Admin Panel
User Avatar Admin Name

विनम्रता

SHARE:

  कमल किशोर सोने और हीरे के जवाहरात बनाने और बेचने का काम करता था। उसकी दुकान से बने हुए गहने दूर-दूर तक मशहूर थे। लोग दूसरे शहर से भी कमल क...

  कमल किशोर सोने और हीरे के जवाहरात बनाने और बेचने का काम करता था। उसकी दुकान से बने हुए गहने दूर-दूर तक मशहूर थे। लोग दूसरे शहर से भी कमल किशोर की दुकान से गहने लेने और बनवाने आते थे। चाहे हाथों के कंगन हो, चाहे गले का हार हो, चाहे कानों के कुंडल हो उसमें हीरे और सोने की बहुत सुंदर मीनाकारी होती कि सब देखने वाले देखते ही रह जाते। इतना बड़ा कारोबार होने के बावजूद भी कमल किशोर बहुत ही शांत और सरल स्वभाव वाला व्यक्ति था। उसको इस माया का इतना रंग नहीं चढ़ा हुआ था।

  एक दिन उसका कोई मित्र उसकी दुकान पर आया जो कि अपने पत्नी सहित वृंदावन धाम से होकर वापस आ रहा था तो उस मित्र ने सोचा कि चलो थोड़ा सा प्रसाद अपने मित्र कमल किशोर को भी देता चलूं। उसकी दुकान पर जब वह पहुंचा तब कमल किशोर का एक कारीगर एक सोने और हीरे जड़ित बहुत सुंदर हार बना कर कमल किशोर को देने के लिए आया था।

  कमल किशोर उस हार को देख ही रहा था कि उसका मित्र उसकी दुकान पर पहुंचा। कमल किशोर का मित्र अपने साथ वृंदावन से एक बहुत सुंदर लड्डू गोपाल जिसका सवरूप अत्यंत मनमोहक था साथ लेकर आया था। 

  जब उसका मित्र दुकान पर बैठा तो उसकी गोद में लड्डू गोपाल जी विराजमान थे। कमल किशोर लड्डू गोपाल जी के मनमोहक रुप सोंदर्य को देखकर अत्यंत आंनदित हुआ। उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ हार उस लड्डू गोपाल के गले में पहना दिया और अपने मित्र को कहने लगा कि देखो तो सही इस हार की शोभा लड्डू गोपाल के गले में पढ़ने से कितनी बढ़ गई है। उसका मित्र और कमल किशोर आपस में बातें करने लगे बातों बातों में ही उसका मित्र लड्डू गोपाल को हार सहित लेकर चला गया। दोनों को ही पता ना चला कि हार लड्डू गोपाल के गले में ही पड़ा रह गया है।

  कमल किशोर का मित्र अपनी पत्नी सहित एक टैक्सी में सवार होकर अपने घर को रवाना हो गया। जब वह टैक्सी से उतरे तो भूलवश लड्डू गोपाल जी उसी टैक्सी में रह गए।

  टैक्सी वाला एक गरीब आदमी था जिसका नाम बाबू था जो कि दूसरे शहर से यहां अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए टैक्सी चलाता था और वह टैक्सी लेकर काफी आगे निकल चुका था। आज उसको अपने घर वापस जाना था जो कि दूसरे शहर में था। जब टैक्सी लेकर बाबू अपने घर पहुंचा तो उसने जब अपनी टैक्सी की पिछली सीट पर देखा तो उसका ध्यान लड्डू गोपाल जी पर पड़ा जो के बड़े शाही तरीके से पिछली सीट पर गले में हार धारण करके सुंदर सी पोशाक पहनकर हाथ में बांसुरी पकड़े हुए पसर कर बैठे हुए हैं।

  बाबू यह देखकर एकदम से घबरा गया कि यह लड्डू गोपाल जी किसके हैं, लेकिन अब वह दूसरे शहर से अपने शहर जा चुका था जो कि काफी दूर था और वह सवारी का घर भी नहीं जानता था तो वह दुविधा में पड़ गया कि वह क्या करें लेकिन फिर उसने बड़ी श्रद्धा से हाथ धो कर लड्डू गोपाल जी को उठाया और अपने घर के अंदर ले गया जैसे ही उसने घर के अंदर प्रवेश किया उसकी पत्नी ने उसके हाथ में पकड़े लड्डू गोपाल जी को जब देखा को इतनी सुंदर स्वरूप वाले लड्डू गोपाल जी को देखकर उसकी पत्नी ने झट से लड्डू गोपाल जी को अपने पति के हाथों से ले लिया।

