क्यों हुआ पृथ्वी पर राधा जी का जन्म

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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Radha rani, vrindavan
Radha rani, vrindavan 


 राधा जी और श्री कृष्ण का प्रेम इतना गहरा था कि आज भी सब राधा जी को श्री कृष्ण की आत्मा कहकर पुकारते हैं। राधा जी का जन्म भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की अष्टमी को हुआ था। जिस दिन राधा जी का जन्म हुआ, उस दिन को राधाष्टमी के नाम से जाना जाता है।

 राधा जी के जन्म के पीछे एक बहुत रोचक कथा है। इस कथा का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया।

 एक बार राधा जी को किसी कारणवश गोलोक से बाहर जाना पड़ा, उस समय श्री कृष्ण अपनी एक सखी विरजा के साथ विहार कर रहे थे, संयोगवश राधा जी वहां आ गयी| श्री कृष्ण तथा विरजा को साथ में देखकर राधा जी को बहुत क्रोध आया और वह क्रोधित होकर उन दोनों को भला बुरा कहने लगी। यह सब सुनकर लज्जावश विरजा नदी बनकर बहने लगी।

  राधा जी ने क्रोध में श्री कृष्ण को भी बहुत कुछ कह दिया। उसी समय श्री कृष्ण के एक सहचर साथी सुदामा ने यह सब सुना, यह सुदामा श्री कृष्ण के प्रिय मित्र सुदामा नहीं बल्कि उनके सहचर साथी थे। श्री कृष्ण के प्रति राधा के क्रोधपूर्ण शब्दों को सुनकर वह आवेश में आ गए और वह श्री कृष्ण का पक्ष लेते हुए राधा जी से आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगे, श्री कृष्ण के सहचर साथी का ऐसा व्यवहार देखकर राधा जी नाराज हो गयी।

  नाराजगी में राधा जी ने कृष्ण जी के सहचर साथी सुदामा को राक्षस रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया, क्रोध में भरे हुए सुदामा ने भी राधा जी को श्राप दिया कि उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ेगा, राधा जी के श्राप के कारण सुदामा शंखचूर नाम के दानव हुए जिनका वध भगवान शिव ने किया।

 सुदामा के श्राप के कारण राधा जी का धरती पर मनुष्य रूप में जन्म हुआ और उन्हें श्री कृष्ण से व‌िरह का दर्द सहना पड़ा।

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