हमने बहुत से लोगों को ऐसा भी देखा है जिन की कुलदेवी और कुलदेवता को पता ही नहीं रहता यानी कि मालूम ही नहीं रहता कि उनकी कुलदेवी और कुलदेवता...
हमने बहुत से लोगों को ऐसा भी देखा है जिन की कुलदेवी और कुलदेवता को पता ही नहीं रहता यानी कि मालूम ही नहीं रहता कि उनकी कुलदेवी और कुलदेवता हैं कौन
इनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो धर्म परिवर्तन किया एवं कुछ लोग ऐसे हैं जो जमीन स्थानांतरण किया और कुछ लोग ऐसे हैं जो कि अपनी कुलदेवी कुलदेवता का पूजा विधान बुजुर्गों द्वारा नहीं बताया गया किसी कारणवश इत्यादि।
और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि कुछ लोग इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया और इग्नोर कर दिया और जिन लोगों को मालूम था पूर्वजों ने हम को बताने से पहले गुजर गए।
हमारे हिंदू धर्म की परंपरा रही है कि हर किसी ऋषि के वंशज रहे हैं जो अपने प्रत्येक हिंदू घर में एक सुरक्षा कवच बनाए रखते थे और वह परंपरा पूर्वजों से ऋषि-मुनियों से चली आ रही थी जिससे कि हमारे घर में कोई भी अनिष्ट नहीं होता था जैसे कि शत्रु बाधा से परेशानी कोर्ट कचहरी का काम किसी भी क्षेत्र में नुकसान या धन की कमी चोर भाए।
धोखे बाजो को दूर ही रखती थी यह शक्तियां एम कभी ऐश्वर्या की कमी नहीं होने देती थी एवं अनिष्ट प्रभाव नहीं होता था कोई भी लंबी बीमारी नहीं आती थी या कोई भी अनिष्ट प्रभाव नहीं होता था और सब या इसी सुरक्षा कवच के प्रभाव से होता था।
और इनका सबका अब हमें खामियाजा भोगना पड़ता है इसलिए क्योंकि हमारा सुरक्षा कवच अब हट गया है वह इसलिए हुआ है कि हम पुरानी परंपराओं को यानी कि पूर्वजों बनाई गई परंपरा जो कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा करते थे उसे हम भूल गए हैं या किसी कारणवश हमें नहीं पता है यह हम नहीं करते हैं या हमें मालूम नहीं है कि कैसे क्या होता है पूजा विधि हम पुरानी रीति रिवाज नहीं मालूम है की कैसे पूजा की जाती थी इसलिए हम अपनी कुलदेवी कुलदेवता को भूल गए हैं उनको पुन: चेतन अवस्था में लाने के लिए अब उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मैं आप सबके बीच में एक सरल और खुद का अनुभव और गुरु के मुख से एक अचूक प्रयोग लाया हूं।
और आप पाए इस नवरात्रि में उन शक्तियों का आशीर्वाद अपने कुलदेवी और कुलदेवता के रूप में और करें सरल उपाय जो अपनी कुलदेवी और कुलदेवता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
पूजन सामग्री
दो नारियल पानी वाला ,दो पान का पत्ता, सांप के रहने वाले स्थान यानी की बांबी पर की मिट्टी सवा मीटर लाल वस्त्र ,दो तांबे का सिक्का , सोलह सिंगार ,पांच प्रकार की मिठाई ,हलवा ,खीर, भिगोया चना ,पतासा ,कपूर ,पांचों मेवा, मौली जो, चना ,गेहूं की पूरी, बैगन की सब्जी, कढ़ी और बेसन की छानी बरी ,कुछ गड्डी भिगोए हुई ,कुछ अलग चने की दाल पकी हुई ,पका चावल ।
सर्वप्रथम एक लकड़ी का बाजोट या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाया उस पर दो जगह रोली और हल्दी के मिश्रण से अष्टदल कमल बनाएं अब उत्तर की और किनारे के अष्टदल पर सफेद अक्षत बिछाए उसके बाद दक्षिण की और लाल रंग से रंगा हुआ चावल बिछाई दोनों नारियल में मूली लपेटे एक नारियल को एक तरफ किनारे सफेद चावल के अष्टदल पर स्थापित करें अब दूसरी नारियल को कुमकुम से रंग दे अथवा लाल वस्त्र में लपेट दें फिर इस पर मौली बांध है इस नारियल को पहले वाले नारियल की बाई और अष्टदल पर स्थापित करें प्रथम बिना रंगे नारियल के सामने एक पान का पत्ता और दूसरे नारियल के सामने एक पान का पत्ता रखें आप दोनों पत्तों पर एक एक सिक्का रखें उसी सिक्के के ऊपर बांबी की मिट्टी रखें उस पर व स्वरूप मानकर मौली का टुकड़ा भी रख दें दोनों पर अब एक सिक्के पर अपना कुलदेवता को भाव पूर्वक मान कर पूजन करें और दूसरे सिक्के पर कुलदेवी को मानसिक पूजन करें आप कुलदेवी के सामने आपको चौमुखा दीपक जलाना है यानी कि जिसे आप भाव पूर्वक सिक्के को कुलदेवी माना है उसी के सामने ।
