Secure Page

Welcome to My Secure Website

This is a demo text that cannot be copied.

No Screenshot

Secure Content

This content is protected from screenshots.

getWindow().setFlags(WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE, WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE); Secure Page

Secure Content

This content cannot be copied or captured via screenshots.

Secure Page

Secure Page

Multi-finger gestures and screenshots are disabled on this page.

getWindow().setFlags(WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE, WindowManager.LayoutParams.FLAG_SECURE); Secure Page

Secure Content

This is the protected content that cannot be captured.

Screenshot Detected! Content is Blocked

MOST RESENT$type=carousel

Search This Blog

भागवत दशम स्कन्ध (उत्तरार्द्ध) अध्याय 83 ( Chapter 10.83)

SHARE:

shrimad bhagwat mahapuran,bhagwat shloka,sampooran bhagwat shloka,srimad bhagwat dasham skandh,srimad bhagwatam canto 10, chapter 83, uttarardh,

 

Bhagwat chapter 10.83
Bhagwat chapter 10.83



           श्रीशुक उवाच

 

तथानुगृह्य भगवान्गोपीनां स गुरुर्गतिः।

युधिष्ठिरमथापृच्छत्सर्वांश्च सुहृदोऽव्ययम् ॥१॥

 

त एवं लोकनाथेन परिपृष्टाः सुसत्कृताः।

प्रत्यूचुर्हृष्टमनसस्तत्पादेक्षाहतांहसः ॥२॥

 

कुतोऽशिवं त्वच्चरणाम्बुजासवं

           महन्मनस्तो मुखनिःसृतं क्वचित्।

पिबन्ति ये कर्णपुटैरलं प्रभो

             देहंभृतां देहकृदस्मृतिच्छिदम् ॥३॥

 

हित्वात्म धामविधुतात्मकृतत्र्यवस्थाम्

        आनन्दसम्प्लवमखण्डमकुण्ठबोधम्।

कालोपसृष्टनिगमावन आत्तयोग

         मायाकृतिं परमहंसगतिं नताः स्म ॥४॥

 

               ऋषिरुवाच

 

इत्युत्तमःश्लोकशिखामणिं जनेष्व्

               अभिष्टुवत्स्वन्धककौरवस्त्रियः।

समेत्य गोविन्दकथा मिथोऽगृणंस्

           त्रिलोकगीताः शृणु वर्णयामि ते ॥५॥

 

               द्रौपद्युवाच

 

हे वैदर्भ्यच्युतो भद्रे हे जाम्बवति कौशले।

हे सत्यभामे कालिन्दि शैब्ये रोहिणि लक्ष्मणे ॥६॥

 

हे कृष्णपत्न्य एतन्नो ब्रूत वो भगवान्स्वयम्।

उपयेमे यथा लोकमनुकुर्वन्स्वमायया ॥७॥

 

               रुक्मिण्युवाच

 

चैद्याय मार्पयितुमुद्यतकार्मुकेषु

            राजस्वजेयभटशेखरिताङ्घ्रिरेणुः।

निन्ये मृगेन्द्र इव भागमजावियूथात्

       तच्छ्रीनिकेतचरणोऽस्तु ममार्चनाय ॥८॥

 

              सत्यभामोवाच

 

यो मे सनाभिवधतप्तहृदा ततेन

           लिप्ताभिशापमपमार्ष्टुमुपाजहार।

जित्वर्क्षराजमथ रत्नमदात्स तेन

  भीतः पितादिशत मां प्रभवेऽपि दत्ताम् ॥९॥

 

              जाम्बवत्युवाच

 

प्राज्ञाय देहकृदमुं निजनाथदैवं

       सीतापतिं त्रिनवहान्यमुनाभ्ययुध्यत्।

ज्ञात्वा परीक्षित उपाहरदर्हणं मां

       पादौ प्रगृह्य मणिनाहममुष्य दासी ॥१०॥

 

              कालिन्द्युवाच

 

