महाभारत प्रश्नोत्तरी

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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प्रश्न - महाभारत में कुल कितने श्लोक हैं ? 

उत्तर - 100000( एक लाख श्लोक। इसीलिए इस ग्रन्थ को शतसाहस्रीसंहिता कहा जाता है।

प्रश्न - महाभारत का पुराना नाम क्या है?

उत्तर - जयसंहिता।

प्रश्न- महाभारत की कथा किसकी देन है?

उत्तर- महाभारत की कथा महर्षि पराशर के कीर्तिमान पुत्र वेद व्यास की देन है ।

प्रश्न- हस्तिनापुर की गद्दी विचित्रवीर्य को क्यों दी गई? विचित्रवीर्य के दो पुत्रों के नाम लिखो ।

उत्तर - चित्रांगद की अकाल मृत्यु के बाद उनके भाई विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर की गद्दी दी गई । विचित्रवीर्य के दो पुत्रों के नाम हैं - धृतराष्ट्र और पांडु ।

प्रश्न- धृतराष्ट्र ज्येष्ठ पुत्र थे फिर पांडु को गद्दी पर क्यों बिठाया गया?

उत्तर - धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे इसलिए उस समय की निति के अनुसार पांडु को गद्दी पर बिठाया गया ।

प्रश्न- पांडु अपनी दो रानियाँ के साथ जंगल क्यों गए?

उत्तर - पांडु अपनी दो रानियाँ कुंती और माद्री के साथ अपने किसी अपराध के प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में गए ।

प्रश्न- पांडु के कितने पुत्र थे?

उत्तर - पांडु के पाँच पुत्र थे ।

प्रश्न- पांडवो का पालन-पोषण किनके द्वारा और कहाँ हुआ ?

उत्तर - पांडवो का पालन-पोषण ऋषि मुनियों के द्वारा जंगल में हुआ ।

प्रश्न- युधिष्ठिर के सोलह वर्ष के होने पर ऋषियों ने पांडवों को किन्हें सौंप दिया?

उत्तर - युधिष्ठिर के सोलह वर्ष के होने पर ऋषियों ने पांडवों को हस्तिनापुर ले जाकर पितामह भीष्म को सौंप दिया।

प्रश्न- कौरव पांडवों से क्यों जलते थे?

उत्तर - पाँचों पांडव बुद्धि से तेज़, शरीर से बली और मधुर स्वभाव के थे । पांडवों के गुण सबको मोह लिया करते थे । यह देखकर कौरव उनसे जलते थे ।

प्रश्न- कुरु राज्य का बटवारा किस प्रकार हुआ?

उत्तर - कुरु राज्य के दो हिस्से किए गए । कौरव हस्तिनापुर में ही राज करते रहे और पांडवों को एक अलग राज्य दे दिया गया, जो आगे चलकर इंद्रप्रस्थ के नाम से मशहूर हुआ ।

प्रश्न- राजा लोगों के बीच कौन - सा खेल खेलने का रिवाज था ?

उत्तर - राजा लोगों के बीच चौसर खेलने का रिवाज था ।

प्रश्न- पांडवो का राज्य कैसे छिना और उन्हें क्या भोगना पड़ा ?

उत्तर - चौसर के खेल में शकुनि ने युधिष्ठिर को हरा दिया । इसके फलस्वरूप पांडवों का राज्य छिन गया और उनको तेरह वर्ष का वनवास भोगना पड़ा ।

प्रश्न- कौरव और पांडवों में युद्ध का क्या कारण था?

उत्तर - दुर्योधन ने पांडवों को राज्य लौटने से इंकार कर दिया था । यही कौरव और पांडवों के बीच युद्ध का कारण बना ।

प्रश्न -   पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों से साथ क्या किया करती थी?

उत्तर- पैदा होते ही गंगा अपने पुत्रों को नदी की बहती हुई धारा में फेंक दिया करती थी ।

प्रश्न -  गंगा को पुत्रों को नदी में फेंकता देख कर भी राजा शांतनु कुछ क्यों नहीं कर पाते थे?

उत्तर - राजा शांतनु ने गंगा को वचन दिया था जिसके कारण वह सब कुछ देखकर भी मन मसोस कर रह जाते थे ।

प्रश्न -   गंगा राजा शांतनु को छोड़ कर वापस क्यों चली गई?

