श्री राम लला मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश): एक विस्तृत विवरण

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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श्री राम लला मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश), प्राण प्रतिष्ठा समारोह.
श्री राम लला मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश), प्राण प्रतिष्ठा समारोह.


श्री राम लला मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश): एक विस्तृत विवरण

1. ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि
श्री राम लला मंदिर, जिसे अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के नाम से जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है।

  • पौराणिक महत्व:
    अयोध्या को त्रेतायुग के समय भगवान विष्णु के सातवें अवतार, भगवान श्री राम, की जन्मभूमि माना जाता है। वाल्मीकि रामायण और अन्य ग्रंथों में अयोध्या को "कोसल राज्य" की राजधानी और भगवान राम के पिता राजा दशरथ का निवास स्थान बताया गया है।
  • मध्यकालीन काल:
    1528 में मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर इस स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया। इसके बाद से यह स्थान हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र बना रहा।
  • आधुनिक युग:
    1992 में विवादित ढांचे को गिराया गया और इसके बाद से यह मामला भारतीय न्यायालयों में चला। अंततः 9 नवंबर 2019 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय दिया।

2. मंदिर निर्माण का विवरण
मंदिर निर्माण का कार्य श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।

  • शिलान्यास और भूमि पूजन:
    5 अगस्त 2020 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य भूमि पूजन समारोह में मंदिर निर्माण की नींव रखी।
  • निर्माण कार्य:
    मंदिर निर्माण में पारंपरिक भारतीय वास्तुकला का पालन किया जा रहा है। नागर शैली की स्थापत्य कला का उपयोग किया जा रहा है, जो हिंदू मंदिरों की पहचान है।

3. मंदिर की वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला को भव्य और अद्वितीय बनाया जा रहा है।

  • आकार और संरचना:
    • मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.77 एकड़ है।
    • मंदिर की ऊंचाई लगभग 161 फीट है।
    • यह तीन मंजिला संरचना होगी, जिसमें प्रत्येक मंजिल पर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की प्रतिमाएं और मूर्तियां होंगी।
  • गर्भगृह:
    गर्भगृह में भगवान श्री राम की बाल रूप में राम लला की मूर्ति स्थापित की गयी।
  • शिखर और मंडप:
    मंदिर में 5 मंडप बनाए जाएंगे, और मुख्य शिखर मंदिर की महत्ता को दर्शाएगा।

4. मंदिर निर्माण सामग्री

  • मुख्य सामग्री:
    मंदिर के निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर का विशेष बलुआ पत्थर उपयोग हो रहा है, जो अपनी मजबूती और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
  • कर्मकारों की टीम:
    मंदिर निर्माण में भारत के विभिन्न हिस्सों के कारीगर और शिल्पकार योगदान दे रहे हैं।

5. राम लला मूर्ति का विवरण

  • गर्भगृह में स्थापित होने वाली राम लला की मूर्ति भगवान राम के बाल रूप को दर्शाती है।
  • मूर्ति को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकारों द्वारा श्याम पत्थर से उकेरा गया है।
  • अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली श्री रामलला की मूर्ति अपनी विशिष्टताओं के कारण विशेष ध्यान आकर्षित कर रही है।
  • मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच (लगभग 4.25 फीट) है, जो एक पांच वर्षीय बालक के आकार के अनुरूप है।
  • इसका वजन लगभग 200 किलोग्राम है।
  • मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के मैसूर से लाई गई 'श्याम शिला' या 'कृष्ण शिला' नामक काले ग्रेनाइट पत्थर से किया गया है।
  • यह पत्थर लगभग 2.5 अरब वर्ष पुराना माना जाता है, जो इसे अत्यंत स्थायित्व प्रदान करता है।
  • भगवान राम के बाल रूप को दर्शाते हुए, मूर्ति में उनके हाथों में धनुष और बाण हैं, और वे कमल के आधार पर खड़े हैं।
  • मूर्ति के शीर्ष पर सूर्य नारायण की आकृति है, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने का प्रतीक है।
  • सूर्य नारायण के दाईं ओर शंख और चक्र, बाईं ओर गदा, स्वस्तिक और 'ॐ' के चिन्ह अंकित हैं, जो सनातन धर्म के प्रतीक हैं।
  • मूर्ति के नीचे दाईं ओर भगवान हनुमान और बाईं ओर गरुड़ की आकृतियां उकेरी गई हैं।
  • मूर्ति में भगवान विष्णु के दस अवतारों मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का भी चित्रण किया गया है।
  • मूर्ति का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है, जिन्होंने पूर्व में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य और दिल्ली में सुभाष चंद्र बोस की मूर्तियों का निर्माण किया है।
  • मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को संपन्न हुई, जिसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिया गया।


6. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • अयोध्या भारत के सात पवित्र पुरियों (सप्तपुरी) में से एक है।
  • राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हिंदू समुदाय की आस्था और गर्व का प्रतीक है।
  • यह मंदिर भारतीय संस्कृति, रामायण की शिक्षाओं, और भगवान राम के आदर्शों को पुनर्जीवित करने का माध्यम बनेगा।

7. पर्यटक आकर्षण और गतिविधियां

  • मंदिर का उद्घाटन 2024 के पहले भाग में होने की संभावना है।
  • अयोध्या में मंदिर के अलावा सरयू नदी के घाट, कनक भवन, हनुमान गढ़ी, और अन्य ऐतिहासिक स्थल प्रमुख आकर्षण हैं।
  • रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को मंदिर परिसर में चित्रित किया जाएगा।

8. पर्यावरणीय और सामुदायिक योगदान
मंदिर परिसर में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण, जल संचयन, और सौर ऊर्जा जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।


9. अयोध्या तक पहुंचने के साधन

  • रेल मार्ग:
    अयोध्या रेलवे स्टेशन प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा है।
  • सड़क मार्ग:
    उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से अयोध्या तक सड़क मार्ग की अच्छी सुविधा है।
  • हवाई मार्ग:
    लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या से 150 किमी की दूरी पर स्थित है।

10. मंदिर का भविष्य और महत्व
श्री राम लला मंदिर हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का गौरव है। यह स्थल अयोध्या को वैश्विक धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाएगा और भारत की गौरवशाली परंपरा को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

नोट:

मंदिर निर्माण के अद्यतन और यात्रा की योजना के लिए मंदिर ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करें।

भगवान राम की वंश परंपरा

  • हिंदू धर्म में राम को विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता है। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध। राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था। जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे।
  • मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि, निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी।
  • रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है:- ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वतमनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।
  • इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
  • भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे। सगर के पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।
  • रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। वा‍ल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।
  •  मर्यादा -पुरुषोत्तम राम,अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था इनके तीन भाई थे लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया।
  • श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई की थी। राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वनवास जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंंढा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता जी को वापस ले कर आये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रियथे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं।
  • अयोध्या में ग्यारह हजार वर्षों तक श्रीराम का दिव्य शासन रहा। 
  • इनके दो पुत्रों कुश व लव ने इनके राज्यों को संभाला।
  • वैदिक धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं।

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