दो खाली पीपे

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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  एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर दूर देशो में करोड़ो रुपये कमाने जाता था।

  उसके मित्रों ने उससे कहा की तुम नौका में घूमते हो। पुराने जमाने की नौका है तूफ़ान आते हैं, खतरे होते हैं, नावें डूब जाती है। तुम तैरना तो सीख लो।

   सौदागर ने कहा कि तैरना सीखने के लिए मेरे पास समय कहां है...?

  लोगों ने कहा, ज्यादा समय की जरूरत नहीं गाँव में एक कुशल तैराक है जो कहता है तीन दिन में ही वो तैरना सीखा देगा।

   वह जो कहता है ठीक ही कहता होगा; लेकिन मेरे पास तीन दिन कहां...? तीन दिन में हज़ारों का कारोबार कर लेता हूँ। तीन दिन में तो लाखों रूपए यहां से वहाँ हो जाते हैं। कभी फुरसत मिलेगी तो जरूर सीख लूंगा।

 फिर भी लोगों ने कहा कि खतरा बहुत बड़ा है, तुम्हारा जीवन निरन्तर नाव पर है, किसी भी दिन खतरा हो सकता है और तुम तो तैरना भी नहीं जानते।

   उसने कहा कि और कोई सस्ती तरकीब हो तो बताओ, इतना समय तो मेरे पास नहीं है। तो लोगों ने कहा कि कम से कम दो पीपे अपने पास रख लो। कभी जरूरत पड़ जाए तो उन्हें पकड़कर तुम तैर तो सकोगे।

   उसने दो खाली पीपे मुंह बन्द करवाकर अपने पास रख लिए। उनको हमेशा अपनी नाव में जहां वो सोता वहीं रखता।

   और किसी को पता भी न था और एक दिन वह घड़ी आ गई। तूफान उठा और नाव डूबने लगी।

वह चिल्लाया, मेरे पीपे कहां है...?

उसके नाविकों ने बताया कि वह तो उसके बिस्तर के पास ही रखे हुए हैं।

 बाकी नाविक तो कूद गये, वे तैरना जानते थे।

 वह अपने पीपों के पास गया। लेकिन दो खाली पीपे भी वहां थे जो उसने तैरने के लिए रखे थे और दो स्वर्ण मुद्राओं से भरे पीपे भी थे, जिन्हें वह लेकर आ रहा था।

   उसका मन डांवाडोल होने लगा की कौन से पीपे लेकर कूदे- सोने से भरे या खाली? फिर उसने देखा की नाव डूबने वाली है। खाली पीपे लेकर कूदने से क्या होगा? उसने अपने सोने से भरे पीपे लिए और कूद गया।

 जो उस सौदागर का हुआ होगा वह आप समझ सकते हैं।

   वह तैरने के लिए समय नहीं निकाल सका था। क्या आप समय निकाल सके हैं? उसे तो मौका भी मिल गया था । वह खाली पीपे लेकर कूद सकता था, लेकिन वह भरे पीपे लेकर कूदा।

 यही हाल हमारा है अभी थोड़ा व्यापार संभाल लें, थोड़ा मकान देख लें, परिवार में मेरे बिना सब चौपट हो जाएगा, थोड़ा उसको भी देख लें, बस ऐसे ही जीवन निकाल रहे हैं, तैरना कब सीखेंगे संसार सागर में टूटी हुई नाव में बैठे हैं।

 सभी सन्त महात्मा पुकार पुकार के कह रहे हैं। लेकिन हमारे पास समय नहीं है ।

    यहां तक कि 2 खाली पीपे भी हमने साथ नहीं रखे हैं सत्संग और सेवा । उनको भी हमने अहंकार और दौलत के दिखावे से भर रखा है । क्योंकि जिनको जीवनभर दिखावे, अहंकार और दौलत से भरे - भरे होने की आदत होती है, वे एक क्षण भी खाली होने को राजी नहीं हो सकते।

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