उत्तर - राजा शांतनु ने गंगा को अपने आंठवे बच्चे को फेंकने से रोक कर अपना वचन तोड़ दिया था इसलिए गंगा उन्हें छोड़ कर वापस चली गयी ।

प्रश्न - भीष्म पितामह कौन थे?

उत्तर - गंगा और राजा शांतनु के आंठवे पुत्र देवव्रत थे जो आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुए ।

प्रश्न -   एक दिन राजा शांतनु शिकार खेलते-खेलते गंगा के तट पर चले गए तब उन्होंने वहाँ क्या देखा?

उत्तर - उन्होंने वहाँ देखा कि एक सुंदर और गठीला युवक गंगा की बहती हुई धारा पर बाण चला रहा था और उसके बाणों के बौछार से गंगा की प्रचंड धारा एकदम रुकी हुई थी ।

प्रश्न - देवव्रत के गुणों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - देवव्रत ने शिक्षा महर्षि वसिष्ठ से ली थी । शास्त्र ज्ञान में शुक्राचार्य और रण कौशल में परशुराम ही उनका मुकाबला कर सकते थे । यह जितने कुशल योद्धा थे उतने ही चतुर राजनीतिज्ञ थे।

प्रश्न- सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में क्या विचार आया?

उत्तर - सत्यवती को देखकर राजा शांतनु के मन में उन्हें अपनी पत्नी बनाने की इच्छा हुई।

प्रश्न- राजा शांतनु क्यों चिंतित थे?

उत्तर - राजा शांतनु इसलिए चिंतित थे क्योंकि वह सत्यवती से विवाह करना चाहते थे पर सत्यवती के पिता केवटराज ने जो शर्त रखी वो अनुचित थी।

प्रश्न- देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?

उत्तर - देवव्रत का नाम भीष्म इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने आजन्म ब्रह्मचारी रहने की कठोर प्रतिज्ञा की थी।

प्रश्न- सत्यवती और शांतनु के कितने पुत्र हुए?

उत्तर - सत्यवती और शांतनु के दो पुत्र हुए - चित्रांगद और विचित्रवीर्य।

प्रश्न- विचित्रवीर्य की कितनी रानियाँ थीं? उनके नाम लिखें।

उत्तर - विचित्रवीर्य की दो रानियाँ थीं - अंबिका और अंबालिका।

प्रश्न- अंबिका और अंबालिका के पुत्रों के नाम लिखें।

उत्तर - अंबिका के पुत्र थे धृतराष्ट्र और अंबालिका के पुत्र थे पांडु ।

प्रश्न- भीष्म किस अवहेलना को सह नहीं पाए और उन्होंने क्या किया?

उत्तर - काशिराज की कन्यायों ने भीष्म की तरफ़ से दृष्टि फेर कर उनकी अवहेलना की जो भीष्म सह न सके इसलिए वे सभी राजकुमारों को हराकर तीनों राजकन्यायों को बलपूर्वक हस्तिनापुर ले गए ।

प्रश्न- राजा शाल्व ने अंबा को पत्नी के रूप में क्यों नहीं स्वीकार किया?

उत्तर - राजा शाल्व ने अंबा को पत्नी के रूप में इसलिए नहीं स्वीकार किया क्योंकि सभी राजकुमारों के सामने भीष्म ने राजा शाल्व को युद्ध में पराजित किया था और अंबा को बलपूर्वक हरण करके ले गए थे ।

प्रश्न- अंबा भीष्म से क्यों बदला लेना चाहती थी और उसने उसके लिए क्या किया?

उत्तर - अंबा ने अपने सारे दुःख कारण भीष्म को ही समझा इसलिए वह कई राजाओं के पास गई और भीष्म से युद्ध करके उनका वध करने की प्रार्थना की ।

प्रश्न- अंबा शिखंडी कैसे बनी?  

उत्तर - अंबा तपोबल से स्त्री-रूप छोड़ कर पुरुष बन गई और उसने अपना नाम शिखंडी रख लिया ।

प्रश्न- अंबा का क्रोध कब शांत हुआ?