तपश्चरन्तीमाज्ञाय स्वपादस्पर्शनाशया।

सख्योपेत्याग्रहीत्पाणिं योऽहं तद्गृहमार्जनी ॥११॥

 

            मित्रविन्दोवाच

 

यो मां स्वयंवर उपेत्य विजित्य भूपान्

       निन्ये श्वयूथगं इवात्मबलिं द्विपारिः।

भ्रातॄंश्च मेऽपकुरुतः स्वपुरं श्रियौकस्

      तस्यास्तु मेऽनुभवमङ्घ्र्यवनेजनत्वम् ॥१२॥

 

              सत्योवाच

 

सप्तोक्षणोऽतिबलवीर्यसुतीक्ष्णशृङ्गान्

       पित्रा कृतान्क्षितिपवीर्यपरीक्षणाय।

तान्वीरदुर्मदहनस्तरसा निगृह्य

  क्रीडन्बबन्ध ह यथा शिशवोऽजतोकान्॥१३॥

 

य इत्थं वीर्यशुल्कां मां दासीभिश्चतुरङ्गिणीम्।

पथि निर्जित्य राजन्यान्निन्ये तद्दास्यमस्तु मे ॥१४॥

 

               भद्रोवाच

 

पिता मे मातुलेयाय स्वयमाहूय दत्तवान्।

कृष्णे कृष्णाय तच्चित्तामक्षौहिण्या सखीजनैः ॥१५॥

 

अस्य मे पादसंस्पर्शो भवेज्जन्मनि जन्मनि।

कर्मभिर्भ्राम्यमाणाया येन तच्छ्रेय आत्मनः ॥१६॥

 

                लक्ष्मणोवाच

 

ममापि राज्ञ्यच्युतजन्मकर्म

              श्रुत्वा मुहुर्नारदगीतमास ह।

चित्तं मुकुन्दे किल पद्महस्तया

       वृतः सुसम्मृश्य विहाय लोकपान् ॥१७॥

 

ज्ञात्वा मम मतं साध्वि पिता दुहितृवत्सलः।

बृहत्सेन इति ख्यातस्तत्रोपायमचीकरत् ॥१८॥

 

यथा स्वयंवरे राज्ञि मत्स्यः पार्थेप्सया कृतः।

अयं तु बहिराच्छन्नो दृश्यते स जले परम् ॥१९॥

 

श्रुत्वैतत्सर्वतो भूपा आययुर्मत्पितुः पुरम्।

सर्वास्त्रशस्त्रतत्त्वज्ञाः सोपाध्यायाः सहस्रशः ॥२०॥

 

पित्रा सम्पूजिताः सर्वे यथावीर्यं यथावयः।

आददुः सशरं चापं वेद्धुं पर्षदि मद्धियः ॥२१॥

 

आदाय व्यसृजन्केचित्सज्यं कर्तुमनीश्वराः।

आकोष्ठं ज्यां समुत्कृष्य पेतुरेकेऽमुनाहताः ॥२२॥

 

सज्यं कृत्वापरे वीरा मागधाम्बष्ठचेदिपाः।

भीमो दुर्योधनः कर्णो नाविदंस्तदवस्थितिम् ॥२३॥

 

मत्स्याभासं जले वीक्ष्य ज्ञात्वा च तदवस्थितिम्।

पार्थो यत्तोऽसृजद्बाणं नाच्छिनत्पस्पृशे परम् ॥२४॥

 

राजन्येषु निवृत्तेषु भग्नमानेषु मानिषु।

भगवान्धनुरादाय सज्यं कृत्वाथ लीलया ॥२५॥

 

तस्मिन्सन्धाय विशिखं मत्स्यं वीक्ष्य सकृज्जले।

छित्त्वेषुणापातयत्तं सूर्ये चाभिजिति स्थिते ॥२६॥

 

दिवि दुन्दुभयो नेदुर्जयशब्दयुता भुवि।

देवाश्च कुसुमासारान्मुमुचुर्हर्षविह्वलाः ॥२७॥

 

