जिस स्थान पर नारी की पूजा होती है वहां देवता भी निवास करते हैं। कन्या पुत्री, बहन, मां,. बेटी यह सभी एक ही मातृ शक्ति की विभिन्न अवस्थाएं हैं।
जननी सम जानहिं परनारी
आज हम देश की आजादी का पर्व मना रहे हैं, बहुत खुश हें, आज ही रक्षाबंधन पर्व भी है, क्या यह सब एक ढकोसला जैसा नहीं लगता, जिन्हें हम बहन बेटी, मां मानते हैं आज वही सुरक्षित नहीं है। डाक्टर जिन्हें हम भगवान का दर्जा देते हैं, जो हमें जीवन देते हैं, आज खुद उनकी अस्मिता ख़तरे में है।
बुरा मत मानना आज हम पश्चिम बंगाल में जो डाक्टर के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, दुर्भाग्य वहां की शासनाध्यक्ष खुद एक महिला है
यह हमें और हमारे समाज को कलंकित करतीं हैं। आखिर वह भी तो किसी की बहन बेटी होगी,
सोचिए कल यदि हमारे साथ ऐसा हुआ तो........।
यह जगह भगवान श्री कृष्ण द्रोपदी की अस्मिता बचाने नहीं आयेंगे।
उठिए एवं जागिए हमारी मां बहन बेटियों की सुरक्षा के लिए कुछ तो बोलिए,
देश के कर्णधारों से उम्मीद करना बेकार है, ये आज भी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।
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