उत्तर - शिखंडी को आगे करके अर्जुन ने भीष्म पितामह पर हमला किया और भीष्म आहत होकर पृथ्वी पर गिर पड़े, तब जाकर अंबा का क्रोध शांत हुआ ।

प्रश्न- विदुर कौन थे ?

उत्तर- विचित्रवीर्य की रानी अंबालिका की दासी के पुत्र आगे चलकर विदुर के नाम से प्रख्यात हुए।

प्रश्न- किसने विदुर को राजा धृतराष्ट्र का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था और क्यों?

उत्तर - पितामह भीष्म ने विदुर को उनके विवेक तथा ज्ञान से प्रभावित होकर उन्हें राजा धृतराष्ट्र का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।

प्रश्न- क्षत्रियों का क्या धर्म है?

उत्तर - युद्ध या खेल के लिए बुलाए जाने पर न जाना क्षत्रियों का धर्म नहीं है।

प्रश्न- विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से क्या कहा और क्यों?

उत्तर - विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से कहा कि जुआ खेलना ठीक नहीं है। इस खेल के कारण उनके बेटों में आपस में वैरभाव बढ़ेगा इसलिए इसे रोक दीजिए।

प्रश्न- ऋषि दुर्वासा कुंती से क्यों प्रसन्न थे?

उत्तर - ऋषि दुर्वासा कुंती की सेवा-सुश्रूषा से प्रसन्न थे।

प्रश्न- ऋषि दुर्वासा ने कुंती को कौन सा वरदान दिया?

उत्तर - ऋषि दुर्वासा ने कुंती को वरदान दिया कि वह जिस भी देवता का ध्यान करेंगी, वह उनको अपने ही समान एक तेजस्वी पुत्र प्रदान करेंगें।

प्रश्न- कर्ण कौन थे?

उत्तर - कुंती ने सूर्य के संयोग से सूर्य के समान तेजस्वी और सुंदर बालक को जन्म दिया जो आगे चलकर कर्ण के नाम से विख्यात हुए।

प्रश्न- कर्ण के शरीर पर जन्म से क्या था?

उत्तर - जन्म से ही कर्ण के कानों में सोने के कुंडल और उनकी छाती पर एक प्राकृतिक कवच था।

प्रश्न- अधिरथ को पेटी में क्या मिला?

उत्तर - अधिरथ को पेटी में सोता हुआ सुंदर सा बच्चा मिला।

प्रश्न- कर्ण का पालन पोषण कहाँ हुआ ?

उत्तर - कर्ण का पालन पोषण अधिरथ नाम के एक सारथी के यहाँ हुआ।

प्रश्न- पाँच पांडवों का जन्म कैसे हुआ ?

उत्तर - कुंती और माद्री ने देवताओं के अनुग्रह से पाँच पांडवों को जन्म दिया।

प्रश्न- शरीर- बल में सबसे बढ़कर कौन था?

उत्तर- शरीर- बल में पांडु का पुत्र भीम सबसे बढ़कर था।

प्रश्न - किसने भीम के खाने में विष मिला दिया था?

उत्तर - दुर्योधन ने भीम के खाने में विष मिला दिया था।

प्रश्न- दुर्योधन ने नशे में पड़े भीम के साथ क्या किया?

उत्तर - दुर्योधन ने नशे में पड़े भीम के हाथ - पैर को लताओं से बांधकर गंगा में बहा दिया।

प्रश्न- कौरव भीम से क्यों बैर भाव रखते थे?

उत्तर - कौरव भीम से बैर भाव रखते थे क्योंकि शरीर- बल में भीम सबसे बढ़कर था और खेलों में दुर्योधन और उसके भाईयों को भीम तंग भी किया करता था।

प्रश्न- दुर्योधन ने जल क्रीड़ा का प्रबंध किस मनसा से की?

उत्तर - दुर्योधन ने जल क्रीड़ा का प्रबंध भीम को गंगा में डुबोकर मार डालने की मनसा से की।

प्रश्न- पांडवों ने कौन-कौन से ऋषियों से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा पाई ?

उत्तर- पांडवों ने पहले कृपाचार्य से और बाद में द्रोणाचार्य से अस्त्र - शस्त्र की शिक्षा पाई।

प्रश्न- कर्ण कौन था और उसने दुर्योधन से क्या कहा ?

