शनि छठे भाव, अष्टम भाव, दशम भाव एवं द्वादश भाव का कारक होता है। काल पुरुष के कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में पुष्य नक्षत्र का स्वामी होता है। ...
- शनि छठे भाव, अष्टम भाव, दशम भाव एवं द्वादश भाव का कारक होता है। काल पुरुष के कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में पुष्य नक्षत्र का स्वामी होता है। शनि अष्टम भाव में अनुराधा नक्षत्र का स्वामी होता है। शनि द्वादश भाव में शतभिषा नक्षत्र का स्वामी होता है।
- शनि को कर्म का कारक ग्रह माना जाता है।
- शनि देव जातक को कर्मठ एवं न्यायप्रिय बनाते हैं।
- शनि देव वैराग्य भी देता है।
- शनि देव धैर्यवान बनता है।
- शनि देव केंद्र में स्वग्रही उच्च के हो तो शश योग नामक राजयोग भी बनता है।
- जब शनि देव काल पुरुष की कुंडली में अपने ही नक्षत्र में हो तो 4,8, 12 भाव के फल देते हैं। साथ ही अपने कारक भाव 6 , 8, 10, 12 भाव के भी फल देते हैं।
- चतुर्थ भाव से हम समस्त सुख को देखते हैं। जब शनि देव चतुर्थ भाव में स्थित हो और शुभ ग्रह से प्रभावित हो तो भूमि भवन वाहन के सुख प्रदान करते हैं।
- यदि हम छठे भाव के सकारात्मक पक्ष को देख तो छठा भाव प्रतियोगिता का है। छठा भाव नौकरी का भी है ।और प्रतियोगिता में वही सफल होता है जो धैर्य पूर्वक अपने कर्म में लगा हो।
- अष्टम भाव के हम सकारात्मक पक्ष को देखें तो आयु का है, गुप्त विधाओं का है, पेट्रोलियम पदार्थों का है, जमीन के अंदर छुपे हुए खजाने का है, अष्टम भाव रिसर्च का भी है, बीमा का है, साधना का है। इन क्षेत्रों में बिना शनिदेव के सकारात्मक हुए बगैर हम सफ़ल नहीं हो सकते हैं। और इन्हीं क्षेत्रों में अकूत धन भी है।
- दशम भाव हमारे कर्म का है हमारे मान सम्मान का है हमारे पद प्रतिष्ठा का है। नौकरी व्यवसाय भी हम इसी भाव से देखते हैं। और शनि देव इस भाव में सकारात्मक स्थिति में हो तो यह सब हमें मिलना आसान हो जाता है।
- द्वादश भाव हॉस्पिटल, जेल, विदेश यात्रा या विदेश का भी है। यदि हम इन क्षेत्रों को सकारात्मक रूप से देखें तो डॉक्टर, जेलर , विदेश व्यवसाय एक्सपोर्ट इंपोर्ट विदेश काम करने जाने वाले जातक अपने जीवन में अच्छा धन कमाते हैं।
शनि ग्रह को आयु, वैराग्य, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है।
शनि ग्रह से जो मिलने वाले अच्छे सकारात्मक फल है वह शनि ग्रह की बाली एवं शुभ प्रभाव में होने से ही मिलेगा। जैसे ही शनि निर्बल होगा पाप पीड़ित होगा शनि ग्रह के नकारात्मक फल प्राप्त होंगे।
बस हमें शनि जो उसका चाहता है उसके अनुसार बस हमें सनी जो उसका चाहता है उसके अनुसार कर्म करना बस हमें शनि के अच्छे फल को प्राप्त करना है तो कर्मठ हो , सेवा भावी हो , धैर्य वान हो एवं न्याय प्रीय हो तो निश्चित ही हमें अच्छे रिजल्ट देंगे और यदि हम झूठ लबारी, कुसंगति गलत कार्य करते हैं तो हमें शनि के नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
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