भगवान राम जब लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे तब बंदरों ने समुद्र पर विशाल पुल का निर्माण किया था, इस बात को तो आप भी जानते होंगे लेकिन राम का जब कृष्ण रूप में अवतार हुआ तब बंदरों ने फिर से कृष्ण के कहने पर एक सेतु का निर्माण किया था, इस बात को शायद ही आप जानते होंगे।
यह सेतु मथुरा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर काम्यवन में एक सरोवर पर बनाया गया था। इस कारण से यह सेतुबंध सरोवर के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में अब इस सेतु के ध्वंस अवशेष ही मौजूद हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं।
इस सरोवर के उत्तर में एक शिव मंदिर है। रामेश्वर मंदिर कहलाता है। सरोवर के दक्षिण में एक टीले पर लंका भी बनी हुई है। जिससे इस स्थान पर आकर एक साथ राम और कृष्ण अवतार दोनों की झलक एक साथ मिल जाती है।
इस सेतुबंध सरोवर की कथा बड़ी ही रोचक है। एक बार श्री कृष्ण राधा और सखियों के साथ यहां बैठे थे तभी सखियों ने राम की वीरगाथा का बखान करना शुरू कर दिया। कृष्ण ने सखियों से कहा पूर्व जन्म में मैं ही राम था।
सखियों ने इसे कृष्ण का बड़बोलापन समझकर कहा अगर ऐसा है तो बंदरों से सरोवर पर एक सेतु बनवाकर दिखाओ। कृष्ण ने मुरली की तान छेड़ी, वन में मौजूद सभी बंदर कृष्ण के पास आकर खड़े हो गए। श्री कृष्ण ने कहा कि मेरे लिए सरोवर पर एक सेतु का निर्माण कर दो।
कृष्ण की आज्ञा मिलते ही सभी वानर सेतु बनाने में जुट गए। रामावतार में जिस तरह राम ने रामेश्वर शिव की पूजा की थी उसी प्रकार कृष्ण ने शिव की पूजा की और जिससे यहां भी रामेश्वर मंदिर बन गया।
वानरों ने मेहनत और लगन से देखते ही देखते सरोवर पर सेतु का निर्माण कर दिया।सेतुबंध सरोवर को स्थानीय लोग लंका कुंड भी कहते हैं..!
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