उत्तर - कर्ण अधिरथ द्वारा पोषित कुंती पुत्र था। कर्ण ने दुर्योधन से कहा कि वह अर्जुन से द्वंद्ध युद्ध और उससे मित्रता करना चाहता है।

प्रश्न- इंद्र को किस बात का डर था?

उत्तर - इंद्र को डर था कि भावी युद्ध में कर्ण की शक्ति से अर्जुन पर विपत्ति आ सकती है।

प्रश्न- बूढ़े ब्राह्मण के वेश में इंद्र ने कर्ण से क्या भिक्षा माँगी?

उत्तर - बूढ़े ब्राह्मण के वेश में इंद्र ने कर्ण से उनका जन्मजात कवच और कुंडल भिक्षा में माँगे।

प्रश्न- दुर्योधन ने किसकी अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया?

उत्तर - दुर्योधन ने पितामह भीष्म एवं पिता धृतराष्ट्र की अनुमति से कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया।

प्रश्न- परशुराम ने कर्ण को शाप क्यों दिया?

उत्तर - जब परशुराम को पता चला कि कर्ण ने छल से उनसे ब्रह्मास्त्र चलाना सीखा है तो परशुराम ने क्रोध में कर्ण को शाप दे दिया।

प्रश्न- कर्ण की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर - जब शापवश कर्ण के रथ का पहिया ज़मीन में धँस गया और वह धनुष बाण रख कर ज़मीन में धँसा हुआ पहिया निकालने लगा, तभी अर्जुन ने उस महारथी पर प्रहार किया और उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न- अर्जुन ने पाठ में क्या निंदा योग्य बताया है?

उत्तर -  सभा में जो बिना बुलाए आते हैं और जो बिना किसी के पूछे बोलने लगते हैं, उसे अर्जुन ने निंदा योग्य बताया है।

प्रश्न- द्रोण और द्रुपद की मित्रता कैसे हुई थी ?

उत्तर – द्रुपद ने द्रोण के पिता भरद्वाज के आश्रम में ही शिक्षा प्राप्त की थी । वहाँ ये दोनों सहपाठी थे । अतः दोनों की मित्रता हो गई ।

प्रश्न- भरद्वाज के आश्रम में रहते हुए द्रुपद कभी-कभी क्या कहते थे ?

उत्तर – भरद्वाज के आश्रम में रहते हुए कभी-कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर द्रोण से यहाँ तक कह देते थे कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा ।

प्रश्न – द्रोण ने कुएँ से गेंद किस प्रकार निकाली ?

उत्तर – “द्रोणाचार्य ने पास में पड़ी हुई सींक उठा ली और उसे पानी में फेंका । सींक गेंद को ऐसे जाकर लगी, जैसे तीर । फिर इस तरह लगातार कई सींके वे कुएँ में डालते गए । सींके एक-दूसरे के सिरे से चिपकती गईं । जब आखिरी सींक का सिरा कुएँ के बाहर तक पहुँच गया, तो द्रोणाचार्य ने उसे पकड़कर खींच लिया और गेंद निकल आई ।

प्रश्न – बंदी बने हुए द्रुपद से द्रोणाचार्य ने क्या कहा ?

उत्तर – द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा कि आपको किसी डर या विपत्ति की आशंका नहीं करनी । तुमने मेरा अपमान करते समय कहा था कि राजा ही राजा के साथ मित्रता कर सकता है । मैं तुम्हारा आधा राज्य तुमको लौटा रहा हूँ जिससे बराबर राज्य के स्वामी बनकर हम दोनों मित्र बने रहें ।

प्रश्न – द्रोण से बदला लेने के लिए द्रुपद ने क्या किया ?

उत्तर – द्रोण से बदला लेने के लिए द्रुपद ने कठिन तप व व्रत के द्वारा एक पुत्र व पुत्री प्राप्त की । द्रुपद की इच्छा थी कि मुझे अर्जुन जामाता रूप में मिले और मेरा पुत्र द्रोण को मार सके । पुत्री द्रौपदी मिली और पुत्र धृष्टद्युम्न मिला ।धृष्टद्युम्न के हाथों ही द्रोण मारे गए थे ।

प्रश्न - दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या क्यों करता था ?