  उसकी पत्नी जिसकी 8 साल शादी को हो चुके थे उसके अभी तक कोई संतान नहीं थी। लेकिन गोपाल जी को हाथ में लेते ही उसका वात्सालय भाव जाग उठा उसकी ममतामई और करुणामई आंखें झर झर बहने लगी। ममता वश और वात्सल्य भाव के कारण ठाकुर जी को गोद में उठाते ही उसको ऐसे लगा उसने किसी अपने ही बच्चे को गोद में उठाया है उसके स्तनों से अपने आप दूध निकलने लगा।

  अपनी ऐसी दशा देखकर बाबू की पत्नी मालती बहुत हैरान हुए उसने कसकर गोपाल जी को अपने सीने से लगा लिया और आंखों में आंसू बहाती बोलने लगी अरे बाबू तुम नहीं जानते कि आज तुम मेरे लिए कितना अमूल्य रत्न लेकर आए हो।

 बाबू कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मेरी पत्नी को अचानक से क्या हो गया है लेकिन उसकी पत्नी तो जैसे बांवरी सी हो गई थी वह गोपाल जी को जल्दी-जल्दी अंदर ले गई और उससे बातें करने लगी।

  अरे लाला.... इतनी दूर से आए हो तुम्हें भूख लगी होगी और उसने जल्दी जल्दी मधु और घी से बनी चूरी बनाकर और दूध गर्म करके ठाकुर जी को भोग लगाया।

  उधर कमल किशोर ने जब अपनी दुकान पर हार को ना देखा तो उसको याद आया कि हार तो ठाकुर जी के गले में ही रह गया है तो उसने अपने मित्र को संदेशा भेजा तो मित्र ने आगे से जवाब दिया। अरे मित्र! वह माखन चोर और चित् चोर; हार सहित खुद ही चोरी हो गया है। मैं तो खुद इतना परेशान हूं।

  कमल किशोर अब थोड़ा सा परेशान हो गया कि ईतना कीमती हार ना जाने कहां चला गया। मुझे तो लाखों का नुकसान हो गया लेकिन फिर भी अपने सरल स्वभाव के कारण उसने अपने मित्र को कुछ नहीं कहा और उसने अपने मन में सोचा कि कोई बात नहीं मेरा हार तो ठाकुर जी के ही अंग लगा है अगर मेरी भावना सच्ची है तो ठाकुर जी उसको पहने रखें। उधर बाबू और उसकी पत्नी मालती दिन-रात ठाकुर जी की सेवा करते अब तो मालती और बाबू को लड्डू गोपाल जी अपने बेटे जैसे ही लगने लगे। 

  लड्डू गोपाल जी की कृपा से अब मालती के घर एक बहुत ही सुंदर बेटी ने जन्म लिया। इन सब बातों का श्रेय वह लड्डू गोपाल जी को देते कि यह हमारा बेटा है और अब हमारी बेटी हुई है अब हमारा परिवार पूरा हो गया। मालती लड्डू गोपाल जी को इतना स्नेह करती थी कि रात को उठ उठ कर देखने जाती थी कि लड्डू गोपाल जी को कोई कष्ट तो नहीं है।

  ऐसे ही एक दिन कमल किशोर व्यापार के सिलसिले में दूसरे शहर आना पड़ा, जहां पर बाबू रहता था लेकिन दुर्भाग्यवश जब वो उस शहर में पहुंचा तो अचानक से इतनी बारिश शुरू हो गई कि कमल किशोर को जहां पहुंचना था वहां पहुंच ना सका और तब वहां बाबू अपनी टैक्सी लेकर आ गया और उसने परेशान कमल किशोर को पूछा बाबूजी आप यहां क्यों खड़े हो बारिश तो रुकने वाली नहीं और सारे शहर में पानी भरा हुआ है। आप अपनी मंजिल तक ना पहुंच पाओगे और ना ही कहीं और रुक पाओगे मेरा घर पास ही है अगर आप चाहो तो मेरे घर आ सकते हो।

