जुम्मन टेलर की घरवाली रजिया ...जुम्मन के काम पे जाते ही अपने पड़ोसी ..लतीफ मियां के आगोश में समा जाती ।।
इस बात को पूरा मोहल्ला जानता था ।।
जुम्मन मियाँ भी जानते थे ।।
पर जुम्मन का जोर न तो रजिया पे था और न ही लतीफ पे ।।
जुम्मन बड़े दुखी रहते थे ।।
फिर एक दिन अचानक से जुम्मन खुश हो गए ।।
और खुश रहने लगे ।।
लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई ।।
बताओ जिसकी घरवाली दूसरे के साथ रंगरेलियां मनाती हो वो भला इतना खुश कैसे रह सकता है ..??
आखिर कार एक दिन कुछ क्लेशजीवियों ने जुम्मन से पूछ ही लिया ...!!
अरे भाई तेरी घरवाली तो दिन भर लतीफ के साथ सोती है .. फिर भी तू इतना खुश कैसे ..??
जुम्मन ने कहा पहले मैं भी यही सोच सोच के दुखी रहता था ...फिर मैंने अपने सोचने का नजरिया बदल लिया ...!
अब मैं सोचने लगा के रजिया मेरी नहीं लतीफ की घरवाली है .... जो रात में मेरे साथ सोती है ...तब से मैं बहुत खुश हूं ।।
हजार सालों तलक मुसल मानों ने बेइंतहा जुल्म किये ...दो सौ सालों तलक अंग्रेजों ने हमारा खून चूसा ...।।
दोनों ने हमे लूटा खसोटा ..हमे बर्बाद कर दिया ।।
हम गरीबी भुखमरी से परेशान रहने लगे ..हम बहुत दुखी थे ।।
हमारा सारा हाथ का काम मुसलमानों के कब्जे में चला गया ..!!
हमारी जमीनों पे वक़्फ़ का कब्जा हो गया ।।
हमारे देश के टुकड़े टुकड़े हो गए ।
हमारी लड़कियां लव जेहाद का शिकार होने लगीं ।।
हमारे तन सर से जुदा होने लगे ।।
हम महंगाई और बेरोजगारी से परेशान रहने लगे ।।
फिर हमने अपना नजरिया चेंज कर लिया ।।
हमारे लीडरों ने हमे बताया के हमारे बदहाली का कारण अंग्रेज और मुशरीम नहीं बल्कि ब्राह्मण और ठाकुर हैं ।।
तब से हम अपनी बदहाली के लिए सुबह शाम ब्राह्मणों एवम थाकुर को सौ सौ गाली देते हैं ..!
अब न हमे महंगाई सताती है न बेरोजगारी ..न हमें जाति पाति ऊंच नीच से कोई परेशानी है ।।
न वक़्फ़ से कोई दिक्कत ..न लव जेहाद से ।।
क्योंकि अब हम इन सबका जिम्मेदार ब्राह्मणों और ठाकुर को मानने लगे हैं ।।
तब से हम बहुत खुश हैं ।।
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