हिन्दु धर्म ग्रंथो में पितृ पक्षऔर पितृ पक्ष की तिथियां 2024 |
हिन्दु धर्म ग्रंथो में पितरों को संदेशवाहक भी कहा गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि -
ॐ अर्यमा न तृप्यताम् इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नम:।
ॐ मृर्त्योमा अमृतं गमय।
अर्थात्, अर्यमा पितरों के देव हैं, जो सबसे श्रेष्ठ है उन अर्यमा देव को प्रणाम करता हूँ ।हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम है, आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें । इसका अर्थ है कि हम पूरे वर्ष भर अपने देवों को समर्पित अनेकों पर्वों का आयोजन करते हैं, लेकिन हममे से बहुत लोग यह अनुभव करते है की हमारी प्रार्थना देवों तक नही पहुँच पा रही है । हमारे पूर्वज देवों और हमारे मध्य एक सेतु का कार्य करते हैं, और जब हमारे पितृ हमारी श्रद्धा, हमारे भाव, हमारे कर्मों से तृप्त हो जाते है, हमसे संतुष्ट हो जाते है तो उनके माध्यम से उनके आशीर्वाद से देवों तक हमारी प्रार्थना बहुत ही आसानी से पहुँच जाती है और हमें मनवांछित फलों की शीघ्रता से प्राप्ति होती है...!
पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण
पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण इस प्रकार करे -
१:- पितृ पक्ष में रोज पित्तरों के निमित जल, जौं और काले तिल और पुष्प के साथ पित्तरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।
२:- श्राद्ध पक्ष में अपने पित्तरों की मृत्यु तिथि पर किसी ब्राह्मण को अपने पूर्वजों की पसंद का भोजन अवश्य कराएं, ऐसा करने से भी पित्तरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.!
३:- पितृ पक्ष में अपने पितरों के नाम से श्रीमद भागवत कथा, भागवत गीता, गरुड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और पितर गायत्री मंत्र की शांति कराने से भी पितरों को शांति प्राप्त होती है.!
४:- श्राद्ध पक्ष में गया जी जाकर अपने पित्तरों का श्राद्ध अवश्य करें। ऐसा करने से भी आपके पितृ शांत होते हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
५:- यदि आपको अपने पित्तरों की मृत्यु तिथि नहीं पता है तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर उनका श्राद्ध कर सकते हैं, ऐसा करने से भी आपको पितृ दोष से मु्क्ति मिलती है।
६:- आपको सर्व पितृ अमावस्या और हर अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए और योग्य ब्राह्मण से अपने पित्तरों का श्राद्ध कराना चाहिए और 13 ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
७:- पितृ पक्ष में आपको कौवों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि इस समय में हमारे पितृ कौवों का रूप धारण करके धरती पर उपस्थित रहते हैं।
८:- आपको पितृ पक्ष में गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए। आपको गाय को भोजन करना चाहिए और किसी गऊशाला में भी दान अवश्य देना चाहिए। ओर पितर पक्ष में पंचबलि - चींटी, कुत्ता, गाय, देवादि ओर कौआ यह अबश्य देनी चाहिए।
पितृ पक्ष की तिथियां 2024
प्रतिपदा श्राद्ध - 18 सितंबर पितृपक्ष तर्पण आदि प्रारंभ 2024 (बुधवार)
द्वितीया श्राद्ध - 19 सितंबर 2024 (गुरुवार)
तृतीया श्राद्ध - 20 सितंबर 2024 (शुक्रवार)
चतुर्थी श्राद्ध - 21 सितंबर 2024 (शनिवार)
महा भरणी - 21 सितंबर 2024 (शनिवार)
पंचमी श्राद्ध - 22 सितंबर 2024 (रविवार)
षष्ठी श्राद्ध - 23 सितंबर 2024 (सोमवार)
सप्तमी श्राद्ध - 24 सितंबर 2024 (सोमवार)
अष्टमी श्राद्ध - 25 सितंबर 2024 (मंगलवार)
नवमी श्राद्ध - 26 सितंबर 2024 (बुधवार)
दशमी श्राद्ध - 27 सितंबर 2024 (गुरुवार)
एकादशी का श्राद्ध - 28 सितंबर 2024 (शुक्रवार)
द्वादशी श्राद्ध - 29 सितंबर 2024 (रविवार)
मघा श्राद्ध - 29 सितंबर 2024 (रविवार)
त्रयोदशी श्राद्ध - 30 सितंबर 2024 (सोमवार)
चतुर्दशी श्राद्ध - 1 अक्टूबर 2024 (मंगलवार)
सर्वपितृ अमावस्या - 2 अक्टूबर 2024 (बुधवार)
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