उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु आवश्यक कारक ग्रह

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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  पंचम भाव का संबंध विद्या और बुद्धि दोनों से है। अत: विद्या संबंधी समस्याओं का हल पंचम भाव, पंचमेश और विद्या कारक बुध व गुरु ग्रह द्वारा किया जाना चाहिए। इन तीनों में से जितने अंग अधिक शुभ दृष्टि में होंगे और बलवान होंगे उतनी ही विद्या मनुष्य को प्राप्त होगी।

उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु आवश्यक कारक ग्रह

चंद्र

   चंद्र मनसो जायते’ यानी मन के द्वारा ही सभी कार्य संभव है। चंद्रमा उच्च शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा के द्वारा ‘बालारिष्ट योग’ बन रहा है तो बचपन से कष्ट अवश्यम्भावी है और अब प्रारंभिक शिक्षा कमजोर हुई तो उच्च शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो सकती है। चंद्रमा का बली होना (शुभ भाव में, उच्च का, गुरु से दृष्ट ) उच्च शिक्षा में सदा सहायक होता है। ऐसे जातकों का मन भटकाव नहीं होता, वह एकाग्र होते हैं। उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा ग्रह कमजोर अवस्था में है तो उसके उपाय जरूर करना चाहिए।

गुरु

  यह उच्च शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण कारक ग्रह है। गुरु यदि कर्क, धनु या मीन राशि में है तो जातक की उच्च शिक्षा होती है। कर्क, धनु या मीन राशि में स्थित गुरु की दृष्टि पंचम भाव पर है तो उच्च शिक्षा होगी। उच्च के गुरु (कर्क राशिस्थ गुरु) की महादशा या अंतर्दशा में उच्च शिक्षा प्राप्ति योग बनाती है। गुरु की बलवान स्थिति जन्मपत्री में यह संकेत देती है कि जातक को उच्च कोटि के गुरु का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त होगा जो उसकी उच्च शिक्षा में सहायक होगा।

   यदि जन्म कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ भाव व अशुभ ग्रह अशुभ राशि में मौजूद है तो उसके उपाय अवश्य करें।

बुध

  उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान बुध का भी होता है। बुध, बुद्धि का कारक है। यह कार्यों व क्रिया- कलापों से दूर करता है। उच्च का बुध (कन्या राशिस्थ) व सूर्य के साथ युती वाला बुध उच्च कोटि की बौद्धिक क्षमता स्थापित करता है। लग्र, पंचम या एकादश भाव में स्थित बुध जातक को प्रखर बुद्धि का बनाता है। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान बुध ही प्रदान करता है।

   बुध ग्रह यदि 6, 8, 12 में स्थित है और अशुभ ग्रहों से संयोग बना रहा है तो इसके उपाय अवश्य करें।

शनि

  वर्तमान में उच्च शिक्षा हेतु आवश्यक कारक ग्रह है। शनि ग्रह मौलिक चिंतन विकसित करता है। व्यक्ति को मेहनती बनाता है उसमें जुझारू प्रवृत्ति पैदा करता है। विभिन्न शोध व अनुसंधान इसी ग्रह की देन होती है। यह कार्यों में निरंतरता का द्योतक है। उच्च शिक्षा हेतु विदेश गमन इनकी महादशा व अंतर्दशा में प्राय: देखा गया है।

मंगल

  उच्च व तकनीकी शिक्षा हेतु मंगल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति में धैर्य धारण करने की क्षमता प्रदान करता है। उच्च शिक्षा हेतु आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्रदान करना मंगल का ही कार्य है। विभिन्न बाधाओं का निवारण करने में अकेला मंगल ही सक्षम है।

उच्च शिक्षा में बाधा वाले

  1. पंचमेश 6, 8, 12 में राहू या केतु के साथ हो व उसकी महादशा या अंतर्दशा आ जाए तो उच्च शिक्षा में बाधा आती है।
  2. नवमेश अष्टम भाव में हो या नवम में पाप ग्रह या नीच राशि का ग्रह हो तो भी उच्च शिक्षा में बाधा आती है।
  3. पंचमेश, नवमेश, गुरु व गुरु से पंचम भाव का स्वामी निर्बल हो या राहू, केतु के प्रभाव में हो तो भी बाधा संभव है।
  4. पंचम भाव व पंचमेश पर जितने भी अशुभ प्रभाव होते हैं वे कहीं ना कहीं शिक्षा में बाधा पहुंचाते हैं।
  5. चंद्रमा यदि किसी विशेष भाव में बैठकर राहु- केतु-शनि इत्यादि ग्रहों के प्रभाव में है तो भी कहीं ना कहीं मानसिक स्तर में गिरावट आती है जो शिक्षा में बाधा उत्पन्न करती है।

उपाय

  • उपाय को तौर पर सबसे पहले यह जाने की किस ग्रह की वजह से हमारी शिक्षा- दीक्षा में परेशानी उत्पन्न हो रही है और उस ग्रह से संबंधित उपाय करें। 
  • अपने अनुभवों से अक्सर यह पाया है यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शिक्षा का अभाव है तो भी वह जातक निरंतर कुछ सामान्य उपाय और निरंतर शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहे तो भी व एक अच्छे स्तर तक की शिक्षा प्राप्त कर सकता है।।
  • यदि आपको  कुंडली की जानकारी नहीं है तो किसी ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों से मार्गदर्शन लें।

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