  कमल किशोर जिसके पास सोने और हीरे के काफी गहने थे वह अनजान टैक्सी वाले के साथ जाने के लिए थोड़ा सा घबरा रहा था। लेकिन उसके पास और कोई चारा भी नहीं था और वह बाबू के घर उसके साथ टैक्सी में बैठ कर चला गया।

  घर पहुंचते ही बाबू ने मालती को आवाज दी कि आज हमारे घर मेहमान आए हैं उनके लिए खाना बनाओ। कमल किशोर ने देखा कि बाबू का घर एक बहुत छोटा सा लेकिन व्यवस्थित ढंग से सजा हुआ है। घर में अजीब तरह के इत्र की खुशबू आ रही है जो कि उसके हृदय को आनंदित कर रही थी। जब मालती ने उनको भोजन परोसा तो कमल किशोर को उसमें अमृत जैसा स्वाद आया।

   उसका ध्यान बार-बार उस दिशा की तरफ जा रहा था,जहां पर ठाकुर जी विराजमान थे वहां से उसको एक अजीब तरह का प्रकाश नजर आ रहा था तो हार कर कमल किशोर ने बाबू को पूछा कि अगर आपको कोई एतराज ना हो तो क्या आप बता सकते हो कि उस दिशा में क्या रखा है? मेरा ध्यान उसकी तरफ आकर्षित हो रहा है। तो बाबू और मालती ने एक दूसरे की तरफ मुस्कुराते हुए कहा कि वहां पर तो हमारे घर के सबसे अहम सदस्य लड्डू गोपाल जी विराजमान है। तो कमल किशोर ने कहा क्या मैं उनके दर्शन कर सकता हूं। तो मालती उनको उस कोने में ले गई जहां पर लड्डू गोपाल जी विराजमान थे।

 कमल किशोर लड्डू गोपाल जी को और उनके गले में पड़े हार को देखकर एकदम से हैरान हो गया यह तो वही लड्डू गोपाल है और यह वही हार है,जो मैंने अपने मित्र के लड्डू गोपाल जी को डाला था।

  कमल किशोर ने बड़ी विनम्रता से पूछा कि यह गोपाल जी तुम कहां से लाए? बाबू जिसके मन में कोई छल कपट नहीं था उसने कमल किशोर को सारी बात बता दी कि कैसे उसको सोभाग्य से गोपाल जी मिले और उनके हमारे घर आने से हमारा दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल गया। तो कमल किशोर ने कहा क्या तुम जानते हो कि जो हार ठाकुर जी के गले में पड़ा है उसकी कीमत क्या है? तो बाबू और मालती ने बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़कर कहा कि जो चीज हमारे लड्डू गोपाल जी के अंग लग गई हम उसका मूल्य नहीं जानना चाहते और हमारे लाला के सामने किसी चीज किसी हार का कोई मोल नहीं है तो कमल किशोर एकदम से चुप हो गया और उसने मन में सोचा कि चलो अच्छा है मेरा हार ठाकुर जी ने अपने अंग लगाया हुआ है।अगले दिन जब वह चलने को तैयार हुआ और बाबू उनको टैक्सी में लेकर उनके मंजिल तक पहुंचाने गया।

  जब कमल किशोर टैक्सी से उतरा और जाने लगा तभी बाबू ने उनको आवाज लगाई कि ज़रा रुको यह आपका कोई सामान हमारी टैक्सी में रह गया है। लेकिन कमल किशोर ने कहा मैंने तो वहां कुछ नहीं रखा, लेकिन बाबू ने कहा कि यह बैग तो आपका ही है जब कमल किशोर ने उसको खोलकर देखा तो उसमें बहुत सारे पैसे थे।

  कमल किशोर एकदम से हक्का-बक्का रह गया कि यह तो इतने पैसे हैं जितनी कि उस हार की कीमत है। उसकी आंखों में आंसू आ गए कि जब तक मैंने निश्छल भाव से ठाकुर जी को वह हार धारण करवाया हुआ था तब तक उन्होंने पहने रखा। मैंने उनको पैसों का सुनाया तो उन्होंने मेरा अभिमान तोड़ने के लिए पैसे मुझे दे दिए हैं। वह ठाकुर जी से क्षमा मांगने लगा लेकिन अब हो भी क्या सकता था ?

