मैं आपको ब्राह्मी लिपि से देवनागरी लिपि की उत्पत्ति की विस्तृत जानकारी देने का प्रयास करूंगा।
ब्राह्मी लिपि:
- ब्राह्मी लिपि प्राचीन भारत में प्रयोग की जाने वाली एक प्राचीन लिपि है।
- यह लिपि लगभग 500 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी तक प्रयोग में थी।
- ब्राह्मी लिपि में 46 अक्षर थे, जिनमें 14 स्वर और 32 व्यंजन शामिल थे।
- यह लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती थी।
- ब्राह्मी लिपि का प्रयोग संस्कृत भाषा के साथ-साथ अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में भी किया जाता था।
गुप्त लिपि:
- गुप्त लिपि ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई।
- यह लिपि लगभग 500 से 1200 ईस्वी तक प्रयोग में थी।
- गुप्त लिपि में 47 अक्षर थे, जिनमें 14 स्वर और 33 व्यंजन शामिल थे।
- यह लिपि भी बाएं से दाएं लिखी जाती थी।
- गुप्त लिपि का प्रयोग संस्कृत भाषा के साथ-साथ अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में भी किया जाता था।
नागरी लिपि:
- नागरी लिपि गुप्त लिपि से विकसित हुई।
- यह लिपि लगभग 1200 से 1500 ईस्वी तक प्रयोग में थी।
- नागरी लिपि में 48 अक्षर थे, जिनमें 14 स्वर और 34 व्यंजन शामिल थे।
- यह लिपि भी बाएं से दाएं लिखी जाती थी।
- नागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत भाषा के साथ-साथ अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में भी किया जाता था।
देवनागरी लिपि:
- देवनागरी लिपि नागरी लिपि से विकसित हुई।
- यह लिपि लगभग 1500 ईस्वी से वर्तमान तक प्रयोग में है।
- देवनागरी लिपि में 47 अक्षर हैं, जिनमें 14 स्वर और 33 व्यंजन शामिल हैं।
- यह लिपि भी बाएं से दाएं लिखी जाती है।
- देवनागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत भाषा के साथ-साथ हिंदी, मराठी, सिंधी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी किया जाता है।
इस प्रकार, ब्राह्मी लिपि से देवनागरी लिपि की उत्पत्ति एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई सदियों तक विभिन्न लिपियों का विकास हुआ।
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