सामाजिक समस्या, छूटेली ‼️

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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अभी महज कुछ वर्षों से महिलाओं में एक नई कैटगरी बनी है ?

"छुटेली"

एक समय था जब समाज में महिलाओं की सिर्फ तीन ही कैटगरी हुआ करती थीं...अविवाहित, विवाहित और विधवा 

लेकिन आधुनिक समय में स्त्रियों की एक केटेगरी और बढ़ गयी, वह है "छुटेली" ।

शायद कुछ लोग कन्फ्यूज़ होंगे, कि यह कौन सी केटेगरी है?

तो ध्यान से पढ़िए और समझिए ..?

 यह वह कैटेगरी होती है जिसमें एक शादीशुदा औरत अपने पति के जीवित होते हुए भी, उससे दूर रहकर अपने मायके में जीवन व्यतीत करती हैं।

इसके मुख्य कारण होते हैं.?

  उसकी चरित्रहीनता, पैसों की अत्यधिक चाहत, पैसा लूटने के उद्देश्य से पति पर किए झूठे दहेज के मुकद्दमें , शादी से पूर्व अपने प्रेमी से शारीरिक संबंध, मायके की अत्यधिक चाहत, पति को गुलाम बनाकर रखने की तीव्र इच्छा इत्यादि, औरत की "छुटेली" कैटेगरी को जन्म देती है ।

 आप निगाह घुमाकर देखेंगे तो इस तरह की कैटिगरी की औरतें आपको अपने पास-पड़ोस में बहुत देखने को मिल जायेंगी...?

जिनके मन में यह सब करने के बाद भी बड़ा स्वाभिमान है।

 लेकिन वास्तव में समाज में,उनकी वेल्यू सिर्फ एक वैश्या एवं तवायफ के रूप जैसी होती है, (ऐसा मैंने कईयों के मुंह से सुना है)जिसके नसीब में,कभी पति का सुख नहीं होता।* 

 सिर्फ पैसा ही इस तरह की औरतों के लिए भगवान होता है...और पैसे के लिए वह पति भी खो सकती हैं ?

 ऐसी लड़कियों, औरतों का सिद्धांत ही होता है कि...

 प्रेम-प्रसंग उजागर हो जाए तो माता पिता की इच्छानुसार चुपचाप शादी कर लो, फिर पति और ससुराल पर झूठे मुकदमे लादकर वापस मायके आ जाओ, और फिर पुराने प्रेमी यां अन्य प्रेमी के संग गुल्छर्रे उड़ाओ और गुजाराभत्ता या एकमुश्त रकम पति से लेकर ऐश करो... आज़ाद जिंदगी जिओ..!!

 किंतु अंत में ऐसी औरत का बुढ़ापा दयनीय और मृत्यु होने पर चिता जलाने वाला भी मुश्किल से ही मिलता है।

 इनमें एक बहुत बड़ा दोष इनके मां-बाप का है जो इन लड़कियों, औरतों को शय देते हैं।

 याद रहे सनातन धर्म में ऐसी कृतियों को कभी मान्यता नहीं मिल सकती।

   माता सीता जी ने अपने पति भगवान राम जी के साथ वन में रहना और वन के कष्टों को सहना उचित समझा था ना कि पीछे से महलों में रहकर ऐश करना अथवा दुःख की घड़ी में अपने पति को छोड़ मायके में चली जाना।

  हम सनातनियों को ऐसे कार्य कभी शोभित नहीं...। सनातन धर्म में तो तलाक नाम का कोई शब्द ही नहीं, तलाक के लिए कोई जगह ही नहीं! सबसे पवित्र रिश्ता पति-पत्नी का ही माना जाता है। पति-पत्नी के रिश्ते की मर्यादा को समझें। अपने पति का आदर करें तभी एक औरत का जीवन, सफल जीवन हो सकता है...।

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