भागवत सप्ताह के प्रथम दिन की कथा श्लोक, गीत, और दृष्टांत के साथ

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 भागवत सप्ताह के प्रथम दिन की कथा में भागवत पुराण की महिमा, रचना का उद्देश्य, और प्रारंभिक घटनाएँ वर्णित होती हैं। इसमें कथा को श्लोकों, गीतों, और दृष्टांतों के साथ प्रस्तुत किया जाता है ताकि श्रोताओं को सरलता और आनंद के साथ कथा का महत्व समझाया जा सके। यहाँ प्रथम दिन की कथा का विस्तृत विवरण श्लोक, गीत, और दृष्टांत के साथ प्रस्तुत किया गया है:



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1. भागवत महात्म्य का वर्णन (श्लोक और गीत)


श्लोक:


> श्रीमद्भागवतं पुराणममलं यद्वैष्णवानां प्रियम्।

यस्‍मिन् परमहंस्यमेकममलं ज्ञानं परं गीयते॥




अर्थ: श्रीमद्भागवत पुराण अमल (निर्मल) ग्रंथ है। यह भगवान विष्णु के भक्तों का प्रिय ग्रंथ है, जिसमें भगवान के दिव्य ज्ञान और लीलाओं का गान है।


गीत:


"भागवत कथा सुन लो भाई, जीवन सुधर जाएगा,

भगवान के चरणों में मन, सारा पाप कट जाएगा।" *




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2. नैमिषारण्य यज्ञ और सूत जी का आगमन (दृष्टांत)


दृष्टांत:


नैमिषारण्य में 88,000 ऋषियों ने कलियुग के पापों को नष्ट करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया।


जैसे सूर्य के प्रकाश से अंधकार नष्ट होता है, वैसे ही भागवत कथा के श्रवण से पाप समाप्त होते हैं।


सूत जी का आगमन और शौनकादि ऋषियों का उनसे प्रश्न करना यह सिखाता है कि जिज्ञासा (सच्चे ज्ञान की खोज) जीवन के उत्थान का पहला चरण है।



श्लोक:


> सदा सेव्या सदा पित्यां धर्मज्ञानार्थिनां द्विजाः।

नैमिषे विप्रा यत्राग्रे भागवत्यां कथोद्भवः॥




अर्थ: ऋषियों ने कहा, "हमें वह कथा सुनाइए जो धर्म, ज्ञान, और भक्ति की प्राप्ति कराती है।"



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3. भागवत की रचना की पृष्ठभूमि (नारद मुनि और व्यासदेव का संवाद)


दृष्टांत:


व्यासदेव ने महाभारत और वेदों की रचना की, लेकिन उन्हें शांति नहीं मिली।


नारद मुनि ने व्यासदेव को समझाया:

"जैसे मधुमक्खी फूलों से रस लेती है, वैसे ही भगवद्भक्ति जीवन का सार है। भगवान की लीलाओं का वर्णन करें।"



श्लोक:


> नष्टप्रायेष्वभद्रेषु नित्यं भागवतसेवया।

भगवत्युत्तमश्लोके भक्तिर्भवति नैष्ठिकी॥




अर्थ: "भगवत कथा के नियमित श्रवण से सभी अशुभ कर्म नष्ट हो जाते हैं, और भगवान के प्रति अनन्य भक्ति उत्पन्न होती है।"


गीत:


"नारायण, नारायण बोल, भक्ति में है जीवन का मोल।

संसार में सबकुछ है झूठा, नारायण नाम ही सत्य है पूरा।" *




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4. कलियुग के लक्षण और उपाय


दृष्टांत:


कलियुग में धर्म केवल "सत्य" पर आधारित होगा।


जैसे गंदे जल में भी कमल खिलता है, वैसे ही कलियुग में भागवत कथा मोक्ष का मार्ग है।



श्लोक:


> कलेर्दोषनिधे राजन्नस्ति ह्येको महान् गुणः।

कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसङ्गः परं व्रजेत्॥




अर्थ: "कलियुग में अनगिनत दोष हैं, पर एक महान गुण यह है कि केवल भगवान कृष्ण के नाम का कीर्तन करने से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।"


गीत:


"हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।" *




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5. सृष्टि की उत्पत्ति और ब्रह्मा जी की कथा (दृष्टांत और श्लोक)


दृष्टांत:


सृष्टि की रचना के लिए भगवान विष्णु ने अपने नाभि से कमल उत्पन्न किया।


कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्हें सृष्टि रचना का आदेश दिया।


जैसे दीपक अंधकार को मिटाता है, वैसे ही भगवान का स्मरण अज्ञान को दूर करता है।



श्लोक:


> आद्यो नारायणः स्वयम्।

सृष्टि-स्थित्यन्त-कर्तारं ब्रह्म-विष्णु-शिवात्मकम्॥




अर्थ: भगवान नारायण ही सृष्टि के प्रारंभ, पालन, और संहार के कर्ता हैं।



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6. परीक्षित मोक्ष कथा का प्रारंभ


दृष्टांत:


राजा परीक्षित ने मृत्यु के समय भागवत कथा सुनने का निश्चय किया।


उन्होंने शुकदेव जी से पूछा, "मृत्यु के समय मनुष्य को क्या करना चाहिए?"


यह सिखाता है कि मृत्यु अटल है, लेकिन भगवान का स्मरण उसे मोक्ष में बदल सकता है।



श्लोक:


> तस्मात् भारत सर्वात्मन् भगवान् ईश्वरो हरिः।

श्रोतव्यः कीर्तितव्यश्च स्मर्तव्यश्चेच्छताभयम्॥




अर्थ: "हे भारत, भगवान हरि ही सबके स्वामी हैं। उन्हें सुनो, उनका गुणगान करो और उन्हें स्मरण करो, यही भयमुक्त होने का मार्ग है।"



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प्रथम दिन की कथा का उपसंहार


दृष्टांत:


जैसे बीज में वृक्ष का सम्पूर्ण स्वरूप होता है, वैसे ही भागवत के प्रथम दिन में कथा का सार समाहित है।


यह भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य का प्रारंभ है, जो श्रोताओं को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।



श्लोक:


> यस्यां वै श्रूयमाणायां कृष्णे परमपुरुषे।

भक्तिरुत्पद्यते पुंसः शोकमोहभयापहा॥




अर्थ: "जो व्यक्ति भगवान कृष्ण की कथा सुनता है, उसके हृदय में भक्ति उत्पन्न होती है और शोक, मोह, और भय समाप्त हो जाते हैं।"



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प्रथम दिन का गीत (सार):


"कृष्ण कथा है अमृतधारा, जो सुन ले उसका बेड़ा पार।

कलियुग में केवल यही सहारा, हरि नाम में जीवन उद्धार।" *




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महत्वपूर्ण शिक्षाएँ:


1. भगवद्भक्ति का प्रभाव: भागवत कथा भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास को बढ़ाती है।



2. कलियुग का उपाय: भगवान का नाम और कथा ही मोक्ष का सरल मार्ग है।



3. जीवन का अंतिम लक्ष्य: सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान की भक्ति में लीन होना।



4. श्रवण का महत्व: भगवान की कथाएँ सुनने से सभी पाप नष्ट होते हैं।




प्रथम दिन की कथा श्रोताओं को भागवत पुराण के महत्व, भक्ति की महिमा, और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करती है।



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