हिन्दू धर्म अनुसार स्नान और ध्यान का बहुत महत्व है। स्नान के पश्चात ध्यान, पूजा या जप आदि कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। हमारे शरीर में 9 छिद्र होते हैं उन छिद्रों को साफ-सुधरा बनाने रखने से जहां मन पवित्र रहता है वहीं शरीर पूर्णत: शुद्ध बना रहकर निरोगी रहता है।
स्नान कब और कैसे करें घर की समृद्धि बढ़ाना हमारे हाथ में है। सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए हैं।
1) मुनि स्नान।
जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है।
2) देव स्नान।
जो सुबह 5 से 6 के बीच किया जाता है।
3) मानव स्नान।
जो सुबह 6 से 8 के बीच किया जाता है।
4) राक्षसी स्नान।
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। किसी भी मनुष्य को सामान्यतया 8 के बाद स्नान नहीं करना चाहिए।
▶मुनि स्नान सर्वोत्तम है। यह घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विद्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
▶देव स्नान उत्तम है। यह आपके जीवन में यश , कीर्ति , धन, वैभव, सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
▶मानव स्नान सामान्य है। यह काम में सफलता ,भाग्य, अच्छे कर्मों की सूझ, परिवार में एकता, मंगलमय , प्रदान करता है।
▶राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है। यह दरिद्रता , हानि , क्लेश ,धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है ।
पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे। जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो। घर के बड़े बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए। ऐसा करने से धन, वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।
thanks for a lovly feedback