शहीदी दिवस पर शहादत को नमन
(कविता)
“अमर शहीदों, तोहे कोटि कोटि प्रणाम,
सुखदेव, राजगुरु, भगत सिंह हैं नाम।“
शहीदी दिवस पर,शहादत को, नत नमन,
करना चाहता आज, भारत का जन जन।
ऐसे ही वीर सपूतों के बलिदान के कारण, गुलज़ार है आज, अपना यह सारा चमन। सुखदेव और राजगुरु के साथ, हंसते हंसते, भगत सिंह ने किया था, फांसी का वरण।
शहीदी दिवस पर……………
उस दिन बिलख रही थी धरती माता नीचे, और ऊपर से, रो रहा था यह नील गगन।
क्या कहना है वीर भगत के देश प्रेम को? असंभव कर पाना, शब्दों में इसका वर्णन।
मातृभूमि के लिए जैसे जन्म हुआ उनका, मातृभूमि को, समर्पित रहा, सारा जीवन।
शहीदी दिवस पर…………..
भगत नाम से ही गोरे खौफ खाते थे सदा, नींद हराम रहती उनकी, और बेचैन मन।
काश हम भगत सिंह के, दर्शन कर पाते,
सर पे जिनके बंधा रहता था सदा कफ़न।
देश को गर्व है, ऐसे वीर सपूतों के ऊपर,
शहादत से माटी महकती है, जैसे चंदन।
शहीदी दिवस पर………………
शहीदों को श्रद्धांजलि देना, गर्व हमारा,
सर झुकता, मन करता माटी का वंदन।
तीनों महावीर, फांसी पर लटक गए थे,
करते हुए अपने वतन को सादर नमन।
उनके बलिदान से, सदा गुलज़ार रहेगा।
तिरंगा प्यारा का यह अलबेला गुलशन।
शहीदी दिवस पर……………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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