भागवत महापुराण के स्कंध 1, अध्याय 1

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
0

 भागवत महापुराण के स्कंध 1, अध्याय 1 में यह स्पष्ट किया गया है कि परम सत्य क्या है और उस सत्य की प्राप्ति के लिए किस प्रकार भक्ति का अनुसरण किया जाना चाहिए। यह अध्याय "सत्य की खोज" और "भक्ति मार्ग" का आरंभ है। यहाँ अध्याय का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

प्रस्तावना:

  • यह अध्याय महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित भागवत पुराण का आरंभ है। इसमें वेदव्यास जी ने अद्वैत, भक्ति और कर्म के सिद्धांतों को सरलता से समझाया है।

अध्याय 1 का सार:

1. मंगलाचरण: 

  •  अध्याय के प्रारंभ में भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान किया गया है। इसमें परमात्मा को समर्पण और सत्यस्वरूप की स्तुति की गई है।
  • "जनमाद्यस्य यतः" श्लोक से शुरुआत होती है, जो यह दर्शाता है कि भगवान ही सृष्टि के मूल कारण हैं।

2. सत्य की खोज: 

  • ऋषियों और मुनियों ने नैमिषारण्य में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। सत्य क्या है, इसका विचार-विमर्श करने के लिए सभी ऋषियों ने एकत्रित होकर सूतजी से प्रश्न पूछे।

3. ऋषियों द्वारा सूतजी से प्रश्न:

  • संसार का कल्याण कैसे हो सकता है?
  • धर्म क्या है, जो कलियुग में सबके लिए श्रेष्ठ है?
  • भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी से विदा लेने के बाद मानवता का मार्गदर्शन कौन करेगा?

4. सूतजी का उत्तर: 

  •  सूतजी ने कहा कि परम सत्य केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति है। उनकी लीलाओं और गुणों का गान करने से ही जीवात्मा को शाश्वत शांति प्राप्त होती है।

5. भागवत के महत्त्व का वर्णन:

  • भागवत महापुराण को "सम्पूर्ण वेदों का सार" बताया गया है।
  • यह ग्रंथ मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें श्रीकृष्ण के प्रेम, भक्ति, और सत्यस्वरूप का वर्णन है।

मुख्य संदेश:

  •  अध्याय का मुख्य उद्देश्य भक्ति के महत्व को समझाना और यह बताना है कि भगवान श्रीकृष्ण की कथा सुनने और समझने से मनुष्य का उद्धार संभव है।

श्लोकों का संक्षिप्त विवरण:

  • 1. जन्माद्यस्य यतः श्लोक: यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश का कारण बताते हुए ईश्वर की सर्वव्यापकता की पुष्टि करता है।
  • 2. संसारिक कष्टों से मुक्ति: जो लोग भगवान की कथा सुनते और सुनाते हैं, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

उपसंहार:

 अध्याय 1 भक्ति मार्ग और सत्संग की महत्ता को स्थापित करता है। ऋषियों ने सूतजी से मानव कल्याण और धर्म के विषय में प्रश्न पूछे, जिसका उत्तर भागवत कथा के माध्यम से मिलता है।

यदि आप अध्याय के किसी विशिष्ट श्लोक का अर्थ या विवरण चाहते हैं, तो कृपया कमेंट करके बताएं!



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

thanks for a lovly feedback

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top