भगवान शिव की गले में लिपटे नाग के दस रहस्य

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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1. भगवान शिव की ग्रीवा में लिपटे नाग का नाम वासुकि है।

2. वासुकी नाग के पिता ऋषि कश्यप और माता कद्रू थीं।

3. वासुकी नाग के बड़े भाई का नाभ शेष (अनंत) और अन्य भाइयों का नाम तक्षक, पिंगला और कर्कोटक आदि था।

4. शेष नाग विष्णु के सेवक तो वासुकी शिव के सेवक बनें। वासुकी भगवान शिव के परम भक्त थे। वासुकी की भक्ति से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव ने उन्हें अपने गणों में सम्मिलित कर लिया था।

5. मान्यता है कि वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था। यह भी कहा जाता है कि वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है।

6. भगवान शिव के साथ ही वासुकी नाग की पूजा होती है। इसीलिए नागपंचमी पर शेषनाग के बाद वासुकी नाग की पूजा करना भी आवश्यक है। 

7. समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग को ही रस्सी के रूप में मेरू पर्वत के चारों और लपेटकर मंथन किया गया था, जिसके कारण उनका संपूर्ण शरीर लहूलुहान हो गया था। 

8. माना जाता है कि वासुकी के कारण ही नाग जाति के लोगों ने ही सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा का प्रचलन शुरू किया था।

9. वासुकी ने ही कुंती पुत्र भीम को दस हजार हाथियों के बल प्राप्ति का वरदान दिया था। जब भीम को दुर्योधन ने धोखे से विष पिलाकर गंगा नदी में फेंक दिया था तब भीम नागलोक पहुंच गए थे। वहां पर भीम के नानाजी ने वासुकी को बताया कि यह कौन है तब वासुनिक नाग ने भीम का विष उतारा और उसे दस हाजार हथियों का बल प्रदान किया।

10. वासुकी के सिर पर ही नागमणि होती थी। जब भगवान श्री कृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब रास्ते में जोरदार बारिश हो रही थी। इसी बारिश और यमुना के उफान से वासुकी नाग ने ही श्री कृष्ण की रक्षा की थी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि शेषनाग ने ऐसा किया था।

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