तद्रङ्गमाविशमहं कलनूपुराभ्यां

      पद्भ्यां प्रगृह्य कनकोज्वलरत्नमालाम् ।

नूत्ने निवीय परिधाय च कौशिकाग्र्ये

           सव्रीडहासवदना कवरीधृतस्रक् ॥२८॥

 

उन्नीय वक्त्रमुरुकुन्तलकुण्डलत्विड्

         गण्डस्थलं शिशिरहासकटाक्षमोक्षैः।

राज्ञो निरीक्ष्य परितः शनकैर्मुरारेर्-

        अंसेऽनुरक्तहृदया निदधे स्वमालाम् ॥२९॥

 

तावन्मृदङ्गपटहाः शङ्खभेर्यानकादयः।

निनेदुर्नटनर्तक्यो ननृतुर्गायका जगुः ॥३०॥

 

एवं वृते भगवति मयेशे नृपयूथपाः।

न सेहिरे याज्ञसेनि स्पर्धन्तो हृच्छयातुराः ॥३१॥

 

मां तावद्रथमारोप्य हयरत्नचतुष्टयम्।

शार्ङ्गमुद्यम्य सन्नद्धस्तस्थावाजौ चतुर्भुजः ॥३२॥

 

दारुकश्चोदयामास काञ्चनोपस्करं रथम्।

मिषतां भूभुजां राज्ञि मृगाणां मृगराडिव ॥३३॥

 

तेऽन्वसज्जन्त राजन्या निषेद्धुं पथि केचन।

संयत्ता उद्धृतेष्वासा ग्रामसिंहा यथा हरिम् ॥३४॥

 

ते शार्ङ्गच्युतबाणौघैः कृत्तबाह्वङ्घ्रिकन्धराः।

निपेतुः प्रधने केचिदेके सन्त्यज्य दुद्रुवुः ॥३५॥

 

ततः पुरीं यदुपतिरत्यलङ्कृतां

          रविच्छदध्वजपटचित्रतोरणाम्।

कुशस्थलीं दिवि भुवि चाभिसंस्तुतां

        समाविशत्तरणिरिव स्वकेतनम् ॥३६॥

 

पिता मे पूजयामास सुहृत्सम्बन्धिबान्धवान्।

महार्हवासोऽलङ्कारैः शय्यासनपरिच्छदैः ॥३७॥

 

दासीभिः सर्वसम्पद्भिर्भटेभरथवाजिभिः।

आयुधानि महार्हाणि ददौ पूर्णस्य भक्तितः ॥३८॥

 

आत्मारामस्य तस्येमा वयं वै गृहदासिकाः।

सर्वसङ्गनिवृत्त्याद्धा तपसा च बभूविम ॥३९॥

 

            महिष्य ऊचुः

 

भौमं निहत्य सगणं युधि तेन रुद्धा

     ज्ञात्वाथ नः क्षितिजये जितराजकन्याः।

निर्मुच्य संसृतिविमोक्षमनुस्मरन्तीः

      पादाम्बुजं परिणिनाय य आप्तकामः ॥४०॥

 

न वयं साध्वि साम्राज्यं स्वाराज्यं भौज्यमप्युत।

वैराज्यं पारमेष्ठ्यं च आनन्त्यं वा हरेः पदम् ॥४१॥

 

कामयामह एतस्य श्रीमत्पादरजः श्रियः।

कुचकुङ्कुमगन्धाढ्यं मूर्ध्ना वोढुं गदाभृतः ॥४२॥

 

व्रजस्त्रियो यद्वाञ्छन्ति पुलिन्द्यस्तृणवीरुधः।

गावश्चारयतो गोपाः पदस्पर्शं महात्मनः ॥४३॥

 

 

