ईडाणा माता मंदिर, उदयपुर

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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 राजस्थान के उदयपुर के समीप अरावली की पहाड़ियों में अवस्थित हैं माँ ईडाणा का मंदिर, जहां माता अग्नि स्नान करती हैं।

यह मंदिर सनातन संस्कृति के लिए पवित्रतम शक्तिपीठों में से एक है। स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार यहां पांडवों ने भी माता की उपासना की थी।

 उदयपुर शहर से 60 कि.मी. दूर कुराबड- बम्बोरा मार्ग पर अरावली की विस्तृत पहाड़ियों के बीच स्थित है मेवाड़ का प्रमुख शक्ति-पीठ इडाना माता जी। राजपूत समुदाय, भील आदिवासी समुदाय सहित संपूर्ण मेवाड़ की आराध्य माँ ।

 स्थानीय लोगों में ऐसा विश्वास है कि लकवा से ग्रसित रोगी यहाँ माँ के दरबार में आकर ठीक होकर जाते हैं। माँ का दरबार बिलकुल खुले एक चौक में स्थित है। ज्ञात हुआ कि यहाँ देवी की प्रतिमा माह में दो से तीन बार स्वतः जागृत अग्नि से स्नान करती है। इस अग्नि स्नान से माँ की सम्पूर्ण चढ़ाई गयी चुनरियाँ, धागे आदि भस्म हो जाते हैं। इसी अग्नि स्नान के कारन यहाँ माँ का मंदिर नहीं बन पाया। माँ की प्रतिमा के पीछे अगणित त्रिशूल लगे हुए है।

 यहाँ भक्त अपनी मिन्नत पूर्ण होने पर त्रिशूल चढाने आते है। साथ ही संतान की मिन्नत रखने वाले दम्पत्तियों द्वारा पुत्र रत्न प्राप्ति पर यहाँ झुला चढाने की भी परम्परा है। इसके अतिरिक्त लकवा ग्रस्त शरीर के अंग विशेष के ठीक होने पर रोगियों के परिजनों द्वारा यहाँ चांदी या काष्ठ के अंग बनाकर चढ़ाये जाते हैं ।

 प्रतिमा स्थापना का कोई इतिहास यहाँ के पुजारियों को ज्ञात नहीं है। बस इतना बताया जाता है कि वर्षो पूर्व यहाँ कोई तपस्वी बाबा तपस्या किया करते थे। बाद में धीरे धीरे स्थानीय पडोसी गाँव के लोग यहाँ आने लगे।

प्रमुख स्थल- माँ का दरबार, अखंड ज्योति दर्शन, धुनी दर्शन, गौशाला, विस्तृत भोजनशाला, रामदेव मंदिर आदि।

प्रमुख दर्शन – प्रातः साढ़े पांच बजे प्रातः आरती, सात बजे श्रृंगार दर्शन, सायं सात बजे सायं आरती दर्शन यहाँ प्रमुख दर्शन हैं। इस शक्ति पीठ की विशेष बात यह है कि यहाँ माँ के दर्शन चौबीस घंटें खुले रहते है। सभी लकवा ग्रस्त रोगी रात्रि में माँ की प्रतिमा के सामने स्थित चौक में आकर सोते है। दोनों नवरात्री यहाँ भक्तों की काफी भीड़ रहती है। इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख त्यौहार यहाँ धूमधाम से मनाये जाते है।

कैसे पहुचें- सूरजपोल से प्रातः उपनगरीय बस सेवा उपलब्ध। इसके अतिरिक्त कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर जाने वाले वाहनों से बम्बोरा पहुचकर वहा से जीप द्वारा शक्तिपीठ पंहुचा जा सकता है। स्वयं के वाहनों से जाने पर देबारी- साकरोदा- कुराबड- बम्बोरा होते हुए शक्ति पीठ पंहुचा जा सकता है। (दुरी- 60 किलोमीटर)

 माता की प्रतिमा के पीछे भक्त जो चुनरी एवं शृंगार की वस्तुएं चढ़ाते हैं, उसी में अचानक आग लगती है, जिसके बाद यह माना जाता है कि माँ ईडाणा यहां जागृत अग्नि से स्नान करती हैं। मंदिर में लगने वाली आग से आज तक कभी कोई हानि नहीं हुई है, जिसे श्रद्धालु माँ का आशीर्वाद मानते हैं।


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