उत्तर – पांडवों के शारीरिक बल और अर्जुन की युद्ध कुशलता के कारण दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या करता था ।

प्रश्न – पांडवों का नाश करने के लिए दुर्योधन ने किस-किस का सहारा लिया ?

उत्तर – पांडवों का नाश करने के लिए दुर्योधन ने अपने मामा शकुनि व मित्र कर्ण का सहारा लिया ।

प्रश्न – युधिष्ठिर ने वारणावत जाने की अनुमति किससे और क्यों माँगी ?

उत्तर – युधिष्ठिर ने वारणावत जाने की अनुमति धृतराष्ट्र से माँगी क्योंकि दुर्योधन के आदमियों ने पांडवों के सामने वारणावत नामक स्थान के सौंदर्य की अत्याधिक चर्चा की, जिससे वे उस स्थान को देखने हेतु लालायित हो उठे ।

प्रश्न – पांडवों के लिए बनने वाले मकान में पुरोचन ने क्या सामग्री लगाई ?

उत्तर – पुरोचन ने वारणावत जाकर पांडवों के ठहरने के लिए सन (रूई), घी, मोम, तेल, लाख, चरबी आदि जल्दी आग पकड़ने वाली चीजों को मिट्टी में मिलाकर एक सुंदर भवन बनवाया ।

प्रश्न – पांडवों को वारणावत भेजने में दुर्योधन की क्या योजना थी ?

उत्तर – पांडवों को वारणावत भेजने में दुर्योधन की योजना यह थी कि कुछ दिनों तक पांडवों को लाख के भवन में आराम से रहने दिया जाए और जब वे पूर्ण रूप से निःशंक हो जाएँ, तब रात में भवन में आग लगा दी जाए, जिससे पांडव तो जलकर भस्म हो जाएँ और कौरवों पर भी कोई दोष न लगा सके ।

प्रश्न – विदुर के द्वारा भेजे गए व्यक्ति ने पांडवों को कैसे विशवास दिलाया ?

उत्तर – विदुर द्वारा भेजे गए व्यक्ति ने कहा कि हस्तिनापुर से रवाना होते समय विदुर ने युधिष्ठिर से सांकेतिक भाषा में जो कहा था , वह मैं जानता हूँ । यह सुनकर पांडवों ने उस पर विशवास किया ।

प्रश्न  – जंगल में थके हुए चारों भाइयों व माता को भीम ने किस प्रकार अपने शरीर पर लादा ?

उत्तर – चिंता और रात्रि-जागरण के कारण थके भाइयों व माता को भीम ने अपने शरीर पर लाद लिया । उसने कुंती को कंधे पर, नकुल-सहदेव को कमर पर और युधिष्ठिर –अर्जुन को हाथ से पकड़कर जंगल पार किया ।

प्रश्न  – लाक्षागृह छोड़ने के पश्चात् पांडव कहाँ और किस वेश में पहुँचे ।

उत्तर - लाक्षागृह छोड़ने के पश्चात् पांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मण के वेश में पहुँचे ।

प्रश्न – कुंती ने भीम को बकासुर के पास क्यों भेजा ?

उत्तर – कुंती ने भीम को बकासुर के पास भेजा क्योंकि वह जानती थी कि भीम उसका काम तमाम कर देगा। भीम की शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता । कुंती का यह सोचना भी सही निकला क्योंकि बकासुर का वध करके वह उसकी लाश को नगर के फाटक तक घसीटकर लाया । इस प्रकार गाँव वालों को बकासुर के चंगुल से छुटकारा मिला ।

प्रश्न -  पांचाल देश में पांडव किस रूप में और कहाँ ठहरे थे ?

उत्तर – पांचाल देश में पांडव ब्राह्मण वेश में एक कुम्हार की झोपड़ी में ठहरे थे ।

प्रश्न – दौपदी-स्वयंवर में कौन-कौन मुख्य प्रतिभागी थे ?

उत्तर - द्रौपदी-स्वयंवर में श्रीकृष्ण, बलराम, धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, शिशुपाल, जरासंघ, शल्य व पांडव जैसे अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति अपना भाग्य परखने आए थे |

प्रश्न - पाँचों पांडवों से द्रौपदी का विवाह कैसे हुआ ?

