सहस्राक्षरी सिद्धलक्ष्मी पराविद्या माला मंत्र |
शीघ्र लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस मन्त्र का प्रयोग करें -
सहस्राक्षरी सिद्धलक्ष्मी पराविद्या माला मंत्र
ॐ श्रीं ह्री क्लीं ऐं सौ:श्रींं सिद्धलक्ष्म्यै नमः। ॐ ऐं ईं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्सौ: सिद्धमहालक्ष्म्यै नमः। ॐ सिद्धलक्षम्यै च विदमहे सर्वशक्त्यै धीमहि तन्नो आद्या भगवती प्रचोदयात्॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्सौ: श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सी: सीः ॐ ऐं ही क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी, जगदाद्ये विजये सुरासुर त्रिभवन निदाने, दयांकुरे, सर्वदेव तेजो, रूपिणी, विरंचि संस्थिते, विधि वरदे, सच्चिदानन्दे, महाविष्णु देहावृते, महा मोहिनी, नित्य वरदान तत्परे, महा सुधाब्धि वासिनि, महा तेजो धारिणि, सर्वाधारे, सर्व कारण कारिणे, अचिन्त्य रूपे, इन्द्रादि सकल निर्जर सेविते, साम गान गायन, परिपूर्णोदय कारिणी, विजये, जयन्ति, अपराजिते, सर्व सुन्दरि, रक्तांशुके सूर्य कोटि संकांशे, चन्द्र कोटि सुशीतले, अग्निकोटि दहन शीले, यम कोटि वहन शीले, ॐकार नाद बिन्दु रूपिणी, निगमागम भागदायिनि, त्रिदेश राज्य दायिनी, सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणि, दिव्य देहिनी, निर्गुणो सुगणे, सद्-सद् रूपधारिणी, सुर वरदे, भक्त त्राण तत्परे, बहु बरदे, सहस्राक्षरे, अयुताक्षरे, सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणि, अनेकलक्ष-लक्ष स्वरूपे अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायिके, चतुविशति मुनि जन संस्थिते, चतुर्दश भुवन भाव विकारणे, गगन वाहिनि, नाना मंत्र-राज विराजते, सकल सुन्दरीगण सेविते, चरणारविन्दे, महात्रिपुर सुन्दरि, महाकामेश दयिते, करुणा रस कल्लोलिनि, कल्प वृक्षादि स्थिते, चिन्तामणि द्वय मध्यावस्थिते, मणि मन्दिरे निवासिनी, महाविष्णु वक्षस्थल कारिणे, अजिते, अमिते, अनुपम चरिते मुक्ति क्षेत्राधिष्ठायिनी, प्रसीद प्रसीद, सर्व मनोरथान पूरय पूरय, सर्वारिष्टान छेदय छेदय, सर्व ग्रह पीड़ा ज्वराग्र भयं विध्वंसय विध्वंसय, सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय, मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय, ज्ञान मार्ग प्रकाशय प्रकाशय, अज्ञान तमो नाशय नाशय, धन धान्यादि वृद्धिं कुरु कुरु, सर्व कल्याणति कल्पय कल्पय, मां रक्ष रक्ष, सर्वोपद्भ्यो निस्तारय निस्तारय, वज्र शरीरं साधय साधय श्रींं हृीं क्लीं ऐं ईं ह्रसौ: श्रींं सहस्राक्षरी सिद्धलक्ष्मी परामहाविद्यायै नमः ।
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