भागवत सप्ताह के पंचम दिन की कथा(चार घंटे में)

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 भागवत सप्ताह के पंचम दिन की कथा का मुख्य विषय श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, गोवर्धन पूजा, और रासलीला है। इसमें श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से लेकर उनके किशोरावस्था तक की अद्भुत लीलाओं का वर्णन किया जाता है। इसे चार घंटे में पढ़ने के लिए विभाजित किया गया है।



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पहला घंटा: श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं और राक्षसों का वध


1. बाल लीलाओं का वर्णन:


गोकुल में माखन चोर लीला।


श्रीकृष्ण का गोपियों के घरों से माखन चुराना।


गोपियां शिकायत करने यशोदा के पास जाती हैं, लेकिन श्रीकृष्ण की भोली बातों से प्रसन्न हो जाती हैं।


संदेश: यह लीला सरलता, विनम्रता और भक्ति का प्रतीक है।




2. पूतना वध:


पूतना राक्षसी को कंस ने भेजा। वह श्रीकृष्ण को विष पिलाने का प्रयास करती है।


श्रीकृष्ण ने उसका वध कर उसे मोक्ष प्रदान किया।


संदेश: भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।



3. शकटासुर और तृणावर्त का वध:


श्रीकृष्ण ने गाड़ी के रूप में आए शकटासुर और आंधी के रूप में आए तृणावर्त का वध किया।


संदेश: यह लीलाएं भगवान की शक्ति और भक्तों की रक्षा के लिए उनके समर्पण को दर्शाती हैं।




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दूसरा घंटा: व्रज की लीलाएं और कालिया नाग दमन


1. कालिया नाग दमन:


यमुना नदी में विषैला कालिया नाग का निवास।


श्रीकृष्ण ने नाग को पराजित कर यमुना को शुद्ध किया।


संदेश: यह लीला हमें बुराई के नाश और पर्यावरण की रक्षा का महत्व सिखाती है।



2. ब्रज में गोपियों और गोपालों के साथ लीलाएं:


गोपियों के प्रति श्रीकृष्ण का स्नेह और उनका भक्ति मार्ग।


गोपालों के साथ खेलते हुए भगवान की दिव्यता का प्रकटीकरण।



3. गोपियों के वस्त्र हरण की लीला:


श्रीकृष्ण ने गोपियों के स्नान करते समय उनके वस्त्र चुरा लिए।


इसका उद्देश्य गोपियों को भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति की शिक्षा देना था।




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तीसरा घंटा: गोवर्धन पूजा और इंद्र का अहंकार


1. गोवर्धन पूजा:


गोकुलवासी हर वर्ष इंद्र देव की पूजा करते थे।


श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा रोककर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का सुझाव दिया।


संदेश: प्रकृति और धरती माता की पूजा का महत्व।



2. इंद्र का क्रोध और जल प्रलय:


इंद्र ने क्रोधित होकर गोकुल पर मूसलधार वर्षा शुरू कर दी।


श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की।


इंद्र ने अपनी गलती स्वीकार की और श्रीकृष्ण को गोवर्धनधारी के रूप में पूजा।


संदेश: अहंकार का त्याग और भगवान के प्रति समर्पण।




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चौथा घंटा: रासलीला और भक्ति का संदेश


1. रासलीला:


श्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला का वर्णन।


यह लीला गोपियों की भक्ति और भगवान के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।


गोपियां अपने सांसारिक बंधनों को छोड़कर भगवान के प्रति समर्पित होती हैं।



2. गोपियों के प्रेम का महत्व:


गोपियों का प्रेम आत्मिक प्रेम का प्रतीक है, जो भौतिक सुखों से परे है।


श्रीकृष्ण ने उन्हें यह सिखाया कि सच्ची भक्ति में कोई भेदभाव नहीं है।



3. रासलीला का आध्यात्मिक संदेश:


रासलीला भक्ति, प्रेम, और आत्मा के परमात्मा से मिलन का प्रतीक है।


यह दर्शाती है कि भक्त और भगवान के बीच का प्रेम निःस्वार्थ और शुद्ध होता है।




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कथा का समापन और संदेश


पंचम दिन की कथा का सार:


1. भक्ति का महत्व: गोपियों की निःस्वार्थ भक्ति और प्रेम भगवान के प्रति सच्चे समर्पण का संदेश देते हैं।



2. अहंकार का अंत: इंद्र का अहंकार बताता है कि भगवान के आगे सब कुछ तुच्छ है।



3. प्रकृति और संरक्षण: गोवर्धन पूजा का महत्व बताता है कि हमें प्रकृति का आदर और संरक्षण करना चाहिए।



4. आत्मा का परमात्मा से मिलन: रासलीला आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।




यह कथा 4 घंटे में भक्तिभाव और आनंद के साथ सुनी या पढ़ी जा सकती है।



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