उत्तर – माँ की आज्ञा और सबकी सम्मति से द्रौपदी के साथ पाँचों पांडवों का विवाह हो गया ।

प्रश्न - भीष्म और आचार्य द्रोण ने धृतराष्ट्र को क्या सलाह दी ?

उत्तर - भीष्म और आचार्य द्रोण दोनों ने ही धृतराष्ट्र को पांडवों को आधा राज्य दे देने की सलाह दी ।

प्रश्न- खांडवप्रस्थ कैसी नगरी थी ?

उत्तर- खांडवप्रस्थ वह नगरी थी, जो पुरु, नहुष एवं ययाति की राजधानी थी ।

प्रश्न- बाद में खांडवप्रस्थ का नाम क्या रखा गया ?

उत्तर- बाद में खांडवप्रस्थ का नाम इंद्रप्रस्थ रखा गया ।

प्रश्न- इंद्रप्रस्थ में द्रौपदी और माता कुंती के साथ पाँचों पांडव ने कितने बरस तक राज्य किया ?

उत्तर - इंद्रप्रस्थ में द्रौपदी और माता कुंती के साथ पाँचों पांडव ने तेईस बरस तक राज्य किया ।

प्रश्न - श्री कृष्ण ने राजसूय यज्ञ के विषय में युधिष्ठिर को क्या उत्तर दिया ?

उत्तर – श्री कृष्ण ने कहा – “मगध देश का शासक जरासंघ बहुत शक्तिशाली है । उससे पराजित होकर हमें भी मथुरा छोड़कर द्वारका जाना पड़ा है  । अनेक राजा जरासंघ के बंदीगृह में बंद हैं । जब तक उसको मारा नहीं जाएगा, तब तक राजसूय यज्ञ संभव नहीं है ।”

प्रश्न - भीमसेन और जरासंघ में कितने समय तक युद्ध होता रहा ?

उत्तर – पलभर भी विश्राम किए बगैर भीमसेन और जरासंघ तेरह दिन और रात लगातर लड़ते रहे । चौदहवें दिन जरासंघ थककर जरा देर को रुक गया । इस पर ठीक मौका देखकर श्रीकृष्ण ने भीम को इशारे से समझाया और भीमसेन ने फौरन जरासंघ को उठाकर चारों ओर घुमाया और उसे जमीन पर जोर से पटक दिया । इस प्रकार अजेय जरासंघ का अंत हो गया ।

प्रश्न- युधिष्ठिर चौसर के खेल में क्या-क्या हार गए ?

उत्तर - युधिष्ठिर चौसर के खेल में देश, सेना, देश की प्रजा, दास-दासियाँ, आभूषण, चारों भाई, स्वयं अपने आपको एवं अपनी पत्नी द्रौपदी को भी हार गए ।

प्रश्न - दुबारा के खेल में क्या शर्त रखी गई थी ?

उत्तर - दुबारा के खेल में यह शर्त थी कि हारा हुआ दल अपने भाइयों के साथ बाढ़ वर्ष का वनवास करेगा तथा उसके उपरान्त एक वर्ष अज्ञातवास में रहेगा । यदि इस एक वर्ष में उनका पता चल जाएगा , तो उन सबको बाढ़ वर्ष का वनवास फिर से भोगना होगा ।

प्रश्न - भीम कहाँ जा रहे थे ?

उत्तर - भीम द्रौपदी के कहने पर फूल लेने जा रहे थे ।

प्रश्न - रास्ते में रास्ता रोके कौन बैठा था ?

उत्तर - रास्ते में रास्ता रोके एक बंदर बैठा था |

प्रश्न - भीम की गर्वोक्ति सुनकर बंदर ने क्या कहा ?

उत्तर - बंदर बोला – “देखो भाई, मैं बूढा हूँ | कठिनाई से उठ-बैठ सकता हूँ | ठीक है, यदि तुम्हें आगे बढ़ना ही है, तो मुझे लाँघकर या मेरी पूँछ को हटाकर एक ओर कर दो और चले जाओ |

प्रश्न - हनुमान ने भीम को क्या आशीर्वाद दिया ?

