हनुमान जी को बाला जी क्यों कहते हैं ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 मुझमें इतना सामर्थ्य नहीं कि तेरे यश का मैं गान लिखूं।

आदेश समझकर तेरा अब जय जय जय श्री राम लिखूं।।

  बाला जी महराज का बोल बाला है इस समय हर कोई जय बाला जी कर रहा है तो मेरे मन में ये प्रश्न कौंधने लगा और मैंने गूगल का सहारा लिया नहीं मिला फिर मैंने बाला जी से कहा आप इस प्रश्न का निवारण करिए तो उन्होंने जो बुद्धि दी उसी के अनुरूप लिख रहा हूं,आप लोग त्रुटि को सही कर दीजिएगा।

  बाला जी मतलब जो मैं समझ पाया वो बाल रूप से मतलब है क्योंकि सबसे ज्यादा लीला तो बाल रूप में ही किए थे यहां तक कि वो सूर्य को लील गए थे।

  बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनहु लोक भयउ अंधियारो। लोग बताते हैं एक बार यमराज ने इनकी माता अंजनी का प्राण ले लिया तो यमराज के पास पहुंचे और अपनी मां के प्राण वापस ले आए।आपके भजन गाने से राम जी तो मिल ही जायेंगे और सारा काम भी बन जायेगा।

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।

 अब सोचिए ऐसे प्रभु जो अपने भक्तों पर खुश होकर अपने से ज्यादा मानने लगते हैं उन प्रभु को हम अगर अपने पूरे समय में से थोड़ा सा भी समय दे दें तो लोक परलोक सब बन जायेगा।

"जो धन शिव रावनहि दीन्ह दिए दसमाथ।

सोइ संपदा विभीषणहि सकुची दीन्ह रघुनाथ॥

अस प्रभु छाड़ भजे जे आना। 

ते नर पशु विनु पूछ विषाणा॥

राम को अपना लो सब अपना लगने लगेगा क्योंकि सब में राम हैं। "सियाराम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोर जुग पानी।" सबको प्रणाम। कुमार आलोक।और,

कलयुग केवल नाम आधारा।

सुमीरि सुमिरि नर उतरहिं पारा॥

इसी प्रकार हनुमान जी के बाल रूप बाला जी को बारंबार प्रणाम।

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