दूसरों को वेवजह नीचा दिखाने वाले अहंकारी विद्वान एक दिन डूब मरते हैं : -
"ज्ञान"-- प्रगल्भ वादविवाद के लिए नहीं है और ना ही दूसरों को नीचा दिखाने के लिए। लेकिन कुछ लोग ज्ञान की अभिमान में इस बात को भूल कर व्यक्तिगत स्वार्थ जड़ित प्रतिस्पर्द्धिता जनित दुर्गुण से वेवजह दूसरों के साथ अपने ज्ञान का घमंड दिखाते- दिखाते एकदिन डूब मरते हैं।।
गंगा को पार करने के लिए कई विद्वान नाव में सवार हुए। नाव धीरे- धीरे विद्वानों को लेकर किनारे की तरफ बढ़ रही थी। उनमें से एक विद्वान ने नाविक से पूछा-- "क्या तुम पढ़े- लिखे हो ?" नाविक ने कहा-- "कैसी पढ़ाई- लिखाई साहब, बस मुझे तो यह नाव चलानी आती है।।"
विद्वान ने नाविक से फिर पूछा-- "क्या तुमने कभी भूगोल पढ़ा है ?" नाविक ने कहा-- "यह भूगोल क्या चीज होता है ?" विद्वान ने अपनी विद्या का प्रदर्शन करते हुए बोल पडे-- "भला तुम्हें कैसे पता होगा, तुम्हारी तो एक चैथाई जिन्दगी पानी में ही गुजर गयी।।"
इसके बाद दूसरे विद्वान ने नौका वाले से एक और प्रश्न किया-- "इतिहास के बारे में तो जानते होंगे थोड़ा बहुत ?" नाविक ने अपनी अज्ञानता जाहिर करते हुए कहा-- "मुझे इसकी भी जानकारी नहीं है।" विद्वान ने कहा-- "फिर तो तुम्हारी आधी जिन्दगी ही पानी में बर्बाद हो गयी।।"
इसके बाद विद्या के अभिमान में चूर एक विद्वान ने एक और प्रश्न नाविक से पूछा -- "रामायण और महाभारत के बारे में तो जानते होंगे ?" बेचारा नाविक क्या कहता ! उसने इशारे में 'ना' कहा। तभी विद्वान मुस्कुराते हुए बोला-- "फिर तो तुम्हारी सारी जिन्दगी पानी में ही बर्बाद हो गयी है।।"
कुछ देर बाद अचानक गंगा में पानी का बहाव तेज होने लगा। नाविक ने नाव में सवार विद्वानों को तूफान के आने की चेतावनी दी। एक विद्वान कहा- "ऐसी पुर्वाभाष मौसम विभाग से तुम कब सुना था ?" नाविक ने उनको अनसुना कर सभी विद्वानों से कहा-- "बहुत तेज तूफान आने वाला है और यह नाव कभी भी डूब सकती है। क्या आप सभी को तैरना आता है ?" सभी विद्वानों ने घबराते हुए एक साथ बोले-- "नहीं- नहीं, हमें तैरना नहीं आता।।"
नाव चलाने वाले ने स्थिति को भांपते हुए कहा-- "अब तो ज्ञानी होकर भी आप लोगों की सारी जिन्दगी पानी में गयी !" कुछ ही देर में तेज तूफान आने से नाव डूबने लगी। नाविक ने "गंगा मैया"- पुकार कर तेजी से पानी में कूद गया और तैरता- तैरता किनारे तक पहुंच गया। परन्तु सभी विद्वान पानी में बह कर डूब गए।।
निष्कर्ष निकलता है कि-- "विवेकी इंसान ज्यादा पढ़े लिखे न होने से भी अपनि सुदीर्घ अनुभव से प्राप्त व्यावहारिक ज्ञान को वर्द्धित कर, विशाल संसार- नदी में नाव चलाते वक्त सफलता के साथ तूफान को भी सामना कर सकता हैं, जंहा अनुभवहीन अहंकारी ज्ञानियों के किताबी- ज्ञान निष्फल होते हैं।।"
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