उत्तर - हनुमान ने आशीर्वाद देते हुए कहा –“भीम ! युद्ध के समय तुम्हारे भाई अर्जुन के रथ पर उड़ने वाली ध्वजा पर मैं विद्यमान रहूँगा | विजय तुम्हारी होगी ।”

प्रश्न - दुर्योधन ने कर्ण से क्या कहा ?

उत्तर - दुर्योधन ने कर्ण से कहा –“ मैं पांडवों को मुसीबत में पड़े अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ ।”

प्रश्न - दुर्योधन के बंदी होने पर युधिष्ठिर ने भीम से क्या कहा ?

उत्तर - युधिष्ठिर ने भीम से कहा-“भाई भीमसेन ! ये हमारे कुटुम्बी हैं । तुम अभी जाओ और किसी तरह अपने बन्धुओं को गन्धर्वों के बंधन से छुड़ा लाओ ।”

प्रश्न - सूर्य से प्राप्त अक्षयपात्र की क्या विशेषता थी ?

उत्तर - अक्षयपात्र देते समय सूर्य ने कहा था कि इस पात्र के द्वारा तुम बारह वर्ष तक भोजन प्राप्त करोगे, भले ही कितने लोग भोजन करें । किन्तु शर्त यह है कि द्रौपदी के भोजन क्र लेने के बाद पात्र की शक्ति अगले दिन तक के लिए समाप्त हो जाएगी ।

प्रश्न - श्रीकृष्ण ने अन्न का कण और साग का पत्ता क्यों खाया ?

उत्तर - श्रीकृष्ण ने अन्न और साग का पत्ता दुर्वासा ऋषि व उनके दस हजार शिष्यों की भूख शांत करने के लिए खाया ।

प्रश्न -सरोवर पर नकुल को क्या आवाज़ आई ?

उत्तर - सरोवर पर नकुल को आवाज़ आई- “माद्री के पुत्र! दुस्साहस न करो । यह जलाशय मेरे अधीन है । पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो, फिर पानी पियो ।”

प्रश्न - भाइयों को मुर्छित देखकर भीम ने क्या सोचा ?

उत्तर - भाइयों को मुर्छित अवस्था में देखकर भीम समझ गए कि यह किसी यक्ष की करतूत है ।

प्रश्न - भाइयों के वापस न आने पर युधिष्ठिर ने क्या निर्णय लिया ?

उत्तर - भाइयों के वापस न आने पर युधिष्ठिर ने स्वयं वहाँ जाने का निर्णय लिया ।

प्रश्न - राजा विराट के यहाँ अज्ञातवास में पांडव किस नाम और रूप में रहे ?

उत्तर -         पांडव              बदले हुए नाम                                      काम

              युधिष्ठिर                     कंक                              विराट के दरबारी बनकर राजा के साथ चौपड़ खेलना 

               भीम                         वल्लभ                           रसोइयों का मुखिया 

              अर्जुन                       वृहन्नला (स्त्री वेश में)        रनिवास में नाच-गाना सिखाना 

               नकुल                        ग्रंथिक                           घोड़ों की देखभाल करने वाला

               सहदेव                     तंत्रिपाल                           गाय-बैलों की देखभाल करने वाला 

                द्रौपदी                       सैरंध्री                             विराट की पत्नी की सेवा करना 

प्रश्न - दुर्योधन ने कैसे अनुमान लगाया कि पांडव मत्स्य देश में हैं ?

उत्तर - कीचक के मारे जाने की खबर पाते ही दुर्योधन ने अनुमान लगाया कि हो-न-हो कीचक का वध भीम ने ही किया है ।

प्रश्न - विराट को छुड़ाने के लिए जाते समय युधिष्ठिर ने भीम से क्या कहा ?

उत्तर -  एक सामान्य योद्धा की तरह जाना । अधिक उत्तेजित मत होना । ऐसा न हो कि तुम्हे कोई पहचान ले ।

प्रश्न - औरत के भेष में अर्जुन को देखकर दुर्योधन ने क्या कहा ?

उत्तर -  यदि यह अर्जुन ही है तो शर्त के अनुसार उन्हें और बारह वर्ष का वनवास भुगतना पड़ेगा ।

प्रश्न - भीष्म पितामह ने दुर्योधन को क्या सलाह दी ?

