हिंदी पखवाड़े पर गाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय कविता
हिंदी पखवाड़े को समर्पित
बैठे बैठे एक दिन कलम और तलवार।
करन लगे बिन बात की बस यूं ही तकरार।
बस यूं ही तकरार , खड्ग बढ़ चढ़ कर बोला।
ताकत के दम पर मैंने दुनिया को तोला।
करता सदा नमन जगत मेरे भुज बल को।
अगर नहीं विश्वास,देख लो मुड़ कर कल को।
मेरे दम पर शिलालेख कोटे परकोटे।
मुझे झुकाते शीश बड़े हों या फिर छोटे।
मैं जो बोलूं, जीर्ण लेखनी लिखती रहती।
मेरे आगे भला कभी किसकी है चलती।
आज चतुर्दिक जिधर देखिए मेरी सत्ता।
मेरी अनुमति के बगैर,हिलता न पत्ता।
शिष्ट लेखनी बोली तुमको अहंकार है।
तुम घमंड में चूर, तनिक नहिं संस्कार है।
मानव मन में शुभ विचार जब हुआ अंकुरित।
मैंने ही तो किया उसे पुष्पित अरु सज्जित।
मैंने ही लिपिबद्ध किए उपनिषद, ऋचाएं।
न्याय,सांख्य,वैषेशिक की कितनी व्याख्याएं।
मानव के कोमल मन में जब पीर उठी है।
निर्मम पीड़ा की मन में शमशीर धंसी है।
मन को राहत देने वाले आंसू सूखे।
अंतड़ियों को बांध सो गए जब जब भूखे।
तब मैंने उस दमित व्यथा,सारी पीड़ा को।
जटिल विवशता ,निपट टीस तिरती व्रीड़ा को।
खींच उसे मन के अंतस से बाहर लाया।
मैंने पीड़ा को बाहर का पथ दिखलाया।
युवा शक्ति जो भी मन में सपने बुनती है।
मेरी अनुकम्पा सपनों को सच करती है।
तक्षशिला, नालंदा में उत्कीर्ण शिलाएं।
मेरे वैभव की निशि दिन अनमोल कथाएं।
मैंने दुनिया में सबको जीना सिखलाया।
मैंने है सबको जीने का मर्म बताया।
आज जहां तेरी सत्ता षड्यंत्र रचाए।
मेरी रचना हो मुकुलित सौरभ फैलाए।
बहुत हो चुका क्रूर खड्ग का जग में नर्तन।
प्रेम पियासी धरा चाहती है परिवर्तन।
विच्छेदन का काम खड्ग यह प्रकृति तुम्हारी।
संस्कृति बोलो यही रही क्या कभी हमारी?
एक अवनि है, एक यहां परिवार हमारा।
तुमने बांटा मानवता का कुनबा सारा।।
जाओ बैठो हो कर तुम चुपचाप म्यान में।
नहीं तुम्हारा कार्य कोई इस बियावान में।
दया धर्म के पुष्प यहां होने दो कुसुमित।
मानवता का हो पराग उसमें फिर सुरभित।
मन तो है तैयार स्वयं मन पर लुटने को।
मन की भाषा शब्दहीन है, क्या कहने को।
मन को जीत सकी कभी तलवार कहां है,
मन ले मन को जीत, सत्य में प्यार जहां है।।
जब भी महि के भार यहां कच्छप डोलेंगे।
जब नृसिंह,तारक,खल की भाषा बोलेंगे।
तब दोनों मिल हम वसुधा की पीर हरेंगे।
तब तक प्रभु श्रीमान म्यान में शयन करेंगे।
© आदित्य विक्रम श्रीवास्तव
स्नातकोत्तर शिक्षक अंग्रेजी
केन्द्रीय विद्यालय न्यू कैंट, प्रयागराज।
8957709021
thanks for a lovly feedback