आने वाले 10 वर्षों में सरकारी नौकरियों की औसत संख्या

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 आने वाले 10 वर्षों में सरकारी नौकरियों की औसत संख्या कई कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे देश की आर्थिक स्थिति, तकनीकी प्रगति, सरकारी नीतियाँ, और आधुनिकीकरण के प्रयास।


सरकारी नौकरियों के औसत का अनुमान:


1. मौजूदा स्थिति का आकलन


वर्तमान में भारत में विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में हर साल औसतन 10-12 लाख पद भरे जाते हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:


राज्य और केंद्र सरकार:

शिक्षक, पुलिस, स्वास्थ्य सेवाएँ, प्रशासनिक सेवाएँ, रेलवे, और सार्वजनिक उपक्रम।


संविदा आधारित नौकरियाँ:

स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य सेवाओं में ठेका या संविदा के आधार पर भर्ती।



2. संभावित परिवर्तन:


आने वाले 10 वर्षों में सरकारी नौकरियों की औसत संख्या निम्नलिखित वजहों से प्रभावित हो सकती है:


(i) निजीकरण का प्रभाव


रेलवे, बैंकिंग, और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में निजीकरण से सरकारी नौकरियों की संख्या घट सकती है।


उदाहरण: रेलवे में माल ढुलाई और यात्री सेवाओं का निजीकरण।


संभावित कमी:

इन क्षेत्रों में हर साल 1-2 लाख नौकरियाँ प्रभावित हो सकती हैं।





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(ii) डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन


तकनीकी सुधारों के कारण:

स्वचालन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग से लोअर-लेवल की नौकरियाँ कम होंगी।


डिजिटल सेवाओं में वृद्धि:

IT और तकनीकी विशेषज्ञों की माँग बढ़ सकती है।


हर साल 50,000 से 1 लाख नई तकनीकी नौकरियाँ बन सकती हैं।





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(iii) शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तार


नई शिक्षा नीति (NEP):

NEP के तहत शिक्षकों और डिजिटल शिक्षा विशेषज्ञों की माँग बढ़ेगी।


हर साल औसतन 2-3 लाख नौकरियाँ शिक्षा क्षेत्र में आ सकती हैं।



स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार:

कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में भारी विस्तार होगा।


डॉक्टर, नर्स, और पैरामेडिकल स्टाफ की हर साल 1-2 लाख नौकरियाँ संभावित हैं।





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(iv) रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र


रक्षा क्षेत्र में स्वचालन और डिजिटल युद्धकौशल की माँग:

सेना, पुलिस, और साइबर सुरक्षा में स्थिरता बनी रहेगी।


हर साल औसतन 1-1.5 लाख पद भरे जा सकते हैं।





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(v) ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय क्षेत्र


स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, और ग्रीन जॉब्स:

पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास की सरकारी योजनाओं से हर साल 1-2 लाख पद सृजित हो सकते हैं।




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संभावित औसत सरकारी नौकरियाँ:


सरकारी नीतियों और आर्थिक स्थिति के आधार पर, अगले 10 वर्षों में औसतन 8-10 लाख सरकारी नौकरियाँ प्रतिवर्ष निकलने की संभावना है।


परंपरागत नौकरियाँ:

बैंकिंग, रेलवे, डाक सेवाएँ, पुलिस, और रक्षा में स्थिरता।


नए क्षेत्र:

डिजिटल सेवाएँ, पर्यावरण, और तकनीकी विशेषज्ञता।




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उम्मीदें और चुनौतियाँ:


1. उम्मीदें:


शिक्षा, स्वास्थ्य, और तकनीकी क्षेत्र में नौकरियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद।


संविदा आधारित नौकरियाँ बढ़ सकती हैं।


नई योजनाओं और परियोजनाओं से रोजगार के नए अवसर।



2. चुनौतियाँ:


निजीकरण और ऑटोमेशन से पारंपरिक नौकरियों में कमी।


पेंशन और स्थायी पदों में कटौती से सरकारी नौकरियों का आकर्षण घट सकता है।




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निष्कर्ष:


आने वाले 10 वर्षों में सरकारी नौकरियों का औसत 8-10 लाख प्रति वर्ष रहने की संभावना है। हालाँकि, यह संख्या नीतिगत निर्णयों, निजीकरण की गति, और तकनीकी प्रगति के अनुसार घट-बढ़ सकती है। सरकारी क्षेत्रों में स्थायी रोजगार की तुलना में संविदा आधारित नौकरियों का चलन बढ़ सकता है। इसलिए, युवाओं को नई तकनीकों और डिजिटल कौशलों में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी, ताकि वे इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बैठा सकें।


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