उत्तर - भीष्म पितामह ने दुर्योधन को पांडवों से संधि करने की सलाह दी क्योंकि पांडवों की प्रतिज्ञा पूरी हो चुकी थी और युद्ध होने की स्तिथि में कौरवों का पांडवों के सामने टिकना असम्भव था ।

प्रश्न - पितामह भीष्म के संधि-प्रस्ताव पर दुर्योधन ने क्या कहा ?

उत्तर - दुर्योधन ने कहा कि “मैं संधि नहीं चाहता हूँ । राज्य तो दूर रहा, मैं तो एक गाँव तक पांडवों को देने के लिए तैयार नहीं हूँ ।

प्रश्न - विराट की चिंता का क्या कारण था ?

उत्तर - विराट का पुत्र उत्तर कौरवों से युद्ध करने गया था । उन्हें चिंता थी कि वह उनका मुकाबला नहीं क्र पाएगा ।

प्रश्न - अर्जुन ने क्या कहकर विराट का विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया ?

उत्तर - अर्जुन ने कहा की मैंने आपकी पुत्री को नाच-गाना सिखाया है इसलिए वह मेरी पूरी समाना है ।आप चाहे तो मेरे पुत्र अभिमन्यु के साथ अपनी पुत्री उत्तरा का विवाह कर सकते हैं ।

प्रश्न - प्रकट होने के बाद पांडव कहाँ रहने लगे ?

उत्तर - अज्ञातवास के बाद पांडव विराट के राज्य में उपप्लव्य नामक नगर में रहने लगे ।

प्रश्न - श्री कृष्ण ने अर्जुन के सामने क्या प्रतिज्ञा रखी ?

उत्तर - श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा – “ मेरी सेना एक तरफ होगी| दूसरी तरफ अकेला मैं रहूँगा । मेरी प्रतिज्ञा यह भी है कि मैं युद्ध में न तो हथियार उठाऊँगा और न ही लडूँगा । इन दो में से जो पसंद हो, वह ले लो ।

प्रश्न - युधिष्ठिर के पास धृतराष्ट्र का संदेश लेकर कौन गया ?

उत्तर - युधिष्ठिर के पास धृतराष्ट्र का संदेश लेकर संजय गया |

प्रश्न - युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र के लिए संजय को क्या संदेश दिया ?

उत्तर - युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र के लिए संजय से कहा कि कम-से-कम हमें पाँच गाँव ही दे दें | हम पाँचों भाई इसी में संतोष कर लेंगे और संधि करने को तैयार होंगे |

प्रश्न -  धृतराष्ट्र के समझाने पर दुर्योधन ने क्या कहा ?

उत्तर - दुर्योधन ने कहा कि मैं तो सुई की नोक के बराबर भूमि भी पांडवों को नहीं देना चाहता हूँ । आपकी जो इच्छा हो, करें ।अब इसका फैसला युद्धभूमि में ही होगा ।

प्रश्न - महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने कितने दिन तक राज्य किया ?

उत्तर - महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने छत्तीस (36) वर्ष तक राज्य किया । 

प्रश्न - बलराम की मृत्यु कैसे हुई ?

उत्तर - वंश-नाश देखकर बलराम को असीम शोक हुआ और उन्होंने समाधि में बैठकर शरीर त्याग दिया ।

प्रश्न - कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई ?

उत्तर - वंश के नाश के विषय में विचारते हुए श्रीकृष्ण सागर तट पर घूम रहे थे । विचारमग्न श्रीकृष्ण वहीं एक वृक्ष के नीचे जमीन पर लेट गए । किसी शिकारी ने लेते हुए श्रीकृष्ण को मृग समझकर तीर चला दिया । तीर तलवे को छेदता हुआ शरीर में धँस गया और उनकी मृत्यु हो गई ।

प्रश्न - श्रीकृष्ण के देहावसान के बाद पांडवों ने क्या किया ?

उत्तर - श्रीकृष्ण की मृत्यु का समाचार पाकर पांडव बहुत दुखी हुए । उनके मन में संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न हो गया । वह अपने पौत्र परीक्षित को राज्य सौपकर द्रौपदी सहित तीर्थयात्रा पर निकल गए और स्वर्गारोहण किया।

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