 कथासार

  इसलिए हमारे अंदर ऐसे भाव होने चाहिए कि: उसमें अहंकार न होकर विनम्रता होनी चाहिए और ठाकुर जी जैसा चाहते हैं वैसा ही होता है हम तो निमित्त मात्र हैं। कौन ठाकुर जी को वृंदावन से लाया और किसके घर आकर वह विराजमान हुए यह सब ठाकुर जी की लीला है जिसके घर रहना है जिसके घर सेवा लेनी है यह सभी जानते हैं हम लोग तो निमित्त मात्र हैं बस हमारे भाव शुद्ध होने चाहिए। ठाकुर जी तो बड़े बड़े पकवान नहीं बल्कि भाव से खिलाई छोटी से छोटी चीज को भी ग्रहण कर लेते हैं। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि जितना हो सके इस कथा को आगे बढ़ाने की कृपा करें !

COMMENTS

BLOGGER
block1/संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ
https://gmail.us21.list-manage.com/subscribe?u=53d25bd67a9aa4979dc182652&id=8aa2dc5997
नाम

अध्यात्म,200,अनुसन्धान,19,अन्तर्राष्ट्रीय दिवस,2,अभिज्ञान-शाकुन्तलम्,5,अष्टाध्यायी,1,आओ भागवत सीखें,15,आज का समाचार,13,आधुनिक विज्ञान,19,आधुनिक समाज,146,आयुर्वेद,45,आरती,8,उत्तररामचरितम्,35,उपनिषद्,5,उपन्यासकार,1,ऋग्वेद,16,ऐतिहासिक कहानियां,4,ऐतिहासिक घटनाएं,13,कथा,6,कबीर दास के दोहे,1,करवा चौथ,1,कर्मकाण्ड,119,कादंबरी श्लोक वाचन,1,कादम्बरी,2,काव्य प्रकाश,1,काव्यशास्त्र,32,किरातार्जुनीयम्,3,कृष्ण लीला,2,क्रिसमस डेः इतिहास और परम्परा,9,गजेन्द्र मोक्ष,1,गीता रहस्य,1,ग्रन्थ संग्रह,1,चाणक्य नीति,1,चार्वाक दर्शन,3,चालीसा,6,जन्मदिन,1,जन्मदिन गीत,1,जीमूतवाहन,1,जैन दर्शन,3,जोक,6,जोक्स संग्रह,5,ज्योतिष,49,तन्त्र साधना,2,दर्शन,35,देवी देवताओं के सहस्रनाम,1,देवी रहस्य,1,धर्मान्तरण,5,धार्मिक स्थल,48,नवग्रह शान्ति,3,नीतिशतक,27,नीतिशतक के श्लोक हिन्दी अनुवाद सहित,7,नीतिशतक संस्कृत पाठ,7,न्याय दर्शन,18,परमहंस वन्दना,3,परमहंस स्वामी,2,पारिभाषिक शब्दावली,1,पाश्चात्य विद्वान,1,पुराण,1,पूजन सामग्री,7,पौराणिक कथाएँ,64,प्रश्नोत्तरी,28,प्राचीन भारतीय विद्वान्,99,बर्थडे विशेज,5,बाणभट्ट,1,बौद्ध दर्शन,1,भगवान के अवतार,4,भजन कीर्तन,38,भर्तृहरि,18,भविष्य में होने वाले परिवर्तन,11,भागवत,1,भागवत : गहन अनुसंधान,27,भागवत अष्टम स्कन्ध,28,भागवत एकादश स्कन्ध,31,भागवत कथा,118,भागवत कथा में गाए जाने वाले गीत और भजन,7,भागवत की स्तुतियाँ,3,भागवत के पांच प्रमुख गीत,2,भागवत के श्लोकों का छन्दों में रूपांतरण,1,भागवत चतुर्थ स्कन्ध,31,भागवत तृतीय स्कन्ध,33,भागवत दशम स्कन्ध,90,भागवत द्वादश स्कन्ध,13,भागवत द्वितीय स्कन्ध,10,भागवत नवम स्कन्ध,25,भागवत पञ्चम स्कन्ध,26,भागवत पाठ,58,भागवत प्रथम स्कन्ध,21,भागवत