बुढ़वा मंगल ? जानें पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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hanumaan ji
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  हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व है। इस महीने में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने के प्रत्येक मंगल को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल कहा जाता है।

ज्येष्ठ माह के मंगल को बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुख कष्ट दूर होते हैं, और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। व्यक्ति पर विशेष कृपा होती है। आइए जानते हैं किस किस तिथि को पड़ेंगे ज्येष्ठ माह के बुढ़वा मंगल। जानिए पूजा विधि, और महत्व।


 ⇨ बुढ़वा मंगल किसे कहते हैं ?

   ज्येष्ठ माह में पड़ने वाला प्रत्येक मंगलवार बुढ़वा मंगल होता है।


 ⇨ यह है बड़े मंगल का महत्व

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगल का विशेष महत्व है। इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंगबाण का पाठ करने और सुंदरकांड को पढ़ने से भक्तों को हनुमानजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आपकी कोई मनोकामना अधूरी है तो बुढ़वा मंगल के दिन हनुमानजी के मंदिर में चोला चढ़ाने से आपकी सारी अधूरी इच्छाएं पूर्ण होंगी और आपको पुण्य की प्राप्ति होगी।


 ⇨ क्यों होती है बूढ़े हनुमान जी की आराधना ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुढ़वा मंगल महाभारत काल और रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। महाभारत काल की कथा के अनुसार भीम को अपनी शक्तियों का काफी घमंड हो गया था। भीम का घमंड चूर-चूर करने के लिए हनुमानजी ने मंगलवार को बूढ़े बंदर का रूप धारण किया और भीम को हरा दिया। तभी से इस दिन को बूढ़ा मंगल के नाम से मनाया जाने लगा।

वहीं रामायण काल में एक बार सीता मां को खोजते हुए जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो रावण ने बंदर कहकर उनका अपमान किया। रावण के घमंड को चकनाचूर करने के लिए भी हनुमानजी ने वृद्ध वानर का रूप धारण किया था। बजरंगबली ने विराट रूप धारण किया था और अपनी पूंछ से लंका को जलाकर लंकापति रावण का घमंड चकनाचूर किया था।

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