखा ज्ञान,

वह जीवन का सबसे बड़ा वरदान।

भक्ति का दीप जलाता यह ग्रंथ,

मन को शुद्ध करता हर संत।

संतजनों के संग इसे पढ़ो,

अपनी आत्मा को शुद्ध करो।"



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श्लोक 1.1.7 (ऋषियों के प्रश्न)


"ऋषियों ने व्यास मुनि से पूछा ज्ञान,

कैसे करें जीवन का कल्याण।

संसार के इस बंधन से कैसे मुक्त हों,

ईश्वर की कृपा हम कैसे प्राप्त करें।

धर्म का मार्ग सिखाएँ हमें,

भक्ति का अमृत बरसाएँ हमें।

ईश्वर को पाने का सरल उपाय बताओ,

सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाओ।

कलियुग के अंधकार को हरने का,

सत्य और भक्ति का ज्ञान सिखाओ।"



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श्लोक 1.1.8 (संत संगति का महत्व)


"संतजनों का संग है अमृत समान,

यह देता जीवन को सही पहचान।

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पथ,

संतों की कृपा से बनता सरल और सच्चा।

ईश्वर प्रेम में जो मन रमता है,

वह सच्ची शांति को पाता है।

संत संगति से कटते सभी क्लेश,

मन को मिलता शांति का संदेश।

भागवत गान से जीवन सफल हो,

हर आत्मा का कल्याण सरल हो।"



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श्लोक 1.1.9 (कलियुग का उद्धार)


"कलियुग के पापों से बचने का उपाय,

भागवत कथा ही सिखाती सच्ची राह।

श्रवण, कीर्तन और स्मरण से जानो,

भगवान को अपने मन में पहचानो।

त्रिविध ताप हरने का यह ज्ञान,

प्रेम और भक्ति से मिलता समाधान।

जो इसे सुने, वह पवित्र हो जाए,

ईश्वर का प्रेम उसके जीवन में आए।

कलियुग के अंधकार को यह हरता,

भागवत ज्ञान ही सबको तरता।"



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श्लोक 1.1.10 (त्रिविध ताप हरने वाला ज्ञान)


"भागवत का यह दिव्य प्रकाश,

हर आत्मा को देता है सच्ची आश।

त्रिविध ताप मिटाने का यह मार्ग,

जीवन को बनाता शुद्ध और सरल।

सत्य, प्रेम और भक्ति का गान,

भगवान के प्रेम का यह वरदान।

श्रद्धा से जो इसे सुनता है,

उसका हर दुख मिट जाता है।

श्रीकृष्ण का यह अमृत ज्ञान,

हर आत्मा का करता कल्याण।"



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निष्कर्ष:

यह रूपांतरण श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंध, प्रथम अध्याय के मूल भाव और ज्ञान को चौपाई के रूप में प्रस्तुत करता है। यदि आप किसी और अध्याय या श्लोक का चौपाई रूपांतरण चाहते हैं, तो कृपया बताएं। मैं इसे और भी विस्तार और सुंदरता से प्रस्तुत करूंगा।



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