महात्म्य,3,भागवत माहात्म्य,12,भागवत मूल श्लोक वाचन,55,भागवत रहस्य,53,भागवत श्लोक,7,भागवत षष्टम स्कन्ध,19,भागवत सप्तम स्कन्ध,15,भागवत साप्ताहिक कथा,9,भागवत सार,33,भारतीय अर्थव्यवस्था,4,भारतीय इतिहास,20,भारतीय दर्शन,4,भारतीय देवी-देवता,6,भारतीय नारियां,2,भारतीय पर्व,40,भारतीय योग,3,भारतीय विज्ञान,35,भारतीय वैज्ञानिक,2,भारतीय संगीत,2,भारतीय संविधान,1,भारतीय सम्राट,1,भाषा विज्ञान,15,मनोविज्ञान,1,मन्त्र-पाठ,7,महापुरुष,43,महाभारत रहस्य,33,मार्कण्डेय पुराण,1,मुक्तक काव्य,19,यजुर्वेद,3,युगल गीत,1,योग दर्शन,1,रघुवंश-महाकाव्यम्,5,राघवयादवीयम्,1,रामचरितमानस,4,रामचरितमानस की विशिष्ट चौपाइयों का विश्लेषण,124,रामायण के चित्र,19,रामायण रहस्य,65,राष्ट्रीयगीत,1,रुद्राभिषेक,1,रोचक कहानियाँ,150,लघुकथा,38,लेख,168,वास्तु शास्त्र,14,वीरसावरकर,1,वेद,3,वेदान्त दर्शन,10,वैदिक कथाएँ,38,वैदिक गणित,1,वैदिक विज्ञान,2,वैदिक संवाद,23,वैदिक संस्कृति,32,वैशेषिक दर्शन,13,वैश्विक पर्व,9,व्रत एवं उपवास,35,शायरी संग्रह,3,शिक्षाप्रद कहानियाँ,119,शिव रहस्य,1,शिव रहस्य.,5,शिवमहापुराण,14,शिशुपालवधम्,2,शुभकामना संदेश,7,श्राद्ध,1,श्रीमद्भगवद्गीता,23,श्रीमद्भागवत महापुराण,17,संस्कृत,10,संस्कृत गीतानि,36,संस्कृत बोलना सीखें,13,संस्कृत में अवसर और सम्भावनाएँ,6,संस्कृत व्याकरण,26,संस्कृत साहित्य,13,संस्कृत: एक वैज्ञानिक भाषा,1,संस्कृत:वर्तमान और भविष्य,6,संस्कृतलेखः,2,सनातन धर्म,2,सरकारी नौकरी,1,सरस्वती वन्दना,1,सांख्य दर्शन,6,साहित्यदर्पण,23,सुभाषितानि,8,सुविचार,5,सूरज कृष्ण शास्त्री,455,सूरदास,1,स्तोत्र पाठ,59,स्वास्थ्य और देखभाल,1,हँसना मना है,6,हमारी संस्कृति,93,हिन्दी रचना,32,हिन्दी साहित्य,5,हिन्दू तीर्थ,3,हिन्दू धर्म,2,about us,2,Best Gazzal,1,bhagwat darshan,3,bhagwatdarshan,2,birthday song,1,computer,37,Computer Science,38,contact us,1,darshan,17,Download,3,General Knowledge,29,Learn Sanskrit,3,medical Science,1,Motivational speach,1,poojan samagri,4,Privacy policy,1,psychology,1,Research techniques,38,solved question paper,3,sooraj krishna shastri,6,Sooraj krishna Shastri's Videos,60,
ltr
item
भागवत दर्शन: विनम्रता
विनम्रता
भागवत दर्शन
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/04/blog-post_33.html
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/
https://www.bhagwatdarshan.com/2024/04/blog-post_33.html
true
1742123354984581855
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content