शिवलिङ्ग क्या है ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
By -
shivlinga
parthiv shivlinga


  शिवलिंग भगवान शंकर का ऐसा मंगलयमय रुप है जिसके अभिषेक से मनुष्यों के करोड़ो जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। पुराणों में शिवलिंग पर अलग- अलग जलधाराओं व फ़ूलों से शिव पूजन का अलग- अलग महत्व बताया गया है।

  शास्त्रों के अनुसार इन धाराओं को अर्पित करते समय शिव मन्त्रों जैसे- महामृत्युंजय मंत्र, शिव गायत्री मंत्र, रुद्र मंत्र, षडाक्षरी मंत्र व शिव सहस्त्रनामों का उच्चारण करते रहना चाहिए। इस तरह अभिषेक करने से सभी मनोरथों की पूर्ति व संकटों से मुक्ति मिलती है।

१- भगवान शंकर को गंगाजल की धारा बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हे गंगाधर भी कहा जाता है। गंगाजल द्वारा अभिषेक करने से भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है।

२- मन की शान्ति के लिए शिवलिंग पर जल धारा से अभिषेक करें।

३- भौतिक सुख-साधनों की प्राप्ति के लिए सुगन्धित तेल की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।

४- शिवलिंग पर गन्ने के रस की धार चढायी जाये तो भी सम्पूर्ण आनन्द की प्राप्ति होती है।

५- अच्छे स्वास्थ्य के लिए व रोग मुक्त होने के लिए शहद की धारा से भगवान शिव का अभिषेक करें।

६- संतान प्राप्ति व वंश वृद्धि के लिए शिव सहस्त्रनामों का उच्चारण करते हुए घी की धारा अर्पित करें।

७- धन सम्पदा की प्राप्ति के लिए कमल, बिल्व पत्र, शतपत्र और शंखपुष्प से भगवान शिव का पूजन करें।

८- यदि अल्पायु का भय हो तो उसे एक लाख दुर्वाओं के द्वारा भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।

९- पुत्र की कामना हेतु लाल डंठल वाले धतूरे के फ़ूलों से पूजा करनी चाहिए।

१०- मान प्रतिष्ठा यश की प्राप्ति हेतु अगस्त्य के फ़ूलों से पूजन करना चाहिए।

११- वाहन सुख के लिए चमेली पुष्प से भगवान शिव की पूजा करें।

१२- जूही के फ़ूलों से भगवान शंकर का पूजन करने से अन्न की कभी कमी नही आती।

१३- करनेर के फ़ूलों द्वारा पूजन करने से सुन्दर वस्त्रों की प्राप्ति होती है।

१४- सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए सिंगार के फ़ूलों से पूजन करना चाहिए।

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