श्री सोमनाथ मन्दिर सौराष्ट्र गुजरात
शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का परिचय |
द्वादश ज्योतिर्लिंग भारत के बारह पवित्र शिवलिंगों का समूह है, जिन्हें भगवान शिव के प्रमुख स्थानों के रूप में पूजा जाता है। यहां उनके नाम और स्थान दिए गए हैं:
1. सोमनाथ (गुजरात)
2. मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
3. महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश)
4. ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश)
5. वैद्यनाथ (झारखंड)
6. भीमाशंकर (महाराष्ट्र)
7. काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश)
8. त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
9. केदारनाथ(उत्तराखण्ड)
10. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
11.घुशमेश्वरम् (महाराष्ट्र)
12. नागेश्वर (गुजरात)
ये ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय माने जाते हैं। क्या आप इनमें से किसी विशेष ज्योतिर्लिंग के बारे में और जानकारी चाहते हैं? आज हम इन सभी ज्योतिर्लिंगों की विस्तार से चर्चा करेंगे ।
1.सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-:
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर सौराष्ट्र गुजरात |
सोमनाथ मंदिर, हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्र देव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है।सोमनाथ मंदिर पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि धार्मिक कर्म-कांडों के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसी कारण इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है। (ॐ सोमेश्वराय नमः)
2.मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग-:
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिङ्ग, आन्ध्रप्रदेश |
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योर्तिलिंग को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथोें में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। साथ ही साथ दर्शन करने वाले के सारे पाप मिट जाते हैं और उसे अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। दक्षिणी मंदिरो की तरह यह एक पुराना मंदिर है। यह एक ऊंचे पत्थर से निर्मित चारदीवारी के मध्य में स्थित है। जिस पर हाथी-घोड़ों की कलाकृतियाँ बनी हई हैं। परकोटे मे चारों ओर द्धार हैं, जिनपर गोपुर बने हैं। (ॐ मल्लिकार्जुनाय नमः)
3.महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-:
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश उज्जैन |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर कुंभ मेले का आयोजन भी होता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है, उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महाकाल के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है। महाकाल की महिमा का वर्णन इस प्रकार से भी किया गया है-: "आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते।।" इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। यहाँ प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है। सिंहस्थ कुम्भ मेले के बारे में यह कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के पश्चात देवता अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए वहाँ से पलायन कर रहे थे, तब उनके हाथों में पकड़े अमृत कलश से अमृत की बूँद धरती पर जहाँ-जहाँ भी गिरी थी, वो स्थान पवित्र तीर्थ बन गए। उन्हीं स्थानों में से एक उज्जैन है। (ॐ महाकालेश्वराय नमः)
4.ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग-:
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश |
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ओंकारेश्वर या ॐकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। पुराणों में वायुपुराण और शिवपुराण में ओंकारेश्वर क्षेत्र के बारे में बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसी मंदिर में शिव के परम भक्त कुबेर ने तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर के स्नान के लिए शिवजी ने अपनी जटा से कावेरी नदी उत्पन्न की थी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ॐ के आकार में है इसीलिए इसे ओंकारेश्वर या ॐकारेश्वर कहा जाता है। माना जाता है कि यहीं ॐ शब्द की उत्पत्ति भगवान बह्मा के मुख से हुई थी।ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जहां शिव भगवान शयन करने आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार शिव भक्त यहां विशेष रुप से भगवान शिव के शयन दर्शन करने आते हैं। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव के साथ यहां माता पार्वती भी रहती हैं और वो शिवजी के साथ चौसर (पासे) खेलती हैं। शायद यही वजह है कि शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के पास चौसर की बिसात सजाई जाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गर्भग्रह में शयन की आरती के बाद कोई भी नहीं आता लेकिन सुबह पांसे उल्टे मिलते हैं। (ॐ ओंकारेश्वराय नमः)
5.केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-:
केदारनाथ ज्योतिर्लिङ्ग, रुद्रप्रयाग उत्तराखंड |
केदारनाथ मंदिर, हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। भगवान शिव का यह दुर्लभ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जलवायु के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल माह में खुलते हैं और नवंबर माह में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता के साथ-साथ यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है। चूंकि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम भी है। मान्यता ये है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा करता है। उसे इस यात्रा का फल नहीं मिलता है। (ॐ केदारेश्वराय नमः)
6.भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-:
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, पुणे, महाराष्ट्र |
महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने कुंभकरण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। (ॐ भीमेश्वराय नमः)
7.काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग -:
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग , वाराणसी |
काशी विश्वनाथ मंदिर शिव जी के सभी 12 ज्योर्तिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में स्थित है। इसे विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। काशी विश्वनाथ हिन्दू आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। वाराणसी गंगा नदी के तट पर स्थित विश्व का सबसे प्राचीन नगर है। यहाँ स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद जैसे महापुरुषों ने किया है। रामचरित मानस की रचना करने वाले तुलसी दासजी का भी आगमन भगवान शिव के इस मंदिर में हो चुका है। शिवरात्रि के समय इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत के द्वारा 1853 में एक हज़ार किलो ग्राम सोने से इस मंदिर को बनवाया था। (ॐ विश्वेश्वराय नमः)
8.त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग-:
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र |
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर महाराष्ट्र के त्र्यम्बक गांव में स्थित है, जो नासिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योति लिंग में से है तथा 12 ज्योतिर्लिंगों में से त्र्यम्बकेश्वर को आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर पवित्र गोदावरी नदी के निकट है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिसमें ब्रह्मगिरी, निलागिरि और कालगिरी शामिल हैं। मंदिर की एक विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवन शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन लिंगम (शिव के एक प्रतिष्ठित रूप) हैं। (ॐ त्रंयम्बकेश्वराय नमः)
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग -:
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, देवघर, झारखण्ड |
हिन्दू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का बड़ा महत्व है। इन सभी से शिव की रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं। देवघर के वैद्यनाथ धाम में स्थापित ‘कामना लिंग’ भी रावण की भक्ति का प्रतीक है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस जगह को लोग बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं कि भोलेनाथ यहां आने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए इस शिवलिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों के लिए कहा जाता है कि जहां-जहां महादेव साक्षत प्रकट हुए वहां इनकी स्थापना हुई। इसी तरह पुराणों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की भी कथा है जो लंकापति रावण से जुड़ी है। ( ॐ वैद्यनाथेश्वराय नमः)
10.नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-:
नागेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग, द्वारका, गुजरात |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। मान्यता है कि सावन मास में इस प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा- अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन व पूजन के लिए दूर- दूर से श्रद्घालु आते हैं। सावन में विशेष रूप से सोमवार को खासी भीड़ रहती है। भगवान शिव के निर्देशानुसार ही इस शिवलिंग का नाम ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ पड़ा। माना जाता है कि ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के दर्शन करने के बाद जो मनुष्य उसकी उत्पत्ति और माहात्म्य सम्बन्धी कथा को सुनता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है तथा सम्पूर्ण भौतिक और आध्यात्मिक सुखों को प्राप्त करता है। (ॐ नागेश्वराय नमः)
11.रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग-:
रामेश्वरम ज्योतिर्लिग, तमिलनाडु |
हिंदू धर्म में तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिग एक विशेष स्थान रखता है। यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि उत्तर में जितना महत्व काशी का है, उतना ही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का भी है, जो सनातन धर्म के चार धामों में से एक है। कहा जाता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिग की विधिपूर्वक आराधना करने से मनुष्य ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु ज्योतिर्लिग पर गंगाजल चढ़ाता है, वह साक्षात जीवन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। इसकी स्थापना स्वयं भगवन श्री राम ने की थी।(ॐ रामेश्वराम नमः)
12.घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग-:
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र |
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लगभग 29 कि.मी. की दूर पर वेरुल नामक गांव में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी माना जाता है। कई ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख है कि घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन कर लेने से मनुष्य को जीवन का हर सुख मिलता है। इस ज्योतिर्लिंग को घृष्णेश्वर भी कहा जाता है। बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा एलोरा की गुफाएँ इसी मंदिर के निकट हैं। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।( ॐ घृष्णेश्वराय नमः)
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति-:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्याम् महाकालमोंकारेश्वर परमेश्वरम्।।
केदारम् हिमवत्पृष्ठे डाकिन्याम् भीमशंकरम्।
वाराणस्याम् च विश्वेशम् त्र्यंबंकम् गौतमीतटे।।
वैधनाथं चिता भूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं तु शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय: पठेत्।
सर्वपापेर्विनिमुक्त: सर्वसिद्धिं फलम् लभेत्।।
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