इति श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां

 दशमस्कन्धे उत्तरार्धे त्र्यशीतितमोऽध्यायः॥८३॥


POPULAR POSTS$type=three$author=hide$comment=hide$rm=hide

TOP POSTS (30 DAYS)$type=three$author=hide$comment=hide$rm=hide

Name

about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,CPD,1,darshan,16,Download,4,General Knowledge,31,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,39,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,अध्यात्म,200,अनुसन्धान,22,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,4,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,26,आधुनिक विज्ञान,22,आधुनिक समाज,151,आयुर्वेद,45,आरती,8,ईशावास्योपनिषद्,21,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,34,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,122,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,केनोपनिषद्,10,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,खगोल विज्ञान,1,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,2,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,51,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,50,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पूजा विधि,1,पौराणिक कथाएँ,64,प्रत्यभिज्ञा दर्शन,1,प्रश्नोत्तरी,29,प्राचीन भारतीय विद्वान्,100,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,39,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,28,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत अष्टम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत एकादश स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत कथा,134,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,4,भागवत के पांच प्रमुख गीत,3,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत चतुर्थ स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत तृतीय स्कंध(हिन्दी),9,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,91,भागवत दशम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वादश स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत द्वितीय स्कन्ध(हिन्दी),10,भागवत नवम स्कन्ध,38,भागवत नवम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पञ्चम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,22,भागवत प्रथम स्कन्ध(हिन्दी),19,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,18,भागवत माहात्म्य स्कन्द पुराण(संस्कृत),2,भागवत माहात्म्य स्कन्द पुराण(हिन्दी),2,भागवत माहात्म्य(संस्कृत),2,भागवत माहात्म्य(हिन्दी),9,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत षष्ठ स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत सप्तम स्कन्ध(हिन्दी),1,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,34,भारतीय अर्थव्यवस्था,8,भारतीय इतिहास,21,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,8,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,49,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,37,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय सम्राट,1,भारतीय संविधान,1,भारतीय संस्कृति,4,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,4,मन्त्र-पाठ,8,मन्दिरों का परिचय,1,महाकुम्भ 2025,3,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,34,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,126,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीय दिवस,4,राष्ट्रीयगीत,1,रील्स,7,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,151,लघुकथा,38,लेख,182,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,9,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,2,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,10,व्रत एवं उपवास,36,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,453,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,60,स्वास्थ्य और देखभाल,4,हमारी प्राचीन धरोहर,1,हमारी विरासत,3,हमारी संस्कृति,98,हँसना मना है,6,हिन्दी रचना,33,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,
ltr
item
भागवत दर्शन: भागवत दशम स्कन्ध (उत्तरार्द्ध) अध्याय 83 ( Chapter 10.83)
भागवत दशम स्कन्ध (उत्तरार्द्ध) अध्याय 83 ( Chapter 10.83)
shrimad bhagwat mahapuran,bhagwat shloka,sampooran bhagwat shloka,srimad bhagwat dasham skandh,srimad bhagwatam canto 10, chapter 83, uttarardh,
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjryKEMeNTvj3_6V5rRogfPnZ9B_VnikOvRDrybekrR_lIxWFNCqs4v4R3E2SweCRkW0GF9gzeqz2a-soNoRlapjTYelzPMLaqD0K7SvwRIK5rpvogmRJRoinEvT1sxx3D75JeVkioi6XPu5jMyrBOebnBcnTf_FmhRsjkk7XWV7rSNLX3RYbwoZJu9Z-I/s320/bhagwat%2010.83.png
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjryKEMeNTvj3_6V5rRogfPnZ9B_VnikOvRDrybekrR_lIxWFNCqs4v4R3E2SweCRkW0GF9gzeqz2a-soNoRlapjTYelzPMLaqD0K7SvwRIK5rpvogmRJRoinEvT1sxx3D75JeVkioi6XPu5jMyrBOebnBcnTf_FmhRsjkk7XWV7rSNLX3RYbwoZJu9Z-I/s72-c/bhagwat%2010.83.png
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/06/83-chapter-1083.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/06/83-chapter-1083.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content