Slaughter of Jarasandha इंद्रप्रस्थ के निर्माण के बाद युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया और आवश्यक परामर्श के लिए कृष्ण को बुलाया। कृष्ण...
Slaughter of Jarasandha |
इंद्रप्रस्थ के निर्माण के बाद युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया और आवश्यक परामर्श के लिए कृष्ण को बुलाया।
कृष्ण इंद्रप्रस्थ आए और उन्होंने राजसूय यज्ञ के आयोजन का समर्थन किया। लेकिन उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि पहले अत्याचारी राजाओं और उनकी सत्ता को नष्ट किया जाए तभी राजसूय यज्ञ का महत्व रहेगा और देश-विदेश में प्रसिद्धि होगी। युधिष्ठिर ने कृष्ण के इस सुझाव को स्वीकार कर लिया, तब कृष्ण ने युधिष्ठिर को सबसे पहले जरासंध पर चढ़ाई करने की सलाह दी।
इसके बाद भीम और अर्जुन के साथ कृष्ण मगध रवाना हुए और कुछ समय बाद मगध की राजधानी गिरिब्रज पहुंच गए। कृष्ण की नीति सफल हुई और उन्होंने भीम द्वारा मल्लयुद्ध में जरासंध का वध करवा डाला। जरासंध की मृत्यु के बाद कृष्ण ने उसके पुत्र सहदेव को मगध का राजा बनाया। फिर उन्होंने गिरिब्रज के बंदीगृह में बंद सभी राजाओं को मुक्त किया और इस प्रकार कृष्ण ने जरासंध जैसे क्रूर शासक का अंत कर बंदी राजाओं को उनका राज्य पुन: लौटाकर खूब यश पाया। जरासंध के वध के बाद अन्य सभी क्रूर शासक भयभीत हो चले थे। पांडवों ने सभी को झुकने पर विवश कर दिया और इस तरह इंद्रप्रस्थ का राज्य विस्तार हुआ।
इसके बाद युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में युधिष्ठिर ने भगवान वेद व्यास, भारद्वाज, सुनत्तु, गौतम, असित, वशिष्ठ, च्यवन, कण्डव, मैत्रेय, कवष, जित, विश्वामित्र, वामदेव, सुमति, जैमिन, क्रतु, पैल, पाराशर, गर्ग, वैशम्पायन, अथर्वा, कश्यप, धौम्य, परशुराम, शुक्राचार्य, आसुरि, वीतहोत्र, मधुद्वंदा, वीरसेन, अकृतब्रण आदि सभी को आमंत्रित किया। इसके अलावा सभी देशों के राजाधिराज को भी बुलाया गया।
इसी यज्ञ में कृष्ण का शत्रु और जरासंध का मित्र शिशुपाल भी आया हुआ था, जो कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी के भाई का मित्र था और जो रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था। यह कृष्ण की दूसरी बुआ का पुत्र था इस नाते यह कृष्ण का भाई भी था। अपनी बुआ को श्रीकृष्ण ने उसके 100 अपराधों को क्षमा करने का वचन दिया था। इसी यज्ञ में कृष्ण का उसने 100वीं बार अपमान किया जिसके चलते भरी यज्ञ सभा में कृष्ण ने उसका वध कर दिया।.
महाभारत
द्वारिका में रहकर कृष्ण ने धर्म, राजनीति, नीति आदि के कई पाठ पढ़ाए और धर्म-कर्म का प्रचार किया, लेकिन वे कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध को नहीं रोक पाए और अंतत: महाभारत में वे अर्जुन के सारथी बने। उनके जीवन की ये सबसे बड़ी घटना थी। कृष्ण की महाभारत में भी बहुत बड़ी भूमिका थी। कृष्ण की बहन सुभद्रा अर्जुन की पत्नी थीं। श्रीकृष्ण ने ही युद्ध से पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
महाभारत युद्ध को पांडवों के पक्ष में करने के लिए कृष्ण को युद्ध के पूर्व कई तरह के छल, बल और नीति का उपयोग करना पड़ा। अंतत: उनकी नीति के चलते ही पांडवों ने युद्ध जीत लिया। इस युद्ध में भारी संख्या में लोग मारे गए। सभी कौरवों की लाश पर विलाप करते हुए गांधारी ने शाप दिया कि- 'हे कृष्ण, तुम्हारे कुल का नाश हो जाए।'