अब आपको गुरु पूजन और गणपति पूजन संपन्न कीजिए अब दोनों नारियल और सिक्कों को चावल कुमकुम हल्दी सिंदूर जल पुष्प धूप और जीप से पूजा कीजिए जहां कुमकुम से रंगा नारियल है अथवा लाल कपड़े से ढका नारियल है वहां कुमकुम सिंदूर और सिंगार सामग्रियां चढ़ेगी बिना रंगे नारियल पर सिंदूर ना चढ़ाएं हल्दी रोली चढ़ा सकते हैं
इसी प्रकार से पूजा करनी है अब पांच प्रकार की मिठाई इन के सामने अर्पित करें घर में बनी पूरी, हलवा ,खीर ,कड़ी ,बैगन की सब्जी ,चावल ,चने की दाल इन्हें अर्पित करें चना ,बताशा चढ़ाएं, आरती करें साधना समाप्ति के बाद प्रसाद परिवार में ही बांटना है सिंगार पूजा में कुल देवी की उपस्थिति की भावना करते हुए सिंगार सामग्री लाल नारियल के सामने चढ़ा दें और मां का शिकार करने की विनती कीजिए
इसके बाद हाथ जोड़कर इन से अपने परिवार से हुई भूल की क्षमा मांगे और प्रार्थना करें कि हे प्रभु हे देवी हे मेरे कुलदेवता या कुलदेवी आप जो भी हो हम आपको भूल चुके हैं किंतु हम पुनः आपको आमंत्रित कर रहे हैं और पूजा दे रहे हैं आप इसे स्वीकार करें हमारे कुल की रक्षा करें हमारे परिवार की रक्षा करें हम स्थान समय नियम आदि भूल चुके थे अतः जितना समझ आया हम अपने अनुसार उतना आपको पूजा प्रदान किया इसे स्वीकार करें हमारे कुल पर कृपा करें
यह पूजा नवरात्रि की सप्तमी अष्टमी और नवमी यानी कि 3 तिथियों में करें इन 3 दिनों तक रोज इन्हें पूजा दें जबकि स्थापन एक ही दिन होगा प्रतिदिन आरती करें प्रसाद घर में ही बाटे बाहरी को ना दें समानता पारंपारिक रूप से कुलदेवता कुलदेवी की पूजा में घर की कुंवारी कन्याओं को शामिल नहीं किया जाता और उन्हें दीपक देखने तक की मनाई होती है अथवा इस हेतु अपने कुल गुरु अथवा किसी विद्वान से सलाह लेना बेहतर होगा वैसे यहां जब तक दीपक जले कम-से-कम तब तक कन्या इसे ना देखें तो बेहतर कन्या अपने ससुराल जाकर वहां की रीति को पालन करें इसी पूजा में चाहे तो दुर्गा आत्मा काली का मंत्र जाप भी कर सकते हैं किंतु साथ में तब शिव मंत्र का जाप भी अवश्य करें वैसे ही आवश्यक नहीं है क्योंकि सभी लोग पढ़े लिखे हो और सही ढंग से मंत्र जाप कर सकते हैं या जरूरी नहीं
साधना समाप्ति के बाद सब परिवार आरती करें इसके बाद क्षमा प्रार्थना करें तत्पश्चात कुलदेवी कुल देवता से प्रार्थना करें कि आप हमारे कुल की रक्षा करें हम अगले वर्ष पुनः आपको पूजा देंगे हमारी और परिवार की गलतियों को क्षमा करें हम आपके बच्चे हैं 3 दिन की साधना पूजा पूर्ण होने पर प्रथम बिना रंगे नारियल के सामने के सिक्के को किसी डिब्बी में सुरक्षित रख लें लाल रंग नारियल के सामने की सिक्के को अलग डिब्बी में सुरक्षित और आगे ध्यान रखने के लिए नाम लिख ले कुलदेवी कुलदेवता कि यह कुलदेवी की है और यह कुल देवता का और सारी सामग्री को जल प्रभावित कर दें और ब्राह्मण को दान भी दे दे और प्रसाद को घर के सदस्यों को बांट भी सकते हो
यदि पूजा करने में या समझने में कोई दिक्कत हो तो किसी योग क्रम कांडी की मदद ले एक बार अच्छे से समझ कर पूजा करें और इस समझ कर पूजा करें और इसे हर साल जारी रखें योग को मार्गदर्शन आपकी सफलता में वृद्धि करेगा जो पूजन पद्धति एक बार अपना ही जाए उसे फिर बदला ना जाए सम्मान पूजन सामग्री चढ़ाने का उद्देश्य है कि पूर्व से ही सभी परिवारों में परंपरा रिक रूप से उनके स्थान अनुसार उपलब्ध भोज पदार्थ चढ़ते हैं और यह उनकी विशिष्टता होती है हमारा उद्देश्य केवल ऐसे परिवारों को एक सुरक्षा कवच और कुलदेवी कुलदेवता की एक सम्मान पूजा प्रदान करना हैl
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