श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने संसार की रक्षा, धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए समय-समय पर अनेक अवतार लिए। भागवत पुराण के प्रथम स्कंध के तृतीय अध्याय में भगवान के 24 अवतारों का वर्णन मिलता है। इन अवतारों को "लीलावतार" कहा जाता है। नीचे इन अवतारों का विस्तार से वर्णन है:
---
1. कुमार (सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार)
भगवान ने सनकादि ऋषियों के रूप में अवतार लिया और ज्ञान एवं वैराग्य का प्रचार किया।
श्लोक:
> चतुर्भिर्दशनं जातं पुराणं ब्रह्मणः सुतैः।
सङ्कल्पः सनकः सनन्दो सनातनस्तथा सनः।
(भागवत 1.3.6)
---
2. वराह अवतार
भगवान ने वराह रूप में अवतार लेकर पृथ्वी को हिरण्याक्ष दैत्य के चंगुल से मुक्त किया।
श्लोक:
> तृतीयं यत्र स कामटोऽद्वरीषो
हरेरब्धोर्मथनं कृतेऽज्यतः।
शत्रुं हिरण्याक्षममोहयत्स्वयं
वैरोचनं चाप्यवधीत्स्वयं हरिः।
(भागवत 1.3.7)
---
3. नारद अवतार
नारद के रूप में अवतरित होकर भगवान ने भक्ति का प्रचार किया।
---
4. नृसिंह अवतार
भगवान ने आधे नर और आधे सिंह के रूप में अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और हिरण्यकशिपु का वध किया।
---
5. वामन अवतार
भगवान ने वामन रूप में अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और बलि का अभिमान नष्ट किया।
---
6. परशुराम अवतार
परशुराम के रूप में भगवान ने क्षत्रियों के अत्याचार से पृथ्वी की रक्षा की।
---
7. राम अवतार
श्रीराम के रूप में भगवान ने राक्षसों का नाश किया और मर्यादा की स्थापना की।
---
8. कृष्ण अवतार
कृष्ण के रूप में भगवान ने धर्म की स्थापना की, गीता का उपदेश दिया और अधर्म का नाश किया।
---
9. बुद्ध अवतार
बुद्ध के रूप में अवतार लेकर भगवान ने हिंसा के विरुद्ध अहिंसा का प्रचार किया।
श्लोक:
> ततः कलौ संप्रवृत्ते
सङ्गोपाय समन्तराः।
बुद्धो नाम्नाजनः साधु-
लोकेषु पापकृत्यजः॥
(भागवत 1.3.24)
---
10. कल्कि अवतार
कलियुग के अंत में भगवान कल्कि के रूप में अवतरित होकर अधर्मियों का नाश करेंगे।
श्लोक:
> अथासौ युगसन्ध्यायां
दस्युप्रायेषु राजसु।
जन्म च लौघ्न्यो धर्मस्य
अवतारं करिष्यति॥
(भागवत 1.3.25)
---
अन्य अवतार:
11. मत्स्य अवतार – भगवान ने मत्स्य रूप में वेदों की रक्षा की।
12. कूर्म अवतार – भगवान ने कच्छप रूप में समुद्र मंथन में सहायता की।
13. हंस अवतार – भगवान ने ज्ञान का उपदेश दिया।
14. ध्रुव अवतार – भगवान ने ध्रुव को दर्शन देकर उन्हें ज्ञान प्रदान किया।
15. ऋषभ अवतार – भगवान ने तप और वैराग्य का संदेश दिया।
16. हयग्रीव अवतार – वेदों की रक्षा के लिए अवतार।
17. दत्तात्रेय अवतार – ज्ञान और भक्ति का प्रचार।
18. कपिल अवतार – सांख्य दर्शन का उपदेश।
19. यज्ञ अवतार – यज्ञ की मर्यादा की स्थापना।
20. मोहिनी अवतार – देवताओं को अमृत पिलाने के लिए मोहिनी रूप।
21. नर-नारायण अवतार – तप और धर्म का प्रचार।
22. धन्वंतरि अवतार – आयुर्वेद का ज्ञान देने के लिए।
23. बली (त्रिविक्रम) – राजा बलि को सही पथ पर लाना।
24. ब्रह्मा-रुद्र रूप – सृष्टि और संहार के लिए।
---
इन अवतारों के माध्यम से भगवान ने संसार की रक्षा, धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश किया। यह भी कहा गया है कि भगवान के अवतार असंख्य हैं, ये मात्र प्रमुख अवतार हैं।
> एते चांशकलाः पुंसः
कृष्णस्तु भगवान् स्वयं।
इन्द्रारिव्याकुलं लोकं
मृडयन्ति युगे युगे॥
(भागवत 1.3.28)
(अर्थ: इन सब अवतारों के स्वामी स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं, जो समय-समय पर संसार की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।)
thanks for a lovly feedback